आरती भगवान विष्णु जी की / आरती भगवान जगदीश जी की ||
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे | भक्त जनन के संकट क्षण में दूर करे || ॐ …
जो ध्यावे फल पावे दुख विनसे मन का | सुख सम्पति घर आवे कष्ट मिटे तन का || ॐ …
मात पिता तुम मेरे शरण गहूं किसकी | तुम बिन और न दूजा आस करू जिसकी || ॐ …
तुम पूरण परमात्मा तुम अन्तरयामी | पारब्रह्म परमेश्वर तुम सबके स्वामी || ॐ …
तुम करुणा के सागर तुम पालन कर्ता | मै मूरख खल कमी कृपा करो भरता || ॐ …
तुम हो एक अगोचर सबके प्राण पति | किस विधि मिलू दया मय तुमको मै कुन्ती || ॐ …
दीन बन्धु दुःख हर्ता तुम ठाकुर मेरे | करुणा हस्त बढ़ाओ द्वार पड़ा तेरे || ॐ …
विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा | श्रद्धा भक्ति बढाओ संतन की सेवा || ॐ …
बोलिए विष्णु भगवान की जय ||
बोलिए भगवान श्री जगदीश जी की जय ||
भगवान श्री नारायण स्वामी की जय ||
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