कई बार ऐसा होता है जब किसी भी व्यक्ति के मस्तक पर तिलक लगा हुआ देखते है तो हमारे मन में भी कभी न कभी यह ख्याल जरुर आता है की आखिर लोग मस्तक पर तिलक क्यों लगाते है इसके क्या फायदे हो सकते है| क्या इसका कोई वज्ञानिक कारन भी है या सिर्फ दिखावे के लिए लगाते है|
मेरे मन आता था आपके मन में भी आता होगा तब हमने इस विषय में कुछ जानकारिय इकट्ठी करी और हमें जो जानकारी मिली उसके अनुसार अचंभित करने वाले दृष्टिकोण सामने आये चलिए आपको हम इससे अवगत कराते है और बताते है लोग मस्तक पर तिलक क्यों लगाते है और इसके क्या फायदे है|
मस्तक पर तिलक लगाने के पीछे अध्यात्मिक भावना और कुछ लाभ भी इसके साथ जुड़े हुए है जिसके बारे में हम आपको आगे बताने वाले है|
वैसे इसका उल्लेख हमारी संकृति में भी एक श्लोक में वर्णित है
तिलक के प्रकार
अगर देखा जाए तो हिन्दू धर्म में तिलक कई प्रकार से लगाये जाते है और वैष्णव संप्रदाय में तो इसको लगभग 64 प्रकार से अलग अलग लगाया जाता है जिनकी जैसे संप्रदाय वो वैसे तिलक धारण करते है और जहां तक बात है तिलक की तिलक के प्रकार 80 से अधिक है जिनका वर्णन अलग अलग संप्रदाय में वर्णित है|
तिलक के लिए मुख्यतः हल्दी , चंदन , कुमकुम (सिन्दूर), भस्म, मिट्टी का प्रयोग किया जाता है जिसे हम तिलक के रूप में अपने मस्तक पर तिलक के लिए प्रयोग करते है|
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तिलक कौन सा लगाया जाता है
मुख्यतः लगाये जाने वाले तिलक हम आपको यहाँ बता रहे है जो अधिकतर उपयोग में लाये जाते है:-
1- शाक्त तिलक – सिन्दूर का तिलक लगाया जाता है|
2- ललश्री तिलक – चन्दन का तिलक लगा कर बीच मे कुमकुम भी लगाया जाता है|
3- विष्णुस्वामी तिलक – दो चौड़ी रखा वाला तिलक वैष्णव तिलक लगाया जाता है|
4- रमानन्द तिलक – विष्णु स्वामी तिलक के बीच मे एक कुमकुम की खड़ी रेखा से तिलक लगाया जाता है|
5- श्यामश्री तिलक – गोपीचन्द तिलक के बीच मे काली मोटी रेखा से लगाया जाता है|
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मस्तक पर तिलक लगाने के फायदे
हमारे शस्त्रों भारतीय सनातन धर्म में तिलक (टीका) लगाने को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. किसी भी तरह की पूजा-पाठ हो, या कोई धार्मिक कार्य हो, या कोई शुभ या मांगलिक कार्य होना हो, आप कहीं यात्रा या शुभ कार्य पर निकलना हो, या फिर किसी कार्य में सफलता पाने की इच्छा रखते हो- इन सभी स्थितियों में व्यक्ति के (माथे) मस्तक पर तिलक लगाया जाता है| जरुरी नहीं तिलक के लिए चंदन ही उपलब्ध हो यह तिलक रोली, चंदन, सिंदूर, केसर या फिर हल्दी से भी लगाया जाता है|
अंततः आखिर तिलक लगाने का कारण क्या है इसके बारे में लोग जानने के लिए हमेशा उत्साहित रहते है, इसे माथे के बिलकुल बीच में ही क्यों लगाया जाता है और इसका महत्व क्या है, चलिए आज हम आपके इस सवाल को भी बताने वाले है|
प्राचीनतम वर्णनों की मने तो तिलक, त्रिपुण्ड, टीका अथवा बिंदिया आदि का सीधा सम्बन्ध मस्तिष्क से होता है| मनुष्य की दोनों भोहों बे बीच आज्ञा चक्र होता है| इस चक्र पर ध्यान केन्द्रित करने पर साधक का मन पूर्ण शक्ति से संपन्न हो जाता है| इसे हम चेतना केंद्र भी कह सकते है समस्त ज्ञान एवं चेतना का सञ्चालन इसी स्थान से होता है|
आज्ञा चक्र ही तृतीय नेत्र है| इस स्थान को दिव्य नेत्र भी कहा जा सकता है| मस्तक पर तिलक लगाने से आज्ञा चक्र जागृत होता है| जिसकी तुलना राडार, टेलिस्कोप आदि से ही करी जा सकती है अन्यथा नहीं, इसके अतिरिक एक और पक्ष है जिसमे हम इसको सम्मान सूचक भी कह सकते है जो की बिलकुल सत्य भी है इसको लगाने वाले व्यक्ति के अन्दर एक अलग सी उर्जा उत्पन्न होने लगती है और माथे पर तेज़ आ जाता है और साथ ही इसके धारण करने से धार्मिकता का भी आभास होता है जो की इसके प्रभाव को दर्शाती है|
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मस्तक पर तिलक – वैज्ञानिक दृष्टीकोण
जैसा की आप सभी जानते है हम मनुष्य आपने मस्तिष्क से आवश्यकता से अधिक काम लेते है इसका परिणाम यह होता है की ज्ञान तन्तुओं का विचारक केंद्र भृकुटी और ललाट के मध्य भाग में वेदना उत्पन्न होने लगती है| चंदन का प्रयोग ज्ञान तन्तुओं को शीतलता प्रदान करता है| इसलिए चंदन का प्रतिदिन प्रयोग किया जाता है| जो भी प्राणी प्रातः काल चंदन का लेप माथे पर करता है उसे सर दर्द की शिकायत नहीं होती या आरोग्यं औषधि का भी कार्य करता है जिसे वैज्ञानिक तथ्य को डॉक्टर, हकीम और आयुर्वेद भी स्वीकार करता है|
इसलिए मस्तक पर तिलक लगाना उचित है और इसका उल्लेख इसलिए किया जाता है उम्मीद है आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी ऐसे ही और जानकारी के लिए हमसे जुड़े रहे|
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