पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथा विधि | Putrada Ekadashi Vrat Katha Vidhi.

नए वर्ष 2023 की शुरुआत बहुत ही उत्तम हुई है आज नए वर्ष का दूसरा दिन में (Putrada Ekadashi Vrat Katha Vidhi) पुत्रदा एकादशी 2023 का होना शुभ संकेत है। आज 2 जनवरी 2023 एकादशी पड़ रही है आज भद्र नक्षत्र 10:1 मिनट से प्रारंभ होकर रात्रि 10:13 मिनट तक रहेगा | पढ़िए पुत्रदा एकादशी का महत्त्व और व्रत कथा विधि :- इसे भी पढ़ें – श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत कथा | Shravan Putrada Ekadashi Vrat Katha.

पौष पुत्रदा एकादशी का महत्त्व । Putrada Ekadashi Mahatva.

एकादशी व्रत का पूजन विधि-विधान से करना चाहिये। इस व्रत में श्री नारायण भगवान की पूजा करनी चाहिये। इससे चर और अचर संसार में पुत्रदा एकादशी व्रत के समान अन्य दूसरा व्रत नहीं है इसके पुराय से मनुष्य तपस्वी, विद्वान और धनवान होता है। भगवान नारायण की कृपा का पात्र होता है और संसार में सभी सुखों को भोगता है धन की कमी नहीं होती, परिवार में अच्छे संबंध और मधुरता बनी रहती है।

पुत्रदा एकादशी व्रत कथा । Putrada ekadashi vrat katha Vidhi

एक दिन अर्जुन ने पूछा- हे कृष्ण ! आपने हमें सफला एकादशी का महात्म्य विधि सहित कृतार्थ किया है अब आप पौष माह के व्रत के बारे में समझाइये उस दिन कौन से देवता का पूजन होता है ? तथा उसकी विधि क्या है ?

इस पर श्री कृष्ण बोले- हे राजन ! पौष की शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम पुत्रदा है।

इसका पूजन विधि से करना चाहिये। इस व्रत में नारायण भगवान की पूजा करनी चाहिये। इस चर’ और अचर संसार में पुत्रदा एकादशी व्रत के समान अन्य दूसरा व्रत नहीं है इसके पुराय से मनुष्य तपस्वी, विद्वान और धनवान होता है। इसकी एक कथा है उसे सुनो।

भद्रावती नगरी में सुकेतुमान नाम का एक राजा राज्य करता था । वह निःसन्तान था । उसकी स्त्री का नाम शैव्या था । वद्द सदैव निपुत्री होने के कारण चिंतित रहती थी । उस पुत्रहीन राजा के पितर रो-रोकर पिंड लेते थे इसके बाद हमें कौन पिंड देगा ।

इधर राजा को भी बन्धु-बांधव, मन्त्री, मित्र, राज्य, हाथी, घोड़ा आदि से भी संतोष नहीं होता था उसका एक मात्र कारण पुत्रहीन होना था वह विचार करता था कि मेरे मरने पर मुझे कौन पिंड देगा बिना पुत्र पितरों और देवताओं से उॠण नहीं हो सकते ? जिस घर में पुत्र न हो वहां सदैव श्रंधेरा ही रहता है । इस तरह राजा रात दिन इसी चिन्ता में लगा रहता ।

एक दिन राजा ने अपना शरीर त्याग देने की सोचा परन्तु विचार करने लगा है आत्मघात करना महापाप है। राजा इस तरह मन में विचार करके एक दिन छिप कर वन को चल दिया । राजा घोड़े पर सवार होकर वन पक्षियों और वृक्षों को देखने लगा । उसने वन में देखा कि मृग, बाघ, सुअर, सिंह, बन्दर, सर्प आदि भ्रमण कर रहे हैं। हाथी अपने बच्चों और हथिनियों के बीच में घूम रहे हैं उस वन में राजा ने देखा कि कहीं तो सियार कर्कश शब्द कर रहे थे और कहीं मोर ध्वनि कर रहे है। वन के दृश्यों को देखकर राजा को सोच-विचार में दोपहर हो गयी।

अब राजा को भूख और प्यास लगने लगी। वह सोचने लगा कि मैंने अनेकों यज्ञ किये हैं और ब्राह्मणों को मधुर भोजन कराया है परन्तु फिर भी मुझे यह दुःख क्यों मिल रहा है।

राजा प्यासा के कारण बहुत बेचैन होने लगा और पानी की तलाश में आगे बढ़ा। कुछ ही आगे जाने पर उसे एक सरोवर मिला । उस सरोवर में कमल खिल रहे थे उस सरोवर में सारस, हंस, मगर मच्छ आदि जल क्रीड़ा कर रहे थे। उस सरोवर के चारों तरफ मुनियों के आश्रम बने थे । उस समय राजा के दाहिने अंग फड़कने लगे ।

राजा मन में प्रसन्न होकर सरोवर के किनारे बैठे हुये मुनियों को देख कर घोड़े से उतरा और दंडवत करके उनके सम्मुख बैठ गया । राजा को देखकर मुनीश्वर बोले राजा ! हम तुमसे अत्यन्त हैं प्रसन्न हैं तुम इस जगह कैसे आये हो सो कहो । इस पर राजा ने उन से पूछा- हे मुनीश्वरो ! आप कौन है ? और किसलिये यहां पधारे हैं सो मुनि बोले-हे राजन् । आज पुत्र की इच्छा करने वाले को उत्तम संतान देने चाली पुत्रदा एकादशी है। हम लोग विश्वदेव हैं। और इस सरोवर पर स्नान करने आये हैं। इस पर राजा बोला है-मुनिश्वर ! मेरे भी कोई पुत्र नहीं है यदि आप मुझ पर प्रसन्न हों तो एक पुत्र का वरदान दीजिये ।

मुनि बोले- हे राजन ! आज पुत्रदा एकादशी है आप इसका व्रत करें ! भगवान की कृपा से आपके अवश्य ही पुत्र होगा।

मुनि के वचनों के अनुसार राजा ने उस दिन परायण किया और मुनियों को प्रणाम करके अपने महल को वापिस आया। रात्रि मैं रानी ने गभ धारण किया और नौ माह के पश्चात उसके उत्तम पुत्र रत्न पैदा हुआ वह, राजकुमार बड़ा होने पर अत्यन्त वीर धनवान यशस्वी और प्रजा पालक हुआ ।

श्रीकृष्ण भगवान बोले राजन् ! पुत्र की प्राप्ति के लिये पुत्रदा एकादशी का व्रत करना चाहिये। जो मनुष्य इसका माहात्म्य श्रवण व पठन करते है उनको स्वर्ग की प्राप्ति होती है।


पुत्रदा एकादशी की आरती । Putrada Ekadashi ki Aarti.


पुत्रदा एकादशी से सम्बंधित :-

पुत्रदा एकादशी 2023 कब है ?

पौष की शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम पुत्रदा एकादशी है। इस वर्ष पुत्रदा एकादशी 2023

पुत्रदा एकादशी 2023 को किस दिन पड़ रही है ?

2 जनवरी 2023 दिन सोमवार को भद्रा नक्षत्र में पौष पुत्रदा एकादशी व्रत मनाई जाएगी।

पुत्रदा एकादशी व्रत कथा आयोजन राजा ने किस लिए किया था ?

राजा सुमानुकतु ने पुत्र की प्राप्ति के लिए पुत्रदा एकादशी व्रत कथा का आयोजन किया था।


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