मैहर श्री शारदा माता मंदिर इतिहास | Maa Sharda Maihar Devi Temple

Maa Sharda Maihar Devi Temple – मैहर की शारदा भवानी और मैहर का मंदिर पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है मैहर मंदिर में हजारो की मात्र में श्रद्धालु मैहर माता के दर्शनों के लिए यहाँ रोज एकत्रित होते है और मान्यता है यहाँ से हार श्रद्धालु की मनोकामनाए पूर्ण होती है, क्यूंकि मैहर की शारदा भवानी का प्रताप इतना है की जो भी यहाँ अपनी परेशानी लेकर आता है माता उसकी पुकार सुनती है, ऊँचे पहाड़ों में बैठी माता अपने किसी भी भक्त को निराश नहीं करती है।

मैहर श्री शारदा माता मंदिर इतिहास Maa Sharda Maihar Devi Temple

चलिए जानते है मैहर श्री शारदा माता मंदिर इतिहास और श्री शारदा माता मंदिर की कहानी के बारे में :-

  • माँ शारदा जी का इतिहास त्रिकूट पर्वत पर बसा शारदा देवी का मंदिर यह मंदिर मध्यप्रदेश के मैहर शहर में स्थित है। मैहर शहर का नाम भी भगवान से जुड़ी कहानी पर ही निर्धारित है कहा जाता है।
  • जब भगवान शिव जी देवी सती के शव को गोदी मे उठाकर ले जा रहे थे तब उनके गले का हार टूट कर इस जगह में गिर गया और तब से ही इस शहर का नाम माई का हार” “मेहर ” पड़ गया।
  • शारदा देवी जी का मंदिर भक्तों से सदा पटा रहता है। इस मंदिर में पहुँचने के लिए आपको इस मंदिर की 1063 सीढ़ियों को पार करना होगा।
  • इस मंदिर की महत्ता हर साल लाखों भक्तों को अपनी ओर आमंत्रित करती है। इस मंदिर में माँ शारदे को पूजा जाता है।
  • बुजुर्ग लोगो और शारीरिक दुर्बलता से पीड़ित लोगों के रोपवे का भी प्रबन्ध है।
  • आम तौर पर श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है परन्तु नवरात्रि के मौके पर तो भक्तों की भारी सैलाब उमड़ता है।
  • शारदा देवी मंदिर का इतिहास ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार इस मंदिर की स्थापना 522 ई.पू. हुई थी।
  • यहाँ माँ शारदा की प्रतिमा के ठीक नीचे न पढ़े जा सकेने वाले शिलालेख भी क पहेलियों को समेटे हुए हैं । पहले यहाँ बलि चढ़ने की प्रथा थी जो सन् 1922 में जैन दर्शनार्थियों के तत्कालीन महराजा बृजनाथ सिंह जूदेव जी द्वारा प्रतिबंधित कर द गई।
  • कहा जाता है कि भगवान नरसिंह देव जी की प्रतिमा विराजमान है कहा जाता है कि यह प्रतिमा 1513 साल पुरानी है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि यहाँ सबसे पहले माता का श्रृंगार आल्हा और उदल ही करते है।
  • आल्हा और उदल बहुत बड़े योद्धा थे जिन्होने पृथ्वीराज चौहान के खिलाफ कई युद्ध लडे । इन दोनो ने ही सबसे पहले जंगलों के बीच शारदा देवी के इस मंदिर की खोज की थी। इसके बाद आल्हा ने इस मंदिर में 12 सालों तक तपस्या कर देवी को प्रसन्न किया और माता ने अमरत्व का आशीर्वाद दिया था।
  • शारदा देवी मंदिर से मैहर का दृश्य, मंदिर के पीछे पहाड़ो के नीचे आल्हा तालाब दिखाई देता है। यह नहीं तालाब के पास ही आल्हा अखाड़ा भी है। जिसके बारे में कहा जाता है कि आल्हा और उदल कुश्ती लड़ा करते थे।
  • ये भी मान्यता है कि यहाँ पर सर्वप्रथम आदि गुरु शंकराचार्य जी ने 9वीं या 10वीं शताब्दी में पूजा अर्चना की थी।
  • शारदा देवी मंदिर से जुड़ी रहस्यमयी मान्यता है कि हर रोज माता का श्रृंगार और उनकी पूजा अर्चना सबसे पहले आल्हा और उदल करते है। यह परम्परा मंदिर में अब भी जारी है। कहा जाता है कोई आधी रात में मंदिर जाता है तो उसे आल्हा और उदल की आत्मा जीवित नहीं छोड़ती है।
  • अब तक यहाँ कई सारी अजीव घटनाएँ हो चुकी है। इसी रहस्यमय क्रियाओं की वजह से माता का मंदिर अब भी रहस्यपूर्ण है। इस रहस्य को सुलझाने के लिए कई वैज्ञानिकों की टीमें भी डेरा जमा चुकी है परन्तु इस रहस्य से पर्दा नहीं उठा सके है।
मैहर श्री शारदा माता मंदिर इतिहास Maa Sharda Maihar Devi Temple

माँ शारदा माता मंदिर मैहर कैसे पहुचे ? Maa Sharda Maihar Devi Temple

मैहर देवी मंदिर सतना मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर और पास ही सबसे बड़े जंक्शन कटनी से 65 किलोमीटर की दूरी में स्थित है यहाँ ट्रेन और वहां दोनों साधनों से जाया जा सकता है, यदि आप वहां से जाते है रोड आपको बहुत अच्छी मिलेगी नेशनल हाईवे से होकर जाती है उसके लिए आप गूगल माप का उपयोग कर सकते है।

मैहर श्री शारदा माता मंदिर से जुड़े प्रश्न

मैहर स्टेशन से मंदिर की दूरी ?

मैहर स्टेशन से लगभग 8 से 10 किलोमीटर की दूरी में स्थित है

मैहर में कितनी सीढ़ियां हैं ?

श्री शारदा माता मैहर देवी मंदिर पहुँचने के लिए आपको 1063 सीढ़ियों को पार करना होता है।

मैहर क्यों प्रसिद्ध है?

मैहर श्री शारदा देवी माता मंदिर के लिए प्रसिद्द है, साथ ही यहाँ सीमेंट व्यवसाय भी मुख्य होता है

मैहर में कौन सी नदी है?

मैहर में तमसा नदी बहती है

मैहर देवी मंदिर कहां है?

मैहर सेवी का मंदिर मध्य प्रदेश के सतना जंक्शन में स्थित मैहर नामक स्टेशन से 10 किलोमीटर की दूरी पर है

मैहर कितने किलोमीटर है

मैहर देवी मंदिर सतना मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर और पास ही सबसे बड़े जंक्शन कटनी से 65 किलोमीटर की दूरी में स्थित है

मैहर में रुकने की व्यवस्था

मैहर में रुकने के लिए मंदिर के निचे तरफ दर्म्शाला और लॉज की व्यवस्था मिलती है, जो न्यूनतम राशी में उपलब्ध होती है


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