हमारी संस्कृति में वैसे तो सभी की एक महत्ता हे लेकिन ब्राम्हण को देवता मन जाता है ? ऐसा क्यूँ कई बार लोगो के मन में प्रश्न आता है ऐसा क्यों हो जब की वो हमारे ही जैसे है फिर भी ब्राम्हण को देवता की तरह सम्मान और विशेष महत्त्व क्यों इसी के बारे आइसे आज इस पोस्ट में विस्तार से समझते है|
जानिए ब्राम्हण को देवता के पीछे का कारण |
सम्पूर्ण संसार देवताओं के आधीन माना गया है। और देवता सदैव मंत्रों के आधीन रहते हैं अर्थात् विधि-विधान एवं मंत्रों से उनकी पूजा, आराधना की जाती है, तभी वे प्रसन्न होते हैं ।
मंत्रों का ज्ञान, मंत्रों का प्रयोग तथा उनके रहस्य का ज्ञान ब्राह्मण ही भली भाँति जानते हैं। इस तरह ब्राह्मण का स्थान समाज में देवताओं के समतुल्य है। इसी कारण ब्राह्मण को देवता कहा जाता है ।
ब्राह्मण प्राचीन काल से ही जप-तप, पूजा-पाठ, आराधना उपासना में संलग्न है। धर्मशास्त्र, कर्मकाण्ड आदि के ज्ञान के साथ-साथ उनमें उदारता, सात्विकता तथा त्याग की भावना रहती है।
इस कारण वे ईश्वरतत्व के सर्वाधिक निकट रहते हैं, इसके साथ-साथ परम्परागत पूजा-पाठ करने की मान्यता भी इन्हें प्राप्त है ।
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द्विज का क्या अर्थ है ? ब्राह्मण को ही द्विज क्यों कहते हैं ? ब्राह्मण ही दान लेने का अधिकारी है |
जिसका दो बार जन्म होता है उसे द्विज कहते हैं । एक बार तो सभी का माता के गर्भ से जन्म होता है, परन्तु ब्राह्मण के बाल का यज्ञोपवीत संस्कार (जनेऊ धारण करना) उसका दूसरा जन्म कहा गया है । इस क्रम में पक्षी, सर्प, दांत और चन्द्रमा भी आते हैं ।
दान सत्पात्र (सुपात्र) को दिया जाता है । वेद आदि स्मृतियों के अनुसार मनुष्यों में ब्राह्मण को ही सर्वश्रेष्ठ माना गया है, क्योंकि ब्राह्मण गायत्री जप से प्रायश्चित कर्म करते रहते हैं । इस कारण वे दान को धारण करने की शक्ति रखते हैं ।
नीति शास्त्र के अनुसार ब्राह्मण, गुरुजन तथा देवता के पास कभी खाली हाथ नहीं जाना चाहिए, क्योंकि इनके पास जो खाली हाथ जाएगा, वह खाली हाथ ही वापस भी
आएगा । साधारण सी बात यह है कि आप किसी से कोई काम कराते हैं तो हमें पारिश्रमिक तो देना ही पड़ता है । इसलिए पूजा-पाठ आदि पुण्य कर्म कराने वाले ब्राह्मणों को दक्षिणा देना परम आवश्यक है ।
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ब्राह्मणों को लोक व्यवहार में भी अधिक सम्मान क्यों प्राप्त है ?
जिस तरह मस्जिद में हाजी या मौलवी को, चर्च में पादरी को सर्वाधिक सम्मान प्राप्त है, उसी प्रकार हिन्दुओं में ब्राह्मणों को सर्वाधिक सम्मान प्राप्त होता है । लोक व्यवहार में भी उन्हें अति सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है ।
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