Bhojan Mantra Hindi – हमारी सनातन संस्कृति में भोजन करने का मतलब सिर्फ पेट भरने से नहीं है बल्कि हमारी संस्कृति में वनस्पति और प्रकति के दिए दुर्लभ अन्न और जड़ी बूटी युक्त हरी सब्जियों द्वारा हमें अच्छा और स्वस्थ रखने में योगदान करना है
आपने सुना और देखा होगा जब हमारे बुज़ुर्ग भोजन करने के लिए बैठते थे तो वे सभी कुछ मन्त्रों का उच्चारण किया करते थे या आपने कभी विचार किया है की वो ऐसा क्यों किया करते थे आइये हम आपको अवगत करते है क्यूंकि जिस भोजन से आपका का शरीर निर्मित होता है। उस भोजन के प्रति आप सदैव कृतज्ञ रहना चाहिए । वैसे तो सनातन संस्कृति में भोजन को देवता माना गया है। और भोजन करने से पहले भोजन मंत्र स्मरण आवश्यक बताया गया है।
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हमारे ह्रदय में हमेशा भोजन के प्रति सम्मान की भावना होनी चाहिए तो चलिए इसी बात को आगे बढ़ाते हुए हां आज आपको यहाँ पर मुख्य भोजन मंत्र संस्कृत में एवं भोजन मंत्र का अर्थ के साथ साथ भोजन मंत्र का महत्त्व भी बताने का प्रयास कर रहे है और उम्मीद करते है हमारे पाठक हमारे इस प्रयास को अपनाये भोजन मंत्र का नित्य जप अवश्य करें और प्रकृति को धन्यवाद करें :-
1. प्रथम भोजन मंत्र – Pratham Bhojan Mantra
ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम्।
ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना।१।
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:
भोजन मंत्र का अर्थ – यह मंत्र गीता में चतुर्थ अध्याय का 24 श्लोक है। जिसका अर्थ है जिस यज्ञ में अर्पण अर्थात स्रुवा आदि भी ब्रह्म है, और हवन किये जाने योग्य द्रव्य भी ब्रह्म है, और ब्रह्म रूप कर्ता के द्वारा ब्रह्म रूप अग्नि में आहुति देना रूप क्रिया भी ब्रह्म ही है। उस ब्रह्म कर्म में स्थित रहने वाला योगी द्वारा प्राप्त किये जाने योग्य फल भी ब्रह्म ही है।
2. द्वितीय भोजन मंत्र – Dwitiya Bhojan Mantra
अन्न॑प॒तेन्न॑स्य नो देह्यनमी॒वस्य॑ शु॒ष्मिणः॑ ।
प्रप्र॑ दा॒तार॑न्तारिष॒ऽऊर्ज॑न्नो धेहि द्वि॒पदे॒ चतु॑ष्पदे ।२।
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:
भोजन मंत्र का अर्थ – यह मंत्र यजुर्वेद के ११ अध्याय का ८३ श्लोक है। हे परम पिता परमात्मा, हे नाना विधि अन्नों के दाता! नाना विधि अन्नों को हमें प्रदान कीजिए। रोग रहित व पुष्टिकारक अन्न हमें प्रदान कर ओज प्रदान कीजिए। हे अन्नदाता के मंगलकर्ता! ऐसा विधान कीजिए की प्राणिमात्र को भोजन प्राप्त हो और सभी सुख शांति को प्राप्त करें।
3. तृतीय भोजन मंत्र – Tritiya Bhojan Mantra
ॐ सह नाववतु।
सह नौ भुनक्तु।
सह वीर्यं करवावहै।
तेजस्विनावधीतमस्तु।
मा विद्विषावहै॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:।३।
भोजन मंत्र का अर्थ – यह बहुत प्रसिद्ध मंत्र जिसे स्कूलों में सिखाया जाता है। यह कठोउपनिषद का श्लोक है। इस मंत्र का अर्थ है कि हे सर्व रक्षक परमेश्वर! हम दोनों (गुरू और शिष्य) की साथ साथ रक्षा कीजिए। हम दोनों का साथ साथ पालन कीजिए। हम दोनो साथ साथ शक्ति प्राप्त करें। हम दोनों की पढी हुई शिक्षा ओजमयी हो। हम परस्पर कभी द्वेष न करें। त्रिविध तापों की शाति हो।
भोजन मंत्र के लिए प्रार्थना हिंदी – Bhojan Mantra Hindi
कई बार भोजन मंत्र संस्कृत में उच्चारण करना थोडा कठिन होता है ऐसे में यदि आप चाहे तो मंत्र की जगह पर भोजन प्रार्थना का स्मरण भी करके ईश्वर से निवेदन कर सकते है क्यूंकि ईश्वर तो भाव के भूंखे है फिर वो संस्कृत हो या हिंदी में
अन्न ग्रहण करने से पहले विचार मन मे करना है,
किस हेतु से इस शरीर का रक्षण पोषण करना है।
हे परमेश्वर एक प्रार्थना नित्य तुम्हारे चरणों में,
लग जाये तन मन धन मेरा विश्व धर्म की सेवा में ॥
जैसा हमने उपर बताया था भोजन पूर्ण कर लेने के बाद निचे लिखे हुए मंत्र को पढ़ें क्यूंकि इस मंत्र को भोजन करने के बाद स्मरण किया जाता है :-
अन्नाद् भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसंभवः।
यज्ञाद भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्म समुद् भवः।।
समझिये भोजन मंत्र का महत्त्व क्या है ? Bhojan Mantra Mahatva
आज इस विज्ञानं के युग में भी हमारे पुराने और परिवार के बुजुर्गों की माने तो भोजन एक क्रिया है जो आपके पेट के द्वारा आपके मन और बुद्धि दोनों में विकास के लिए योगदान करती है, आप जिस माहौल में और जिस प्रकार का भोजन करते है आपके अन्दर उसी प्रवत्ति का प्रसार होता है जिसे आप रसायन भी कह सकते है
जब आप भोजन करते है उस समय यदि आप क्रोध करते है तो आपके अन्दर हानिकारक रसायन मतलब राक्षसी प्रवति उत्पन्न होती है और यदि शांत मन से भोजन करते है तो लाभकारक रसायन मतलब शांत प्रवत्ति उत्पन्न होती है जो आपके मन को स्थिरता प्रदान करती है आपके विचारों को प्रचुरता देती है
इसलिए हमारी संस्कृति में भोजन के प्रति सम्मान और भोजन मंत्र का स्मरण करना बताया गया है इससे आपके अन्दर शांत और एकाग्रता का समागम होता है और भोजन का आनंद ले पाते है और इसी कारण आपके अन्दर विषैले रसायन का पतन हो जाता है और भोजन आपके शारीर को पूर्णतः प्राप्त होता है और आप सुखी जीवन को प्राप्त होते है
इस प्रकार आप पूर्णतः समझ गए होंगे भोजन मंत्र और उसका महत्त्व हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना प्रभावशाली है
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