13 जुलाई 2024 वैवस्वत पूजा कब और कैसे करें | Vaivaswat Puja 2024

Vaivaswat Puja 2024 – वैवस्वत पूजा 2024 दिन शनिवार 13 जुलाई को मनाई  जाएगी, लाला रामस्वरूप पंचांग के अनुसार पूजन का शुभ समय प्रातः 7:30 से 10:45 तक रहेगा और द्वितीय समय 12:20 मिनट से 2:00 बजे तक, इस दिन राहुकाल का समय देंखें तो यह प्रातः 10:30 मिनट से चलकर 12:00 बाजे तक रहेगा।

गुरुजनों के कथनानुसार वैवस्वत पूजा के दिन अषाढ़ शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि रहेगी और इस दिन भगवान सूर्य की पूजा और आराधना से मनुष्य के जीवन की सारी परेशानिया दूर होती है जीवन में सुख सौभाग्य और यश की वृद्धि होती है।

वैवस्वत मनु किन्हें कहते है | Vaivaswat Manu Kaun Hai.

विष्णु पुराण के अनुसार जब भगवान सूर्य का विवाह भगवान विश्वकर्मा जी की पुत्री देवी संज्ञा के साथ संपन्न हुआ तो उनके दो पुत्र और एक पुत्री जिनके नाम थे श्राद्धदेव, यम और यमुना।  श्राद्धदेव विवस्वान यानि सूर्य के पुत्र वैवस्वत मनु कहलाये। जिन्हें भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त हुई और मनुष्य के जन्म में उनकी अहम् भूमिका रही।

असाढ़ शुक्ल पक्ष सप्तमी – वैवस्वत पूजा २०२४ की कथा | Vaivaswat Puja

पुराणों के अनुसार राजा सत्यव्रत को भगवान विष्णु जी ने मत्स्य रूप में दर्शन देखर अनुग्रहित किया था और साथ ही उनके एक महत्पूर्ण मनुष्य के उत्थान के लिए चयनित किया था यही कारण है की राजा सत्यव्रत ही वैवस्वत कहलाये। 

हुआ कुछ इस प्रकार भगवान विष्णु ने अपने मत्स्य अवतार में प्रकट होने का कारण वैवस्वत जी को बताया की पृथ्वी में महा प्रलय आने वाली है आज से सातवे दिन सम्पूर्ण भूमि जल प्रलय में जलमग्न हो जाएगी तो इसके भगवान ने सत्यव्रत को स्पष्ट करते हुआ कहा तुमको एक बड़ी सी नौका (नाव) का निर्माण करना है और जैसे जल प्रलय होगी तुमको उसमे सप्तऋषियों सहित, प्राणियों, औषधि और बीजों के उस नौका में चढ़ जाना है। 

जैसा भगवान ने बताया वैसा ही हुआ जल प्रलय हुआ और नौका में चढ़े हुआ सभी की रक्षा भगवान विष्णु ने मत्स्य के रूप में की जब जलप्रलय में भीषण और प्रचंड रूप का तूफ़ान आया नौका डगमगाने लगी तो प्रभु ने नौका का भर अपने उपर लिया और नौका को ले जाकर हिमालय की सबसे ऊँची शिकार से नौकबंद कर कर दिया और प्रलय समाप्त होने के बाद भगवान विष्णु ने जिन वेदों की रक्षा अपने मुह में रख कर करी थी उनको सत्यव्रत को दी और ज्ञान दिया तभी राजा सत्यव्रत वैवस्वत मनु कहलाये। 

इसी कथा की मान्यतानुसार वैवस्वत मनु की पूजा असाढ़ शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को की जाती है और इस दिन पूजन करने वाले के सारे कष्ट समाप्त हो जाते है जीवन से सुख समृद्धि बढती है।


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