श्री बृहस्पति देव की आरती (Shri Brihaspati Dev Ji Ki Aarti)

(Shri Brihaspati Dev Ji Ki Aarti) – हमारे हिन्दू पुराणों और ग्रंथों के अनुसार मनुष्यों के साथ देवताओ में भी गुरु श्रेष्ठ, और बृहस्पति देव को देवताओ का गुरु मन गया है बृहस्पति देव का दिन होता है गुरुवार यानि की बृहस्पतिवार और इसदिन गुरुवार की कथा के बाद बृहस्पति देव की आरती मुख्यरूप से की जाती है तो चलिए स्मरण करते है गुरुवार की व्रत कथा आरती:-

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श्री बृहस्पति देव की आरती (Shri Brihaspati Dev Ji Ki Aarti)

जय वृहस्पति देवा,
ऊँ जय वृहस्पति देवा ।
छिन छिन भोग लगा‌ऊँ,
कदली फल मेवा ॥

ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥

तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी ।
जगतपिता जगदीश्वर,
तुम सबके स्वामी ॥

ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥

चरणामृत निज निर्मल,
सब पातक हर्ता ।
सकल मनोरथ दायक,
कृपा करो भर्ता ॥

ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥

तन, मन, धन अर्पण कर,
जो जन शरण पड़े ।
प्रभु प्रकट तब होकर,
आकर द्घार खड़े ॥

ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥

दीनदयाल दयानिधि,
भक्तन हितकारी ।
पाप दोष सब हर्ता,
भव बंधन हारी ॥

ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥

सकल मनोरथ दायक,
सब संशय हारो ।
विषय विकार मिटा‌ओ,
संतन सुखकारी ॥

ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥

जो को‌ई आरती तेरी,
प्रेम सहित गावे ।
जेठानन्द आनन्दकर,
सो निश्चय पावे ॥

ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥

सब बोलो विष्णु भगवान की जय ।
बोलो वृहस्पतिदेव भगवान की जय ॥

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Shri Brihaspati Dev Ji Ki Aarti (श्री बृहस्पति देव की आरती)

Jai Brihaspati Deva,
Om Jai Vrhaspati Deva ।
Chhin Chhin Bhog Laga‌on,
Kadli Phal Meva ॥
॥ Om Jai Vrhaspati Deva..॥

Tum Puran Paramatma,
Tum Antaryami ।
Jagatapita Jagadishvar,
Tum Sabake Swami ॥
॥ Om Jai Vrhaspati Deva..॥

Charanamrt Nij Nirmal,
Sab Patak Harta ।
Sakal Manorath Dayak,
Kripa Karo Bharta ॥
॥ Om Jai Vrhaspati Deva..॥

Tan, Man, Dhan Arpan Kar,
Jo Jan Sharan Pade ।
Prabhu Prakat Tab Hokar,
Aakar Dwar Khade ॥
॥ Om Jai Vrhaspati Deva..॥

Deenadayal Dayanidhi,
Bhaktan Hitakari ।
Paap Dosh Sab Harta,
Bhav Bandhan Haree ॥
॥ Om Jai Vrhaspati Deva..॥

Sakal Manorath Dayak,
Sab Sanshay Haro ।
Vishay Vikar Mita‌o,
Santan Sukhakari॥
॥ Om Jai Vrhaspati Deva..॥

Jo Koi Aarti Teri,
Prem Sahit Gave ।
Jethanand Aanandakar,
So Nishchay Pave ॥
॥ Om Jai Vrhaspati Deva..॥

Sab Bolo Vishnu Bhagawan Ki Jai ॥
Bolo Brihaspati Bhagawan Ki Jai ॥


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