जन्माष्टमी (छठी महोत्सव) | Janmashtami Chatti Mahotsav

(Janmashtami Chatti Mahotsav) कृष्ण जन्माष्टमी त्यौहार, श्री हरी विष्णु के आठवें अवतार भगवन श्री कृष्ण के अवतरण दिवस के रूप में यह त्यौहार बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। यह वैष्णवी हिन्दू प्रथा से सम्बंधित है। इस त्यौहार में भगवान श्री कृष्ण के जीवन के दृश्यों को नाटक के रूप में प्रस्तुति, उपवास, भागवत पुराण कथा, रस लीला / कृष्णा लीला जैसे माध्यमों द्वारा मध्यरात्रि तक प्रायोजित किया जाता है, जैसा कि मध्यरात्रि को भगवान श्री कृष्ण का अवतरण समय माना जाता है।

जन्माष्टमी 2024: सोमवार, 26 अगस्त 2024, यह दिन हर एक हिन्दू सम्प्रदाए के लोगों में लोकप्रिय है, फिर वो चाहे हो भारत का मध्य हो या उत्तर सही राज्यों में बढ़ी धूम धाम देखने को मिलती विशेष कर वृन्दावन धाम में तो इसको एक अलौकिक रूप से मनाया जाता है। चलिए इस भाग में आगे बढ़ते है जय श्री कृष्णा !!

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जन्माष्टमी 2024 का शुभ मुहूर्त:

जन्माष्टमी, अष्टमी तिथि 26 अगस्त की प्रातः 3:39 बजे से शुरू हो रही है और 27 अगस्त की प्रातः 2:19 बजे समाप्त हो जाएगी।

जन्माष्टमी व्रत का संकल्प कैसे करें?

यह एक महत्वपूर्ण दिन है श्री कृष्णा जन्माष्टमी के दिन ब्रम्ह काल में उठकर स्नानादि से न्रिव्रत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और प्रभु के सामने स्थान लेकर प्रभु से प्रार्थना ‘ऊँ क्लीं कृष्णाय नम:‘ कृष्णजी की विशेष कृपा पाने के लिए आप जन्माष्टमी पर इस मंत्र का जाप कर सकते है। ‘ऊँ श्री कृष्णाय शरणं मम्’ जीवन में सुख-शांति और संकट की घड़ी से बाहर निकलने के लिए कान्हा के इन मंत्रों का जाप बेहद शुभ माना जाता है। फिर हाथ में जल, तुलसी की पत्तियां और चावल फूल लेकर यह संकल्प करें और व्रत के दौरान की गई किसी भी गलती के लिए पहले से क्षमा मांग लें। पूरा दिन व्रत रखें एवं रात्रि 12 बजे कृष्ण की पूजा कर व्रत पूर्ण करें और फल फूल इत्यादि ग्रहण करें।

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जन्माष्टमी व्रत पर कैसे करें पूजा:

जन्माष्टमी के दिन स्नान आदि करके मंदिर की सफाई करें।
इसके बाद सभी देवताओं का आह्वान करते हुए दीप प्रज्ज्वलित करें।
फिर बाद में श्रीकृष्ण की पूजा शुरू करें, श्रीकृष्ण का जल से अभिषेक करें, श्रृंगार करें और भोग लगाएं। फिर ठाकुर जी का झूला झुलायें।
फिर रात का इंतजार करते हुए दिन भर कृष्ण मंत्रों का जाप करें। रात 12 बजे भगवान का जन्मदिन मनाएं।
कान्हा को दूध, दही, घी, शहद, पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराएं।
अंत में बाल गोपाल की आरती करते हुए मंगल गीत गाएं।

संबंधित अन्य नामश्री कृष्ण जन्माष्टमी, कृष्ण जन्माष्टमी, कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, कन्हैया अष्टमी, कन्हैया आठें, श्री कृष्ण जयंती, श्रीजी जयंती
शुरुआत तिथिभाद्रपद कृष्ण अष्टमी
कारणभगवान श्री कृष्ण का अवतरण दिवस
उत्सव विधिरास लीला, दही हांडी, पतंगबाजी

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जन्माष्टमी (छठी महोत्सव) | Janmashtami Chatti Mahotsav

FAQ – जन्माष्टमी (छठी महोत्सव) | Janmashtami Chatti Mahotsav

कृष्णा जन्माष्टमी 26 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी ?

इस त्योहार के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के जन्मस्थान मथुरा-वृंदावन में मुख्य रूप से रास लीला का आयोजन किया जाता है। रास का अर्थ सौंदर्य, भावना या मिठाई और लीला नाटक या नृत्य या अधिक व्यापक रूप से इसे ईश्वरीय प्रेम का नृत्य कहते है। कृष्ण जन्माष्टमी को कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, कन्हैया अष्टमी, कन्हैया आठें, श्री कृष्ण जयंती और श्रीजी जयंती प्रमुख नामों से भी जाना जाता है।जन्माष्टमी बांग्लादेश में एक राष्ट्रीय अवकाश है, और बांग्लादेश ढाकेश्वरी मंदिर, ढाका के राष्ट्रीय मंदिर से शुरू होता है। और श्री स्वामीनारायण मंदिर, कराची पाकिस्तान में भी मनाया जाता है।

दही हांड़ी 27 August 2024 को मनाई जाएगी ?

दही हांड़ी उत्सव मुख्यतया भारतीय राज्य महाराष्ट्र और गुजरात मे धूम-धाम से मनाया जाता है। दही यानी (curd) और हांड़ी का मतलब मिट्टी से बने पात्र जैसे मटका / मटकी को कहा जाता है।
मथुरा के राजा कंस द्वारा किए गये अत्याचार, जिसमे प्रजा द्वारा सभी दूध उत्पाद का ज़रूरत से ज़्यादा माँग के विरोध स्वरूप। बाल्य काल मैं भगवान श्री कृष्ण अपने ग्वाला टोलियों के साथ घर-घर जाकर दूध से बने उत्पाद जैसे – दही, मक्खन आदि को लेकर अपने ग्वाला दोस्तों मैं बाँट दिया करते थे। इस विरोध स्वरूप प्रारंभ हुआ दही-हंडी महोत्सव।

छठी महोत्सव 31 August 2024 को मनाया जायेगा ?

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के छह दिन बाद, बाल गोपाल श्री कृष्ण का छठी महोत्सव मनाया जाता है। जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव तथा छठी पूजन नामकरण उत्सव के रूप मे मनाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण की छठी वाले दिन लोग अपने आराध्य का अपनी इच्छा के अनुसार नया नाम भी रखते हैं, जैसे माधव, लड्डू गोपाल, ठाकुरजी आदि। भगवान कृष्ण की छठी के दिन उन्हें पीले रंग के वस्त्र पहिनाए जाते हैं, तथा माखन-मिश्री का भोग लगाया जाता है, तथा भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की ही पूजा-अर्चना की जाती है।


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