श्री गणेश जी देवताओं में सर्वप्रथम पूजनीय हैं। इसके पीछे अनेक पौराणिक कथाएँ मिलती हैं। कहीं शिवजी ने ऐसा वर दिया है तो कहीं विष्णु भगवान ने। आज हम इस लेख के माध्यम से आपको बताएँगे की गणेश पूजन सर्वप्रथम होने का कारण क्या है (Ganesh Puja) तो आइये लेख में आगे बढें
क्या आप जानते है देवताओ में सर्व्प्रतम पूजन का अधिकारी कौन है इसके लिए कई कालों तक चर्चाएं हुई और इसी बीच एक महिमा हुई और देवताओं में अग्रगण्य होने का वर गणेश जी को उन्हें पिता श्री शंकर भगवान ने ही दिया है। इसी की एक पौराणिक कथा भी है
एक बार देवताओं में परस्पर विचार-विमर्श हो रहा था कि सर्वप्रथम पूजा किसकी होनी चाहिए। सभी ने निश्चय किया कि ब्रह्माण्ड की परिक्रमा करके जो सबसे पहले लौटेगा उसी को सबसे पहले पूजनीय माना जाएगा। यह निश्चय होते ही सभी देवगण अपने-अपने वाहनों पर सवार होकर चल दिये ।
कोई भैंसे पर, कोई सिंह पर, कोई अश्व पर, कोई उल्लू पर तो कोई मोर पर। गणेश जी भी अपने चूहे पर सवार होकर चल दिये क्यूंकि उनको पता था मेरा वाहन तो चूहा है यह कैसे इतनी जल्दी परिक्रमा पूर्ण कर पायेगा। उनके माता-पिता शिव-पार्वती कैलाश पर्वत पर विराजमान थे। गणेश जी वहीं पहुंचे और उनकी परिक्रमा करने लगे। जब देवता ब्रह्माण्ड की परिक्रमा करके लौटे तो गणेश जी को वहीं पर पहले से उपस्थित पाया।
जब इसका रहस्य पूछा गया तो गणेश जी ने बताया कि मैंने तो महादेव शंकर जी और माँ पार्वती की परिक्रमा को ब्रह्माण्ड की परिक्रमा से बढ़कर माना है । भगवान शंकर ने इस बात का समर्थन किया और देवताओं ने भी इसे स्वीकार कर लिया कि जब भी पूजा-पाठ या कोई भी अनुष्ठान हो तो गणेश जी की पूजा सर्वप्रथम की जायेगी ।
पुराणों में भी गणेश जी को विघ्न-विनाशक, मंगलदायक माना है । अतः सभी कार्यों व पूजा के समय उन्हीं की सर्वप्रथम पूजा की जाती है जिससे किये जाने वाले कार्य में कोई विघ्न न आ सके । बड़े-बड़े विद्वानों ने भी यह स्वीकार किया है। श्री गणेश जी परमात्मा स्वरूप हैं पूजे जाने लगे एवं हर मनुष्य के लिए गणेश पूजन सर्वप्रथम करना फलदायक है।
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