श्री गणेश जी का स्वरूप गजानन के रूप में ही अधिकाशंतः प्रतिष्ठित है। हाथी जैसी सूँड, एक दाँत और चार हाथों वाला उनका रूप माना जाता है । भारत में अधिकांश हिन्दू इसी रूप में उनका ध्यान करते हैं। (Ganesh ji Gajanan)
गणेशजी को पार्वती का पुत्र माना जाता है। उनके जन्म के संबंध में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं। जैसे-ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार जब उनका जन्म हुआ था तो शनि की दृष्टि पड़ने से उनका सिर कट गया था, जिस पर भगवान विष्णु ने एक हाथी का सिर काटकर उस बालक के सिर के स्थान पर जोड़ दिया था जिससे उनको सर्वप्रथम पूजन का अधिकार मिला। उपरोक्त पुराण में ही उनके एकदन्त हो जाने का वर्णन है।
एक बार परशुरामजी शिव-पार्वती के दर्शन हेतु पधारे । कैलाश पार्वत पर शिव-पार्वती सो रहे थे, बाहर गणेश जी विराजमान थे । गणेश जी ने परशुरामजी को अन्दर जाने से रोक दिया । इस पर परशुराम जी को क्रोध आ गया और उन्होंने अपने फरसे से उनका दाँत काट डाला। तभी से वे एकदन्त हैं ।
अनेक देशों और अनेक धर्मों में गणेश जी को प्रथम पूज्य देवता माना जाता है। विवाह, भवन मुहूर्त आदि प्रत्येक मांगलिक कार्य में सर्वप्रथम गणपति पूजन करते हैं चाहे व्यक्ति किसी भी धर्म से सम्बन्धित हो । बौद्ध धर्म में श्वेत हाथी को पवित्र और पूजनीय माना जाता है । शैव, शाक्त, वैष्णव सभी सम्प्रदायों के हिन्दू सर्वप्रथम गणेश वंदना करते हैं। बर्मा, जावा, सुमात्रा, नेपाल, तिब्बत, चीन, भूटान, लंका, मारीशस में भी भगवान श्री गणेश जी की पूजा की जाती है।
भगवान श्री गणेश की सवारी ‘चूहा’ माना जाता है । उनका प्रिय भोजन लड्डू है। उनको लड्डू का ही भोग लगाया जाता है ।
गणेश जी ऐसे देवता माने जाते हैं जो सभी कल्पों में उत्पन्न होते रहते हैं । प्रत्येक बार उनका जन्म भिन्न-भिन्न प्रकार से हुआ है । पुराणों में गणेशजी के जन्म के सम्बन्ध में अनेक कथाएँ प्रचलित हैं। प्रत्येक युग में गणेश जी देवताओं में अग्रगण्य रहे हैं और सबसे पहले पूजा की जाती है।
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