दुर्गा पूजन-सहस्त्रनाम पाठ विधि (Durga Puja and Sahasranama Path Vidhi)

रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदासजी ने लिखा है-

छिति जल पावक गगन समीरा ।

पंच रचित अति अधम शरीरा ॥ (किष्किन्धा काण्ड ११/४)

श्रीराम ने कहा-पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु इन पाँच तत्वों से यह अधम शरीर रचा गया है । अतः प्रत्येक पूजा कार्य इन्हीं पाँच तत्वों की साक्षी में आरंभ किया जाता है ।

आकाश में सूर्य व चन्द्रदेव साक्षी होते हैं। वायु अदृश्य साक्षी होती है। पृथ्वी पर शुद्ध आसन बिछाकर जल का कलश रखकर दीपक अगरबत्ती प्रज्ज्वलित कर पूजा कार्य आरंभ किया जाता है। सबसे पहले गणेश पूजन आरंभ किया जाता है । गणेश पूजन सम्बन्धित विस्तृत जानकारी गणेश सहस्त्रनाम पुस्तक में दी गई है। गणेश पूजन से पहले वरुणपूजन फिर गणेश पूजन तथा नवग्रह षोडशमातृ का पूजन लक्ष्मी सहस्त्रनाम में वर्णित विधि के पश्चात् अग्रवर्णित दुर्गा पूजन आरंभ करना है। श्री दुर्गा पूजन विधि पढ़ें


पांच तत्व कौन से है ?

पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु

भगवानम डॉट कॉम पर हमने आपके लिए कुछ नए भाग भी जोडें है जिससे आपको और भी अन्य जानकारियां प्राप्त होती रहे जैसे | पौराणिक कथाएं | भजन संध्या | आरती संग्रह | व्रत कथाएं | चालीसा संग्रह | मंत्र संग्रह | मंदिर संग्रह | ब्लॉग | इन्हें भी पढ़ें और अपने विचार हमें कमेंट में बताये जिससे हम समय पर अपडेट करते रहे। हमसे जुड़ने के लिए फॉलो करें यू ट्यूब चेनल, इन्स्टाग्राम और फेसबुक से।

Scroll to Top