20 अक्टूबर 2024 रविवार, सनातन पंचांग के नक्षत्र अनुसार, कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ व्रत रखा जाता है। इस वर्ष यह तिथि 20 अक्टूबर 2024 रविवार को पड़ रही है। (Karwa Chauth Vrat Katha)
दिनांक- 20 अक्टूबर 2024
दिन वार——: रविवार
हिंदी महीना—: कार्तिक
पक्ष——–: कृष्ण पक्ष
तिथि——–: चतुर्थी
इसे भी पढ़ें – करवा चौथ व्रत कथा कहानी –
करवा चौथ पूजा मुहूर्त-:
- 20 अक्टूबर 2024 रविवार, समय शाम 05:46 से शाम 06:54 तक
- अवधि-: 01 घंटा 08 मिनट/
🌙चंद्रोदय (दिल्ली)-:
- 20 अक्टूबर 2024, रविवार, शाम 07:54 बजे पर
पहली बार करवा चौथ व्रत करने के नियम-: (Karwa Chauth Vrat Niyam)
सोलह श्रृंगार-:
- करवा चौथ का व्रत पति की लंबी उम्र की कामना के लिए किया जाता है। ऐसे में करवा चौथ के दिन सोलह श्रृंगार अवश्य करें, जैसे कि हाथों में मेहंदी लगाएं और पूरा श्रृंगार करें। मान्यता है कि ऐसा करने से चौथ माता प्रसन्न होकर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं।
लाल रंग के कपड़े-:
- करवा चौथ के दिन लाल रंग के कपड़े पहनना बेहद शुभ माना जाता है। जो महिलाएं पहली बार यह व्रत करने जा रही हैं, उन्हें शादी का जोड़ा पहनना चाहिए। हालांकि लाल रंग की कोई अन्य ड्रेस भी पहनी जा सकती है। लेकिन काले,नीले, भूरे या सफ़ेद रंग के कपड़े न पहनें।
बाया-:
- जो महिलाएं पहली बार करवा चौथ का व्रत करती हैं, उनके मायके से बाया भेजा जाता है। जिसमें कपड़े, मिठाइयां एवं फल आदि होते हैं। शाम की पूजा से पहले बाया पहुँच जाना चाहिए।
व्रत पारण-:
- पूजा, चंद्र दर्शन और अर्घ्य देने के बाद प्रसाद ग्रहण करें और अपने पति के हाथों से पानी पीकर व्रत का पारण करें। रात में सिर्फ़ सात्विक भोजन ही करें। प्याज़, लहसुन जैसे तामसिक व गरिष्ठ भोजन के सेवन से परहेज करें।
संयमित वार्तालाप व प्रभु स्मरण-:
- व्रत के दिन ज्यादा से ज्यादा मौन रहे, अनर्गल वार्तालाप ना करें, कम बोलें। प्रभु का ध्यान स्मरण करें, नाम जप व मंत्र जप करें।
पारिवारिक परंपराओं को महत्व दें-:
- करवा चौथ के व्रत के नियमों का पालन अपनी पारिवारिक व क्षेत्रीय परंपराओं के आधार पर करें। अर्थात अपने पारिवारिक परंपराओं को महत्व दें।।
करवा चौथ की पूजन सामग्री (Pujan Samagri List)
चंदन, शहद, धूप, माचिस, पुष्प (लाल और पीले), कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मिठाई, गंगाजल, शुद्ध जल, कुंकू, अक्षत (चावल), सिंदूर, मेहंदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, शक्कर, हल्दी, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी की चौकी, चलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलवा, दक्षिणा (दान) के लिए पैसे, आदि।
करवा चौथ की पूजन विधि (Karwa Chauth 2024 Puja Vidhi)
करवा चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। फिर सरगी ग्रहण करें। इसके बाद निर्जला व्रत का संकल्प लें। फिर भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर दिन की शुरुआत करें। मंदिर में शिव परिवार की विधिवत पूजा करें। उन्हें पुष्प, फल, मिठाई और मेवे आदि अर्पित करें। करवा चौथ की व्रत कथा का पाठ करें या सुनें। शाम के समय फिर से पूजा की तैयारी शुरू कर दें। एक पूजा थाली लें और उसमें फूल, फल, मिठाई, धूप-दीप, रोली आदि रखें।
इसके पश्चात करवा लें और उसमें चावल भरकर उसे दक्षिणा के रूप में रख दें। चांद निकलने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें। फिर छन्नी में जलता हुआ दीपक रखें और चंद्र दर्शन करें। इसके बाद उसी छन्नी से अपने पति का मुख देखें। फिर पति के हाथों से पानी पीकर अपना व्रत खोलें।
पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमायाचना करें। घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें। फिर पूजन में उपयोग की गई शृंगार की सामग्री और करवा को सास या किसी सुहागिन स्त्री को दे दें और उनका भी आशीर्वाद लें। अंत में सात्विक भोजन ग्रहण करें।
करवा चौथ 2024 पर चंद्रमा को अर्घ्य मंत्र के उच्चारण के साथ दे
शुद्ध जल में कच्चा दूध, गंगाजल, अक्षत, फूल आदि चीजें मिलाकर चंद्र देव को भाव अनुसार अर्घ्य दें। अर्घ्य देने के दौरान अर्घ्य मंत्र का उच्चारण करें।
गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते।
गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥
करवा चौथ क्या है?
करवा चौथ एक पारंपरिक हिंदू त्योहार है जिसे मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। इस दिन, विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए सूर्योदय से लेकर चंद्रमा के दर्शन तक उपवास करती हैं। व्रत रखने वाली महिलाएं पानी और अन्न ग्रहण नहीं करतीं और रात में चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत तोड़ती हैं।
करवा चौथ किस दिन मनाया जाता है?
करवा चौथ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में आती है। यह दिवाली से लगभग नौ दिन पहले मनाया जाता है।
करवा चौथ व्रत की पूजा विधि क्या है?
करवा चौथ के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी खाती हैं, जो सास द्वारा दी गई होती है। दिनभर निर्जल व्रत रखा जाता है, और शाम को करवा माता की पूजा की जाती है। इसके बाद महिलाएं छलनी से चंद्रमा और अपने पति को देखती हैं, फिर पति के हाथों से पानी पीकर व्रत तोड़ती हैं।
सरगी क्या होती है और इसका क्या महत्व है?
सरगी एक विशेष भोजन है जो करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले खाया जाता है। इसे सास अपनी बहू को देती है, जिसमें फल, मिठाई, सूखे मेवे, और पराठे होते हैं। सरगी खाने से महिलाओं को पूरे दिन व्रत करने में सहायता मिलती है।
करवा चौथ व्रत कौन रख सकता है?
करवा चौथ व्रत मुख्य रूप से विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं, लेकिन आजकल कुछ अविवाहित महिलाएं भी अपने भावी जीवनसाथी के लिए इस व्रत को रखती हैं। इसके अलावा, कुछ पुरुष भी अपनी पत्नियों के साथ इस व्रत को रखने लगे हैं।
करवा चौथ के दिन चंद्रमा निकलने का समय कब होता है?
चंद्रमा निकलने का समय स्थान और साल के आधार पर अलग-अलग होता है। आमतौर पर, यह समय रात के 8:00 बजे से लेकर 9:30 बजे तक होता है, लेकिन स्थानीय पंचांग से सही समय जानना चाहिए।
करवा चौथ की कथा क्या है?
करवा चौथ से जुड़ी कई कथाएं हैं, लेकिन सबसे प्रसिद्ध कथा वीरवती की है, जो एक समर्पित पत्नी थी। उसकी कहानी में, वीरवती अपने भाइयों की चाल से पहले चंद्रमा देखकर व्रत तोड़ती है, जिससे उसके पति की मृत्यु हो जाती है। हालांकि, उसकी भक्ति और करवा माता के आशीर्वाद से उसका पति पुनर्जीवित होता है।
करवा चौथ के व्रत में क्या खाएं और क्या न खाएं?
करवा चौथ पर व्रत से पहले सरगी में पौष्टिक और हल्का भोजन करना चाहिए। दिनभर निर्जल व्रत के बाद चंद्र दर्शन के बाद हल्का और आसानी से पचने वाला खाना खाया जाता है। व्रत के दौरान तैलीय, मसालेदार, और भारी भोजन से बचना चाहिए।
क्या गर्भवती महिलाएं करवा चौथ का व्रत रख सकती हैं?
गर्भवती महिलाओं को अपनी सेहत का ध्यान रखते हुए करवा चौथ का व्रत रखने के बारे में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। अगर व्रत रखना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो, तो वे व्रत का पालन बिना उपवास किए भी कर सकती हैं, जैसे कि केवल फल या हल्का भोजन करना।
करवा चौथ का महत्व क्या है?
करवा चौथ का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। यह न केवल पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत करता है, बल्कि पारिवारिक एकता, प्रेम, और समर्पण का प्रतीक भी है। इस दिन महिलाएं करवा माता से अपने पति के दीर्घ जीवन और सौभाग्य की कामना करती हैं।
भगवानम डॉट कॉम पर हमने आपके लिए कुछ नए भाग भी जोडें है जिससे आपको और भी अन्य जानकारियां प्राप्त होती रहे जैसे | पौराणिक कथाएं | भजन संध्या | आरती संग्रह | व्रत कथाएं | चालीसा संग्रह | मंत्र संग्रह | मंदिर संग्रह | ब्लॉग | नवरात्रि विशेष | आज की तिथि | आज का पंचांग | माता के भजन | इन्हें भी पढ़ें और अपने विचार हमें कमेंट में बताये जिससे हम समय पर अपडेट करते रहे। हमसे जुड़ने के लिए फॉलो करें यू ट्यूब चेनल, इन्स्टाग्राम और फेसबुक से।