इस वर्ष दिवाली 31 अक्टूबर 2024 को मनाई जा रही है, इस अवसर में जानिए कैसे करें दिवाली की सरल पूजा विधि के साथ तो आइये जानते है (Diwali Puja Vidhi).
दिवाली पूजा विधि | (Diwali Puja Vidhi)
1. ईशान कोण या उत्तर दीशा में साफ सफाई करके स्वास्तिक बनाएं। उसके उपर चावल की ढेरी रखें। अब उसके उपर लकड़ी का पाट बिछाएं। पाट के उपर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर रखें। तस्वीर में गणेश और कुबेर की तस्वीर भी हो। माती के दाएं और बाएं सफेद हांथी का चित्र भी होना चाहिए
2. पूजन के समय पंचदेव की स्थापना जरूर करें। सूर्यदेव, श्री गणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु को पंचदेव कहा गया है। इसके बाद धूप-दीप चलाएं। सभी मूर्ति और तस्वीरों को जल छिड़ककर पवित्र करें।
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3. अब खुद कुश के आसन पर बैठकर माता लक्ष्मी की षोडशोपचार पूजा करें। अर्थात 16 क्रियाओं से पूजा करें। पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, आचमन, ताम्बुल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार। पूजन के अंत में सांगता सिद्धि के लिए दक्षिणा भी चढ़ाना चाहिए।
4. माता लक्ष्मी सहित सभी के मस्तक पर हलदी कुंकू, चंदन और चावल लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं। पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी अंगुली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी आदि) लगाना चाहिए। इसी तरह उपरोक्त षोडशोपचार की सभी सामग्री से पूजा करें। पूजा करते वक्त उनके मंत्र का जाप करें।
मंत्र – इन दो मन्त्रों का जाप अवश्य करें :-
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः ।
ॐ महालक्ष्म्यै नमो नमः धनप्रदायै नमो नमः विश्वजनन्यै नमो नमः।
5. पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है। इस दिन लक्ष्मीजी को मखाना, सिंघाड़ा, बताशे, ईख, हलुआ, खीर, अनार, पान, सफेद और पीले रंग के मिष्ठान्न, केसर- भात आदि अर्पित किए जाते हैं। पूजन के दौरान 16 प्रकार की गुजिया, पपड़ियां, अनर्सा, लड्डू भी चढ़ाएं जाते हैं। आह्वान में पुलहरा चढ़ाया जाता है। इसके बाद चावल, बादाम, पिस्ता, छुआरा, हल्दी, सुपारी, गेंहूं, नारियल अर्पित करते हैं। केवड़े के फूल और आम्रबेल का भोग अर्पित करते हैं।
6. पूजा करने के बाद अंत में खड़े होकर उनकी आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन किया जाता है। पूजा के बाद कपूर आरती जरूर करें। कर्पूर गौरम करुणा का श्लोक बोलें। आरती को सबसे पहले उसे अपने आराध्य के चरणों की तरफ चार बार, इसके बाद नाभि की तरफ दो बार और अंत में एक बार मुख की तरफ घुमाएं। ऐसा कुल सात बार करें। आरती करने के बाद उस पर से जल फेर दें और प्रसाद स्वरूप सभी लोगों पर छिड़कें।
7. मुख्य पूजा के बाद अब मुख्य द्वार या आंगन में दीये जलाएं। एक दीया यम के नाम का भी जलाएं। रात्रि में घर के सभी कोने में भी दीए जलाएं।
8. पूजा और आरती के बाद ही किसी से मिलने जाएं, मिठाई बांटे या पटाखें फोड़े।
9. घर में या मंदिर में जब भी कोई विशेष पूजा करें तो अपने इष्टदेव के साथ ही स्वस्तिक, कलश, नवग्रह देवता, पंच लोकपाल, षोडश मातृका, सप्त मातृका का पूजन भी किया जाता। लेकिन विस्तृत पूजा तो पंडित ही करता है अतः आप ऑनलाइन भी किसी पंडित की मदद से विशेष पूजा कर सकते हैं। विशेष पूजन पंडित की मदद से ही करवाने चाहिए, ताकि पूजा विधिवत हो सके।
इस प्रकार की सरल विधि द्वारा पूजन करने से माता लक्ष्मी की पूजा सम्पूर्ण होगी और माता जी का आशीर्वाद आपके उपर बना रहेगा
दिवाली की हार्दिक शुभकामनाये – शुभ दीपावली –
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