पुष्पांजलि का अर्थ है फूलों से भरी हुई अंजलि जो किसी देवता अथवा महापुरुष को अर्पित की जाती है। (Mantra Pushpanjali Lyrics)
- सबसे पहले स्नान और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- भगवान की मूर्ति या तस्वीर के सामने एकत्रित होकर दीपक जलाएं।
- अपने दाहिने हाथ से पुष्प लेकर पुष्पांजलि मंत्र का जाप करें।
- मंत्र समाप्त होने के बाद भगवान के चरणों में पुष्प समर्पित करें।
मंत्र पुष्पांजलि प्रायः धार्मिक अनुष्ठान गृह प्रवेश, विशेष पूजन या किसी भी विशेष महापुरुष या गुरु के श्री चरणों में स्तुति के समय पूजन के पहले भी और पूजन आरती के बाद पुष्पांजलि मंत्र उच्चारण के साथ पुष्प माला अर्पित की जाती है जिससे पूजन पूर्ण होता है
प्रथम पुष्पांजली मंत्र
ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तनि धर्माणि प्रथमान्यासन् ।
ते ह नाकं महिमान: सचंत यत्र पूर्वे साध्या: संति देवा: ॥
द्वितीय पुष्पांजली मंत्र
ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने।
नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे।
स मस कामान् काम कामाय मह्यं।
कामेश्र्वरो वैश्रवणो ददातु कुबेराय वैश्रवणाय।
महाराजाय नम: ।
तृतीय पुष्पांजली मंत्र
ॐ स्वस्ति, साम्राज्यं भौज्यं स्वाराज्यं
वैराज्यं पारमेष्ट्यं राज्यं महाराज्यमाधिपत्यमयं ।
समन्तपर्यायीस्यात् सार्वभौमः सार्वायुषः आन्तादापरार्धात् ।
पृथीव्यै समुद्रपर्यंताया एकराळ इति ॥
चतुर्थ: पुष्पांजली मंत्र
ॐ तदप्येषः श्लोकोभिगीतो।
मरुतः परिवेष्टारो मरुतस्यावसन् गृहे।
आविक्षितस्य कामप्रेर्विश्वेदेवाः सभासद इति ॥
॥ मंत्रपुष्पांजली समर्पयामि ॥
पुष्पांजलि मंत्र अर्थ सहित – Mantra Pushpanjali meaning
ॐ यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तनि धर्माणि प्रथमान्यासन् ।
ते ह नाकं महिमान: सचंत यत्र पूर्वे साध्या: संति देवा: ॥
भावार्थ – देवों ने यज्ञ के द्वारा यज्ञरुप प्रजापती का पूजन किया। यज्ञ और तत्सम उपासना के वे प्रारंभिक धर्मविधि थे। जहां पहले देवता निवास करते थे (स्वर्गलोक में) वह स्थान यज्ञाचरण द्वारा प्राप्त करके साधक महानता (गौरव) प्राप्त करते हैं।
ॐ राजाधिराजाय प्रसह्य साहिने।
नमो वयं वैश्रवणाय कुर्महे।
स मस कामान् काम कामाय मह्यं।
कामेश्र्वरो वैश्रवणो ददातु कुबेराय वैश्रवणाय।
महाराजाय नम: ।
भावार्थ – हमारे लिए सब कुछ अनुकुल करने वाले राजाधिराज वैश्रवण कुबेर को हम वंदन करते हैं। वो कामनेश्वर कुबेर मुझ कामनार्थी की सारी कामनाओं को पूरा करें।
ॐ स्वस्ति, साम्राज्यं भौज्यं स्वाराज्यं
वैराज्यं पारमेष्ट्यं राज्यं महाराज्यमाधिपत्यमयं ।
समन्तपर्यायीस्यात् सार्वभौमः सार्वायुषः आन्तादापरार्धात् ।
पृथीव्यै समुद्रपर्यंताया एकराळ इति ॥
भावार्थ – हमारा राज्य सर्व कल्याणकारी राज्य हो। हमारा राज्य सर्व उपभोग्य वस्तुओं से परिपूर्ण हो। यहां लोकराज्य हो। हमारा राज्य आसक्तिरहित, लोभरहित हो। ऐसे परमश्रेष्ठ महाराज्य पर हमारी अधिसत्ता हो। हमारा राज्य क्षितिज की सीमा तक सुरक्षित रहें। समुद्र तक फैली पृथ्वी पर हमारा दीर्घायु अखंड राज्य हो। हमारा राज्य सृष्टि के अंत तक सुरक्षित रहें।
ॐ तदप्येषः श्लोकोभिगीतो।
मरुतः परिवेष्टारो मरुतस्यावसन् गृहे।
आविक्षितस्य कामप्रेर्विश्वेदेवाः सभासद इति ॥
॥ मंत्रपुष्पांजली समर्पयामि ॥
भावार्थ – राज्य के लिए और राज्य की कीर्ति गाने के लिए यह श्लोक गाया गया है। अविक्षित के पुत्र मरुती, जो राज्यसभा के सर्व सभासद है ऐसे मरुतगणों द्वारा परिवेष्टित किया गया यह राज्य हमें प्राप्त हो यहीं कामना।
इसे भी पढ़ें – दीप प्रज्वलन मंत्र: o प्रतिदिन पूजन मंगलाचरण स्तोत्र o श्री दुर्गा पूजा – प्रातः स्मरण मंत्र o दुर्गा पूजा पुष्पांजली मंत्र श्लोक o पुष्पांजलि मंत्र
पुष्पांजलि (Mantra Pushpanjali Lyrics) से जुड़े कुछ प्रश्न :-
पुष्पांजलि मंत्र क्या है?
पुष्पांजलि मंत्र वह मंत्र है जो देवी-देवताओं को पुष्प अर्पित करने से पहले या उस समय उच्चारित किया जाता है। यह भक्त का भाव प्रकट करता है और श्रद्धा के साथ भगवान की आराधना में उपयोग होता है।
पुष्पांजलि मंत्र का महत्व क्या है?
पुष्पांजलि मंत्र का उद्देश्य भगवान को श्रद्धा, भक्ति और सम्मान के साथ पुष्प समर्पित करना है। यह मंत्र आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है और भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करने का माध्यम है।
पुष्पांजलि मंत्र का सही उच्चारण क्या है?
सामान्य पुष्पांजलि मंत्र इस प्रकार है: ॐ यानि कानी च पापानि, जनमान्तर कृतानि च। तानि सर्वाणि नश्यन्तु, पादस्पर्शं क्षमस्व मे।। (इस मंत्र को पुष्प अर्पण के समय उच्चारित करें।)
कौन-कौन से अवसरों पर पुष्पांजलि अर्पित की जाती है?
1. पूजा या हवन के समय
२. धार्मिक अनुष्ठानों में
3. मंदिरों में विशेष पर्वों के दौरान
4. किसी भी आराधना या प्रार्थना में
क्या पुष्पांजलि केवल ताजे फूलों से दी जानी चाहिए?
हां, धार्मिक परंपराओं के अनुसार भगवान को ताजे और सुगंधित फूल अर्पित करना उत्तम माना जाता है। सूखे या मुरझाए फूलों का उपयोग वर्जित होता है।
भगवानम डॉट कॉम पर हमने आपके लिए कुछ नए भाग भी जोडें है जिससे आपको और भी अन्य जानकारियां प्राप्त होती रहे जैसे | पौराणिक कथाएं | भजन संध्या | आरती संग्रह | व्रत कथाएं | चालीसा संग्रह | मंत्र संग्रह | मंदिर संग्रह | ब्लॉग | नवरात्रि विशेष | आज की तिथि | आज का पंचांग | माता के भजन | इन्हें भी पढ़ें और अपने विचार हमें कमेंट में बताये जिससे हम समय पर अपडेट करते रहे। हमसे जुड़ने के लिए फॉलो करें यू ट्यूब चेनल, इन्स्टाग्राम और फेसबुक से।