यह भजन पूज्य राजन जी महाराज (Pujya Rajan jee Maharaj Bhajan) की कथा में गया हुआ भजन है जिसके लिरिक्स को हमने आपके लिए यहाँ आपके लिए लिखित किया है, इस भजन में एक राजा और दासी के मनोरंजक वार्ता को दर्शाया गया है तो आइये स्मरण करें यह भजन राजन जी महाराज के भजन संग्रह से :-
राजा जी खजनवा दे द – Raja Ji Khajanwa De Da
अरे राजा जी खजनवा दे द।
रानी जी गहनवां दे द।
राजा जी खजनवा दे द।
रानी जी गहनवां दे द।
पाजी नाम हदीरा ऐसे हीरा रतनवां दे द।
राजा जी खजनवा दे द।
रानी जी गहनवां दे द।
पाजिन हमें अईसन , हीरा ललनवा दे द।
अरे राजा जी खजनवा दे द।
रानी जी गहनवां दे द।
राजा जी खजनवा दे द।
रानी जी गहनवां दे द।
औरी का चाहें। ता हलका हसुनी काड़ा छाड़ा।
पाजु बंद जुमका डाड़ा।
हलका हसुनी काड़ा छाड़ा।
पाजु बंद जुमका डाड़ा।
हलका हसुनी काड़ा छाड़ा।
इहे और मनवा अपना कान के आए रणवा दे द।
राजा जी खजनवा दे द।
रानी जी गहनवां दे द।
राजा जी खजनवा दे द।
रानी जी गहनवां दे द।
इहे और मनवा अपना कान के आए रणवा दे द।
राजा जी खजनवा दे द।
रानी जी गहनवां दे द।
राजा जी खजनवा दे द।
रानी जी गहनवां दे द।
औरि का चाहें।
पाउं के पैजनियां दे द।
कमर कारधनियां दे द।
पाउं के पैजनियां दे द।
कमर कारधनियां दे द।
पाउं के पैजनियां दे द।
कमर कारधनियां दे द।
पाउं के पैजनियां दे द। कमर कारधनियां दे द।
कमर का रधनियां दे द।
इहे पापी चरवा अपना कर के कंगना दे द।
राजा जी खजनवा दे द।
रानी जी गहनवा दे द।
राजा जी खजनवा दे द।
रानी जी गहनवा दे द।
इहे पापी चरवा अपना कर के कंगना दे द।
राजा जी खजनवा दे द।
रानी जी गहनवा दे द।
राजा जी खजनवा दे द।
रानी जी गहनवा दे द।
एक दासी चुप चाप खड़ी थी। महराज बोले तहरा का चाहीं। वो बोली हमारा ता कुछ ना चाहीं। इहे इच्छा मनवा माही। हमारा ता कुछ ना चाहीं। इहे इच्छा मनवा माही। हमारा ता कुछ ना चाहीं। इहे इच्छा मनवा माही। हमारा तो कुछ ना चाही, यी है इहे इच्छा मनवा माही।
हमारा तो कुछ ना चाही, यी है इहे इच्छा मनवा माही।
यी है अपनी, गोद के ललनवा दे द।
राजा जी खजनवा दे द।
रानी जी गहनवा दे द।
राजा जी खजनवा दे द।
रानी जी गहनवा दे द।
पाजिन हमें अईसन , हीरा ललनवा दे द।
राजा जी खजनवा दे द।
रानी जी गहनवा दे द।
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