वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया (आखातीज) तिथि के नाम से जाना जाता है। (Akshay Tritiya 2025) शास्त्रों में अक्षय तृतीया को स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है। अक्षय तृतीया के दिन मांगलिक कार्य जैसे-विवाह, गृहप्रवेश, व्यापार अथवा उद्योग का आरंभ करना अति शुभ फलदायक होता है। सही मायने में अक्षय तृतीया अपने नाम के अनुरूप शुभ फल प्रदान करती है। इस वर्ष अक्षय तृतीया 30 अप्रैल 2025 बुधवार को मनाई जाएगी।
आइए जानते हैं, अक्षय तृतीया का महत्व – Akshay Tritiya 2025

नया वाहन लेना या गृह प्रवेश करना, आभूषण खरीदना, रत्न खरीदना, रत्न धारण करना इत्यादि जैसे कार्यों के लिए तो लोग इस तिथि का विशेष उपयोग करते हैं। मान्यता है कि यह दिन सभी के जीवन में अच्छे भाग्य और सफलता को लाता है। इसलिए लोग जमीन जायदाद संबंधी कार्य, शेयर मार्केट में निवेश रीयल एस्टेट के सौदे या कोई नया बिजनेस शुरू करने जैसे काम भी लोग इसी दिन करने की चाह रखते हैं।
अक्षय तृतीया की मान्यता – Akshay Tritiya Muhurat
अक्षय तृतीया के विषय में मान्यता है कि इस दिन जो भी कार्य किया जाता है तो उस कार्य के फलों की कई गुना वृद्धि हो जाती है। यानी इस दिन जो भी अच्छा कार्य करेंगे उसका फल कभी समाप्त नहीं होगा अगर कोई बुरा कार्य करेंगे तो उस कार्य का परिणाम भी कई जन्मों तक पीछा नहीं छोड़ेगा।
- .धरती पर देवताओं ने 24 रूपों में अवतार लिया था। इनमें छठा अवतार भगवान परशुरामजी का था। पुराणों में उनका जन्म अक्षय तृतीया को हुआ था।
- वैशाख माह की विशिष्टता इसमें आने वाली अक्षय तृतीया के कारण अक्षुण्ण हो जाती है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाए जाने वाले इस पर्व का उल्लेख विष्णु धर्म सूत्र, मत्स्य पुराण, नारदीय पुराण तथा भविष्य पुराण आदि में मिलता है।
- यह समय अपनी योग्यता को निखारने और अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए उत्तम है। इस दिन कोई शुभ व नई शुरुआत करनी चाहिए अपने भविष्य के लिए नए नियम बनाने चाहिए। नए व बड़े संकल्प लेने चाहिए।
- यह मुहूर्त अपने कर्मों को सही दिशा में प्रोत्साहित करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। शायद यही मुख्य कारण है कि इस काल को ‘दान- पुण्य- जप-तप’ इत्यादि के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। विशेषकर यह अक्षय तृतीया का दिन “साधना व उपासना” का पर्व है।
- पुराणों के अनुसार इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान, दान- पुण्य, जप, स्वाध्याय आदि करना शुभ फलदायी माना जाता है इस तिथि में किए गए शुभ कर्म का फल क्षय नहीं होता है इसको सतयुग व त्रेतायुग के आरंभ की तिथि भी माना जाता है।
- मत्स्य पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन अक्षत पुष्प, दीप आदि द्वारा भगवान विष्णु की आराधना करने से श्री विष्णु भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है तथा संतान भी अक्षय बनी रहती है।
- दीन दुखियों की सेवा करना, पशु- पक्षियों की सेवा करना और प्रकृति के संरक्षण व सर्वर्धन में सहायक बनना ओर शुभ कर्म की ओर अग्रसर रहते हुए मन वचन व अपने कर्म से अपने मनुष्य धर्म का पालन करना ही अक्षय तृतीया पर्व की सार्थकता है।
- कलियुग के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए इस दिन भगवान श्री विष्णु की उपासना करके दान-पुण्य- जप अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से निश्चय ही समृद्धि, ऐश्वर्य व सुख की प्राप्ति होती है।
- इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना एवं सामर्थ्य अनुसार जल, अनाज, चावल, फल, वस्त्र, पंखे वस्त्रादि का दान करना विशेष फल प्रदान करने वाला माना गया है।
- दान-पुण्य को वैज्ञानिक तर्कों में ऊर्जा के रूपांतरण से जोड़ कर देखा जा सकता है। दुर्भाग्य को सौभाग्य में परिवर्तित करने के लिए यह दिवस सर्वश्रेष्ठ है।
- इस दिन प्राप्त आशीर्वाद बेहद तीव्र फलदायक माने जाते हैं। इस दिन अपने कुल देवी देवताओं, पितरों, माता-पिता व घर के बड़े- बुजुर्ग और विद्वान जनों का आशीर्वाद लेना चाहिए।
- धन और भौतिक वस्तुओं की प्राप्ति तथा भौतिक उन्नति के लिए भी इस दिन का विशेष महत्व है। धन प्राप्ति के मंत्र, अनुष्ठान व उपासना बेहद प्रभावी होते हैं। स्वर्ण, रजत, आभूषण, वस्त्र, वाहन और संपत्ति के क्रय के लिए मान्यताओं ने इस दिन को विशेष बताया और बनाया है। बिना पंचांग देखे इस दिन को श्रेष्ठ मुहुर्तों में माना गया है।
- सुपात्र को दान देने से और नाम जप व मंत्र जाप इत्यादि करने से जाने- अनजाने हुए पापों का बोझ हल्का होता है और पुण्य की पूंजी बढ़ती है। अक्षय तृतीया के विषय में कहा गया है कि इस दिन किया गया दान-पुण्य व जप इत्यादि खर्च नहीं होते है, यानी आप जितना दान-पुण्य व जप इत्यादि करते हैं उससे कई गुणा आपके अलौकिक कोष में जमा हो जाता है।
- मृत्यु के बाद जब अन्य लोक में जाना पड़ता है तब उस धन से दिया गया दान-पुण्य विभिन्न रूपों में प्राप्त होता है। पुनर्जन्म लेकर जब धरती पर आते हैं तब भी उस कोष में जमा धन के कारण धरती पर भौतिक सुख एवं वैभव प्राप्त होता है। इस दिन स्वर्ण, भूमि, पंखा, जल, फल, अनाज, छाता, वस्त्र, शिक्षा कुछ भी दान कर सकते हैं।
- इस तिथि को चारों धामों में से उल्लेखनीय एक धाम भगवान श्री बद्रीनारायण के पट खुलते हैं। अक्षय तृतीया को ही वृंदावन में श्रीबिहारीजी के चरणों के दर्शन वर्ष में एक बार ही होते हैं।
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