वृंदावन प्यारो वृन्दावन भजन लिरिक्स / Vrindavan Pyaro Vrindavan / Indresh Upadhyay ji

वृंदावन प्यारो वृन्दावन यह सुन्दर भजन इन्द्रेश जी महाराज के स्वर में गाया हुआ है जो की एक कथावाचक और संगीतकार दोनों है बहुत सुन्दर और मधुर भजन Vrindavan Pyaro Vrindavan) इन्द्रेश उपाध्याय जी के मधुर स्वर में लिरिक्स प्रस्तुत है तो आइये स्मरण करें इस मुग्ध कर देने वाले भजन को :-

पढ़िए प्रसिद्द कथावाचक और संगीतकार इंद्रेश जी महाराज भजन लिरिक्स और कथा संवाद (Indresh ji Maharaj Bhajan Lyrics)

श्यामा हृदय कमल सो प्रगट्यौ,
श्यामा हृदय कमल सो प्रगट्यौ,
और श्याम हृदय कू भाए,
वृंदावन प्यारो वृन्दावन,
वृंदावन प्यारो वृन्दावन,
वृंदावन मेरो वृन्दावन,
वृंदावन मेरो वृन्दावन….

सब सुख सागर रूप उजागर,
रहे वृंदावन धाम,
सब सुख सागर रूप उजागर,
रहे वृंदावन धाम,
रूप गोस्वामी प्रगट कियो जहा,
रूप गोस्वामी प्रगट कियो जहा,
गोविंद रूप निधान,
वृन्दावन प्यारो वृन्दावन,
वृन्दावन प्यारो वृन्दावन,
वृंदावन मेरो वृन्दावन
वृंदावन मेरो वृन्दावन….

बिहरत निसदिन कुंज गलीन में,
ब्रज जन मन सुख धाम,
बिहरत निसदिन कुंज गलीन में,
ब्रज जन मन सुख धाम,
मदन मोहन को रुप निरख के,
मदन मोहन को रुप निरख के,
सनातन बली बली जाए,
वृंदावन प्यारो वृन्दावन,
वृंदावन प्यारो वृन्दावन,
वृंदावन मेरो वृन्दावन,
वृंदावन मेरो वृन्दावन….

गोपी ग्वाल सब हिय उर धारे,
प्यारो गोपीनाथ,
गोपी ग्वाल सब हिय उर धारे,
प्यारो गोपीनाथ,
मधुसूदन जिन कंठ लगायो,
मधुसूदन जिन कंठ लगायो,
जहा है रही जय जय कार,
वृंदावन प्यारो वृन्दावन,
वृंदावन प्यारो वृन्दावन,
वृंदावन मेरो वृन्दावन,
वृंदावन मेरो वृन्दावन….

गोपाल भट्ट कि हृदय वेदना,
प्रगट्यौ शालिग्राम,
गोपाल भट्ट कि हृदय वेदना,
प्रगट्यौ शालिग्राम,
रुप सुधा को खान हमारो,
रुप सुधा को खान हमारो,
श्री राधारमण जु लाल,
वृंदावन प्यारो वृन्दावन,
वृंदावन प्यारो वृन्दावन,
वृंदावन मेरो वृन्दावन,
वृंदावन मेरो वृन्दावन….

आतुर है हरिवंश पुकारो,
श्री राधा राधा नाम,
आतुर है हरिवंश पुकारो,
श्री राधा राधा नाम,
सघन कुंज यमुना तट आयो,
सघन कुंज यमुना तट आयो,
श्री राधावल्लभ लाल,
वृंदावन प्यारो वृन्दावन,
वृंदावन प्यारो वृन्दावन,
वृंदावन मेरो वृन्दावन,
वृंदावन मेरो वृन्दावन….

युगल किशोर कु लाड लडायो,
नवल कुंज हिय माए,
युगल किशोर कु लाड लडायो,
नवल कुंज हिय माए,
कुंज निकुंजन कि रज धारे,
कुंज निकुंजन कि रज धारे,
व्यास युगल यश गाए,
वृंदावन प्यारो वृन्दावन,
वृंदावन प्यारो वृन्दावन,
वृंदावन मेरो वृन्दावन,
वृंदावन मेरो वृन्दावन….

भुवन चतुर्दश की सुंदरता,
निधीवन करत बिहार,
भुवन चतुर्दश की सुंदरता,
निधीवन करत बिहार,
श्यामा प्यारी कुंज बिहारी,
श्यामा प्यारी बांके बिहारी,
और जय जय श्री हरिदास,
वृंदावन प्यारो वृन्दावन,
वृंदावन प्यारो वृन्दावन,
वृंदावन मेरो वृन्दावन,
वृंदावन मेरो वृन्दावन….

जिनकी कृपा से यह रस प्रगट्यौ,
वृंदावन अभिराम,
जिनकी कृपा से यह रस प्रगट्यौ,
वृंदावन अभिराम,
सप्तनिधीन को हिय उजियारो,
हम सब को है प्राण पियारो,
हमारो गिरधर लाल,
वृंदावन प्यारो वृन्दावन,
वृंदावन प्यारो वृन्दावन,
वृंदावन मेरो वृन्दावन,
वृंदावन मेरो वृन्दावन….

लेखक – पूज्य श्री इंद्रेश जी महाराज
स्वर – पूज्य श्री इंद्रेश जी महाराज

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