Hartalika Teej Vrat Katha – हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, हरतालिका तीज का व्रत पुण्यदायिनी है। यहां जानें वर्ष 2024 में हरतालिका तीज का व्रत कब रखा जाएगा। यहां देखें तिथि, विधि, पूजा मुहूर्त, आरती और कथा समेत सभी जानकारी।
हरतालिका तीज व्रत के नियम क्या है ?
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। हरतालिका तीज का व्रत भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित है। यह व्रत पुण्यदायिनी है, जो महिलाएं यह व्रत करती हैं तथा भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा करती हैं उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। हरतालिका तीज का व्रत अक्सर सुहागिन महिलाएं रखती हैं और अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।
हरतालिका तीज व्रत कथा – Hartalika Teej Vrat Katha.
एक बार भगवान भोलेनाथ ने माता पार्वती को उनके पूर्व जन्म के बारे में बताते इस व्रत के महत्व को समझाया। माता पार्वती ने बहुत छोटी उम्र में ही भगवान भोलेनाथ को अपने पति के रूप में स्वीकार कर लिया था। उन्होंने बाल्यावस्था में ही बारह वर्षों तक हिमालय के किनारे बैठकर कठिन तप शुरू कर दिया। अपने इस तप के दौरान उन्होंने बिना कुछ खाए-पीये अपना जीवन व्यतीत किया। उन्होंने जीवित रहने के लिए सूखे पत्ते और हवा खाकर ही कई वर्षों तक गुजारा किया।
देवी पार्वती को इस स्थिति में देखकर उनके पिता बहुत दुखी रहते थे। देवी पार्वती की तपस्या को देख भगवान विष्णु प्रसन्न हो गए, जिसके बाद महर्षि नारद उनके पिता के पास भगवान विष्णु का रिश्ता लेकर पहुंचे। भगवान विष्णु से रिश्ते की बात सुनकर उनकी खुशी का तो ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने एक बार में ही स्वीकृति में हामी भर दी।
जब माता पार्वती को इस बारे में ज्ञात हुआ तो उन्हें बहुत दुःख हुआ और ये सारी बात सुनते ही वह बहुत ज़ोर ज़ोर से रोने लगीं और जीवन कहने लगी । यह देखकर उनकी सखी को आश्चर्य हुआ की वे स्वयं नारायण से विवाह होने पर इतनी दुखी क्यों है? तब उन्होंने अपनी सखी को उत्तर देते हुए कहा – वे इतना कठिन तप और व्रत भगवान भोलेनाथ को पति रूप में पाने के लिए कर रही हैं।
लेकिन उनके पिता उनकी शादी भगवान विष्णु से ही करवाना चाहते थे। तब उनकी सखी ने उन्हें वन में तप करने की सलाह दी। उनके कहने के अनुसार देवी पार्वती ने एक गहरे वन में पहुंच गयी वहां एक गुफा में बैठकर तपस्या करने लगी। उन्होंने स्वयं को पूरी तरीके से भगवान शिव की भक्ति में लीन कर लिया।
भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन देवी पार्वती ने रेत से शिवलिंगन बनाया और रात भर जागकर भगवान शिव की स्तुति की। माता पार्वती के इस समर्पण को देखकर भोलेनाथ प्रसन्न हो गए और उन्हें स्वयं को उनके पति रूप में मिलने का वरदान दिया।
माना जाता है की जो भी महिला इस दी पूरे विधि-विधान और श्रद्धापूर्वक व्रत करती है, उन्हें इच्छानुसार वर की प्राप्ति होती है। इसके साथ विवाहित स्त्रियों को भी खुशहाल दांपत्य जीवन का सुख प्राप्त होता है। इसलिए हरितालिका तीज के इस व्रत को इतना महत्वपूर्ण बताया जाता है।
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Shiv Aarti Lyrics in Hindi
ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
एकानन चतुरानन
पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
दो भुज चार चतुर्भुज
दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते
त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
अक्षमाला वनमाला,
मुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै,
भाले शशिधारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
श्वेताम्बर पीताम्बर
बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक
भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
कर के मध्य कमंडल
चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी
जगपालन कारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित
ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति
जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी
सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
लक्ष्मी व सावित्री
पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी,
शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
पर्वत सोहैं पार्वती,
शंकर कैलासा ।
भांग धतूर का भोजन,
भस्मी में वासा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
जटा में गंग बहत है,
गल मुण्डन माला ।
शेष नाग लिपटावत,
ओढ़त मृगछाला ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
काशी में विराजे विश्वनाथ,
नंदी ब्रह्मचारी ।
नित उठ दर्शन पावत,
महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा…॥
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bahut shandaar aaj tak shi shi jankari nhi thi aaj hi hui. dhanywaad bhagwanam.com