Parampara – आज हम लिख रहे है धर्म और अध्यात्म से थोड़ा अलग विषय है परम्परायें कैसे जन्म करती है। आइये इससे संबंधित एक कहानी सुनाते है आपको।
एक कैम्प में नए कमांडर की पोस्टिंग हुई….
इंस्पेक्शन के दौरान उन्होंने देखा कि कैम्प एरिया के मैदान में दो सिपाही एक बैंच की पहरेदारी कर रहे हैं….
कमांडर ने सिपाहियों से पूछा कि वे इस बैंच की पहरेदारी क्यों कर रहे हैं ?
सिपाही बोले:- हमें पता नहीं सर, लेकिन आपसे पहले वाले कमांडर साहब ने इस बैंच की पहरेदारी करने को कहा था…..
शायद ये इस कैम्प की परंपरा है क्योंकि…
शिफ्ट के हिसाब से चौबीसों घंटे इस बैंच की पहरेदारी की जाती है….
वर्तमान कमांडर ने पिछले कमांडर को फोन किया और उस विशेष बैंच की पहरेदारी की वजह पूछी…..?
पिछले कमांडर ने बताया:- मुझे नहीं पता, लेकिन मुझसे पिछले कमांडर उस बैंच की पहरेदारी करवाते थे….
अतः मैंने भी परंपरा को कायम रखा…..
नए कमांडर बहुत हैरान हुए….
उन्होंने पिछले के और पिछले-पिछले 3 कमांडरों से बात की…
सबने उपरोक्त कमांडर जैसा ही जवाब दिया….
यूं ही पीछे के इतिहास में जाते नए कमांडर की बात फाइनली एक रिटायर्ड जनरल से हुई जिनकी उम्र 100 साल थी…..
नए कमांडर उनसे फोन पर बोले:-
आपको डिस्टर्ब करने के लिए क्षमा चाहता हूं सर…..
मैं उस कैम्प का नया कमांडर हूं…
जिसके आप, 60 साल पहले कमांडर हुआ करते थे…
मैंने यहां दो सिपाहियों को एक बैंच की पहरेदारी करते देखा है….. क्या आप मुझे इस बैंच के बारे में कुछ जानकारी दे सकते हैं….?ताकि मैं समझ सकूं कि, इसकी पहरेदारी क्यों आवश्यक है….?
सामने वाला फोन पर आश्चर्यजनक स्वर में बोला:-
क्या ? उस बैंच का “ऑइल पेंट” अभी तक नहीं सूखा….
ज्यादा तो नहीं, सिर्फ़ 99% परम्परायें ऐसे ही बनी हैं !
।। जय जय श्री राम।।
।। हर हर महादेव।।
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अंतिम शब्द – जीवन में परम्परायें कैसे जन्म लेती हैं ? Parampara.
यह पोस्ट आपको कैसी लगी हमें कमेन्ट में जरुर बताएं | परम्परायें का निर्धारण आप को स्वयं करना है परंपरा आपको आपके जीवन में एक राह दिखाती है लेकिन यह जीवन नहीं है, परंपरा आपको सबका आदर करना सिखाती है अनादर करना नहीं |
परंपरा आपको निशा निर्देश देती है दिशाहीन नहीं करनी |
पोस्ट को अंत तक पढने के लिए आपका धन्यवाद !!