नवग्रह हैं देव हमारे, मिलकर आये हैं सारे ।
जिनकी करें हैं हम आरती।
जिनकी करें हैं हम आरती ॥
1. मण्डल मध्य सूर्यदेव हैं, रक्त वर्ण है जिनका ।
सबको दे प्रकाश हरें अन्धकार सभी जन-जन का ।।
महिमा है इनकी न्यारी, सारे जग के रखवारी ।
जिनकी करें हैं हम आरती ॥
2. पूर्व दिशा में शुक्रदेव है सुन्दर रूप विराज ।
ईशान कोण और अग्नि कोण में बुध चन्द्रमा साजे ।।
जो इनकी पूजा करता, लक्ष्मी से पूरा भरता ।।
जिनकी करें हैं हम आरती ।
3. उत्तर दिशा में बृहस्पति जो देव गुरु कहलाये ।
दक्षिण दिशा में भूमिपुत्र श्री भौं रूप धर आये ।।
महिमा है इनकी न्यारी, झोली नित भरें हमारी ।
जिनकी करें हैं हम आरती ।
4. पश्चिम दिशा में तीन देव हैं, शक्ति जिनकी भारी ।
राहु, केतु और शनिदेव नित रक्षा करें हमारी ।।
मूरति है जिनकी काली, सारे जग के यह बाली ।
जिनकी करें हैं हम आरती ।
5. आधिदेव, प्रत्याधिदेव, दिग्पाल देव सब साजें ।
‘ओंकार’ ब्रह्मा विष्णु शिव मण्डल बीच बिराजें ।।
सृष्टि के जीवन दाता, जन-जन के भाग्य विधाता ।
जिनकी करें हैं हम आरती ।
– नवग्रह शान्ति मंत्र –
ब्रह्मामुरारि स्त्रिपुरान्तकारी, भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च ।
गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतवः, सर्वे ग्रहाः शान्तिकरा भवन्तु ।
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