अन्नपूर्णा माता, जिन्हें अन्न की देवी और भोजन की देवी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवी हैं, जो अन्न और पोषण की देवी मानी जाती हैं। वह पार्वती का एक रूप है और उन्हें भोजन और खिलाने की देवी के रूप में जाना जाता है। कहते है किसी भी रसोई में यदि भोजन पकाने के पहले या किसी भंडारे अथवा प्रसाद भोग पकाने के पहले अन्नपूर्णा चालीसा और अन्नपूर्णा मंत्र स्तोत्र का पाठ अवश्य किया जाता है जिससे भोजन प्रसाद किसी के लिए कम नहीं पड़ता तो आइये स्मरण करें आरती श्री अन्नपूर्णा देवीजी की :-
आरती श्री अन्नपूर्णा देवीजी की | Annapurna Mata ki Aarti
बारम्बार प्रणाम मैया बारम्बार प्रणाम।
जो नहीं ध्यावै तुम्हें अम्बिके कहां उसे विश्राम।
अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारे लेते होत सब काम ।।
प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर, कालान्तर तक नाम।
सुर सुरों की रचना करती, कहाँ कृष्ण कहाँ राम।।
चूमहि चरण चतुर चतुरानन चारु चक्रधरश्याम।
चन्द्र चूड़ चन्द्रानन चाकर शोभा लखहिं ललाम ।।
देवी देव दयनीय दशा में दया दया तव नाम।
त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल शरण रूप तव धाम ।।
श्रीं, हीं, श्रद्धा, श्रीं ऐं विद्या श्रीं क्लीं कमल नाम।
कान्तिभ्रांतिमयी कांति शांतिमयी वर देतु निष्काम ।।
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