हमारी संस्कृति में जिस तरह देवी और देवताओ की पूजा का महत्त्व है वैसे ही मंरोपरांत हमारे यहाँ श्राद्ध का भी विशेष महत्त्व मन जाता है तो आज हम इसी विषय के बारे में पोस्ट लिख रहे है क्यूंकि मुझे बहुत से कमेंट मिले जिसमे मुझे इससे सम्बंधित प्रश्न पूछे गए तो आज मैंने सोचा की श्राद्ध किसे कहते हैं ? श्राद्ध आश्विन मास में ही क्यों होते हैं इसके बारे में थोडा लोगो को जानकारियाँ दी जाए, इससे सम्बंधित एक गया तीर्थ की कथा प्रचलित है इसका भी श्रवण करे।।
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श्राद्ध किसे कहते हैं ?
मृत पितरों के उद्देश्य से जो अपने प्रिय भोज्य पदार्थ ब्राह्मण को श्रद्धापूर्वक प्रदान किये जाते हैं उसे श्राद्ध कहते हैं।
श्राद्ध आश्विन मास में ही क्यों होते हैं ? श्राद्ध आदि कर्म पुत्र ही क्यों करता है ?
हमारे सामाजिक उत्सवों में आश्विन मास का कृष्ण पक्ष पितरों का सामूहिक महापर्व है। इस समय सभी पितर अपने सभी पृथ्वी वासी सगे सम्बन्धियों के घर बिना बुलाए आते हैं और भोजन ग्रहण करके तृप्त होते हैं तथा अपना शुभ आशीर्वाद प्रदान करते हैं ।
पिता के वीर्य से उत्पन्न पुत्र पिता के समान ही व्यवहार करने वाला होता है । हिन्दू धर्म में पुत्र का अर्थ है पु नाम नर्क से त्र त्राण करना । अर्थात् पिता को नर्क से निकालकर उत्तम स्थान प्रदान करना ।
यही वजह है कि पिता की समस्त दैहिक क्रियाएँ पुत्र ही करता है । एक ही मार्ग से दो वस्तुएँ उत्पन्न होती हैं ।
एक पुत्र तथा दूसरा मूत्र । यदि पिता के मरणोपरान्त उसका पुत्र सारे अन्त्येष्टि सस्कार नहीं करता है तो वह भी मूत्र के समान है ।
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श्राद्ध में किया गया भोजन मृत प्राणी को कैसे प्राप्त होता है ?
व्यक्तियों का ऐसा विश्वास है कि श्राद्ध में जो भोजन खिलाया जाता है । वह ज्यों का त्यों, उसी तौल अनुपात में पितरों को प्राप्त हो जाता है ।
वास्तव में ऐसा नहीं है । श्राद्ध में खिलाए गये भोजन का सूक्ष्म अंश परिणित होकर उसी अनुपात में पितरों को प्राप्त होता है ।
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क्या श्राद्ध करते समय मृत पितर दर्शन देते हैं ?
रामायण कथा के अनुसार जब भगवान श्रीराम अपने पिता श्री दशरथ जी का श्राद्ध वन में कर रहे थे तब सीताजी ने श्राद्ध की सभी चीजें अपने हाथ से तैयार की थीं परन्तु जब निमंत्रित ब्राह्मण भोजन करने लगे तो सीता जी दौड़कर कुटी में जाकर छिप गईं ।
ब्राह्मण के विदा होने के बाद श्री रामचन्द्र जी ने सीता की घबराहट और कुटि में छिपने का कारण पूछा तो सीताजी बोलीं- स्वामी ! मैंने ब्राह्मणों के शरीर में आपके पिता श्री के दर्शन किये हैं।
अब आप ही बतायें जिन्होंने मुझे आभूषणों से विभूषित अवस्था में देखा था।
अब वे मेरे पूजनीय श्वसुर मुझे इस अवस्था में देखकर उनके हृदय पर क्या बीतती ।
ऐसा ही एक प्रसंग महाभारत में भी आया है। जब भीष्म
पितामह अपने पिता शान्तनुजी का पिण्डदान करने लगे तो उनके सामने साक्षात् उनके दाहिने हाथ में उपस्थित होकर पिण्ड ग्रहण किया था ।
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अन्त्येष्ठि संस्कार किसे कहते हैं ? अन्त्येष्टि संस्कार क्यों करते हैं ?
किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा की शांति के लिए किए जाने वाले क्रिया कर्म को अन्त्येष्टि संस्कार कहते हैं ।
मृतक को शांति प्राप्त हो एवं परलोक सुधार हेतु अन्त्येष्टि करते हैं ।
अंतिम संस्कार क्या होता है ?
किसी भी जीव की मृत्यु के बाद किया जाने वाली क्रिया |
अंतिम संस्कार क्यों किया जाता है ?
हिन्दू धर्म में शारीर को अग्नि देना ही उचित मन गया है |
मृत शारीर को अंतिम अग्नि कौन देता है ?
हमारी संस्कृति और पुराने उल्लेख्खों के अनुसार माता-पिता का अंतिम कार्य पुत्र द्वारा ही किया जाता है |
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