अर्गला कीलक स्तोत्र (Argala Kilak Stotram Lyrics)

कलयुग में देवी की पूजा से सारे विघ्न और बाधाओं का नाश होता है और अर्गला कीलक स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से नवरात्रि जैसे त्योहारों में ही किया जाता है, और इसे मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्राप्त करने के लिए भी पढ़ा जा सकता है। (Argala Kilak Stotram Lyrics) यह स्तोत्र साधकों के लिए एक शक्तिशाली साधना का माध्यम माना गया है यह स्तोत्र कवच अर्गला स्तोत्रम् और रात्रि सूक्तं की भांति शक्तिशाली है। भक्त को श्रद्धानुसार 1,3,5, पाठ अवश्य करना चाहिए।

॥ अथ कीलकम् स्तोत्रम्॥

ॐ अस्य श्रीकीलकमन्त्रस्य शिव ऋषिः,अनुष्टुप् छन्दः,

श्रीमहासरस्वती देवता,श्रीजगदम्बाप्रीत्यर्थं सप्तशतीपाठाङ्गत्वेन जपे विनियोगः।

ॐ नमश्चण्डिकायै॥

मार्कण्डेय उवाच

ॐ विशुद्धज्ञानदेहाय त्रिवेदीदिव्यचक्षुषे।

श्रेयःप्राप्तिनिमित्ताय नमः सोमार्धधारिणे॥1॥

सर्वमेतद्विजानीयान्मन्त्राणामभिकीलकम्।

सोऽपि क्षेममवाप्नोति सततं जाप्यतत्परः॥2॥

सिद्ध्यन्त्युच्चाटनादीनि वस्तूनि सकलान्यपि।

एतेन स्तुवतां देवी स्तोत्रमात्रेण सिद्ध्यति॥3॥

न मन्त्रो नौषधं तत्र न किञ्चिदपि विद्यते।

विना जाप्येन सिद्ध्येत सर्वमुच्चाटनादिकम्॥4॥

समग्राण्यपि सिद्ध्यन्ति लोकशङ्कामिमां हरः।

कृत्वा निमन्त्रयामास सर्वमेवमिदं शुभम्॥5॥

स्तोत्रं वै चण्डिकायास्तु तच्च गुप्तं चकार सः।

समाप्तिर्न च पुण्यस्य तां यथावन्नियन्त्रणाम्॥6॥

सोऽपि क्षेममवाप्नोति सर्वमेवं न संशयः।

कृष्णायां वा चतुर्दश्यामष्टम्यां वा समाहितः॥7॥

ददाति प्रतिगृह्णाति नान्यथैषा प्रसीदति।

इत्थंरुपेण कीलेन महादेवेन कीलितम्॥8॥

यो निष्कीलां विधायैनां नित्यं जपति संस्फुटम्।

स सिद्धः स गणः सोऽपि गन्धर्वो जायते नरः॥9॥

न चैवाप्यटतस्तस्य भयं क्वापीह जायते।

नापमृत्युवशं याति मृतो मोक्षमवाप्नुयात्॥10॥

ज्ञात्वा प्रारभ्य कुर्वीत न कुर्वाणो विनश्यति।

ततो ज्ञात्वैव सम्पन्नमिदं प्रारभ्यते बुधैः॥11॥

सौभाग्यादि च यत्किञ्चिद् दृश्यते ललनाजने।

तत्सर्वं तत्प्रसादेन तेन जाप्यमिदं शुभम्॥12॥

शनैस्तु जप्यमानेऽस्मिन् स्तोत्रे सम्पत्तिरुच्चकैः।

भवत्येव समग्रापि ततः प्रारभ्यमेव तत्॥13॥

ऐश्वर्यं यत्प्रसादेन सौभाग्यारोग्यसम्पदः।

शत्रुहानिःपरो मोक्षः स्तूयते सा न किं जनैः॥14॥

॥ इति देव्याः कीलकस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

कीलक स्तोत्र की विशेष पंक्तियाँ | (Argala Kilak Stotram Lyrics)

कीलक स्तोत्र के मुख्य अंशों में देवी दुर्गा की महिमा का विशेष वर्णन होता है। यहां कुछ महत्वपूर्ण पंक्तियों और उनके अर्थों का संक्षिप्त विवरण लिखा गया है पढ़ें और समझें :

  1. श्रीगणेशाय नमः: सभी कार्यों की शुरुआत भगवान गणेश के नाम से की जाती है, ताकि सभी विघ्न दूर हों।
  2. दुर्गे! तुंहि मम साक्षात् शक्ति: इसमें देवी दुर्गा को शक्तियों का प्रतीक माना गया है।
  3. यस्य स्मृति मति: शान्ति: इसका अर्थ है कि जो लोग इस स्तोत्र का पाठ करते हैं, उनकी बुद्धि और मन की शांति बनी रहती है।
  4. शरणागति: इसमें भक्त देवी से सुरक्षा की प्रार्थना करते हैं और उन्हें अपनी समस्त समस्याओं से मुक्त करने का निवेदन करते हैं।

यह स्तोत्र मानसिक शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास की वृद्धि होती है। और जीवन में शांति समृद्धि बनी रहती है।

कीलक स्तोत्र क्या है ?

कीलक स्तोत्र एक महत्वपूर्ण हिन्दू प्रार्थना है, जिसे विशेष रूप से देवी दुर्गा की उपासना के लिए पढ़ा जाता है।

कीलक स्तोत्र के फायदे ?

Kilak Stotram Benefits : “कीलक” शब्द का अर्थ है “ताला” या “संरक्षण”, जो इसे भक्तों के लिए एक सुरक्षात्मक प्रार्थना बनाता है। इस स्तोत्र में देवी के विभिन्न रूपों की स्तुति की जाती है और उनसे सुरक्षा, समृद्धि और सफलता की प्रार्थना की जाती है।

कीलक स्तोत्र का पाठ कब किया जाता है?

कीलक स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से नवरात्रि जैसे त्योहारों में किया जाता है वैसे आप इसे मानसिक शांति के लिए भी पढ़ सकते है।

कीलक स्तोत्र के पाठ से माता होंगी प्रसन्न?

कीलक स्तोत्र में माता की महिमा का वर्णन है और माता कितनी दयालु यह तो सभी जानते है यदि सच्चे मन और श्रद्धा से पूजा एवं पाठ विधि द्वारा करें।

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