हिंदू शास्त्रों में नृसिंह: पुराणों और वेदों में नृसिंह अवतार का उल्लेख मिलता है, जिसमें भगवान विष्णु के इस अद्वितीय रूप का वर्णन किया गया है। यह अवतार धर्म की स्थापना और अधर्म के विनाश का प्रतीक है। तो आइये इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको भगवान नृसिंह अवतार की कथा, नरसिंह भगवान का मंदिर, नरसिंह भगवान के 108 नाम एवं नरसिंह भगवान मन्त्रों के बारे में विस्तार से बताने वाले है
नृसिंह भगवान के जन्म की कथा | Bhagwan Narsingh Avtar

नृसिंह भगवान परिचय
हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों में भगवान विष्णु के दशावतारों का उल्लेख पढने मिलता है, जिसमें नृसिंह अवतार का विशेष स्थान बताया गया है। नृसिंह अवतार भगवान विष्णु का चौथा अवतार है, जिसमें उन्होंने आधे मानव और आधे सिंह के रूप में प्रकट होकर अधर्म का नाश किया और धर्म की रक्षा और स्थापना की। यह अवतार भगवान विष्णु ने अपने परमभक्त प्रह्लाद की रक्षा और दुष्ट राजा हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए लिया था। इस कथा का विवरण श्रीमद्भागवत पुराण, विष्णु पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है।
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हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कथा
हिरण्यकश्यप एक अत्याचारी और अहंकारी राजा था, जिसने कठोर तपस्या करके ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया था कि उसे न कोई मनुष्य मार सकता है, न पशु; न दिन में, न रात में; न भीतर, न बाहर; न आकाश में, न पृथ्वी पर; और न कोई अस्त्र उसे मार सकता है। इस वरदान के कारण वह अत्यंत शक्तिशाली हो गया और उसने पूरे विश्व में आतंक मचाना शुरू कर दिया। उसने अपने राज्य में विष्णु भक्ति को भी प्रतिबंधित कर दिया और स्वयं को भगवान मानने लगा।
हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद विष्णु का परम भक्त था। प्रह्लाद की भक्ति और भगवान विष्णु के प्रति उसकी श्रद्धा ने हिरण्यकश्यप को क्रोधित कर दिया। उसने प्रह्लाद को अपनी भक्ति छोड़ने के लिए अनेक यातनाएं दीं, लेकिन प्रह्लाद अपनी भक्ति में अडिग रहा। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए, लेकिन हर बार भगवान विष्णु ने उसकी रक्षा की।
नृसिंह भगवान का अवतरण
बालक प्रह्लाद भगवान श्रीहरि के अनन्य भक्त थे । जब वे माता के गर्भ में थे उस समय उनकी माता कयाधू देवर्षि नारद के आश्रम में निवास कर रही थीं । देवर्षि नारद ने कृपा कर गर्भ में ही उन्हें भगवद्भक्ति का यह उपदेश दिया था—
- ‘सर्वशक्तिमान भगवान सब जगह व्याप्त हैं । वे अपने भक्तों के कल्याण के लिए चाहे जहां प्रकट होकर उन्हें दर्शन देते हैं । भक्तवत्सल भगवान श्रीहरि के नामों का सदैव ही गुणगान करना चाहिए ।’
नारद जी का यह उपदेश प्रह्लाद जी के जीवन का मंत्र बन गया । पांच वर्ष के बालक प्रह्लाद की भगवद् बुद्धि को देख कर पिता हिरण्यकश्यप अत्यंत कुद्ध हो गया । वह ‘भगवान’ कहने वाले और ‘भगवान के नामों का उच्चारण करने वालों’ को अपना सबसे बड़ा शत्रु मानता था; इसलिए पुत्र प्रह्लाद भी हिरण्यकश्यप की आंख का कांटा बन गया । हिरण्यकश्यप ने पुत्र को मारने के लिए उसे भीषण-से-भीषण यातनाएं दीं; किंतु भक्त की रक्षा करने वाले जब स्वयं भगवान हैं तो फिर उसे कौन मारने में समर्थ हो सकता है ?
जाको राखै साइयाँ, मार सके नहिं कोय ।
बाल न बाँका कर सके, जो जग बैरी होय ।।
जो भगवान की गोद में सुरक्षित है, उसे मृत्यु का भय कैसा ? प्रह्लाद का भगवत्प्रेम ही उसका सुरक्षा-कवच था । खंभे से बंधे होने पर भी प्रह्लाद आनंदित होकर भगवान के नामों का जप कर रहे थे । जब हिरण्यकश्यप ने पूछा—‘बता, तेरा भगवान कहा है ?’ तो प्रह्लाद ने सरल भाव से कहा—‘वह तो कण-कण में व्याप्त है ।’
हिरण्यकश्यप ने पूछा—‘क्या वह इस खंभे में भी है ?’ तो प्रह्लाद जी ने खंभे में भी भगवान के होने की पुष्टि कर दी ।
इस पर हिरण्यकश्यप तीक्ष्ण खड्ग लेकर उन्हें मारने को जैसे ही उद्यत हुआ, वैसे ही श्रीहरि खंभ फाड़ कर नृसिंह रूप में प्रकट हो गए । हिरण्यकश्यप को मार कर उन्होंने अपने प्रिय प्रह्लाद को दिव्य दर्शन दिए ।
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केवल भक्त ही भगवान के क्रोध को शांत कर सकता है
लेकिन हिरण्यकश्यप के वध के बाद भी भगवान नृसिंह का क्रोध शांत नहीं हुआ । तब देवताओं ने लक्ष्मी जी को उनके निकट भेजा; परन्तु भगवान के उस उग्र रूप को देख कर वे भी भयभीत होकर उनके पास न जा सकीं ।
तब प्रह्लाद जी भगवान के निकट जाकर उनके चरणों में साष्टांग प्रणाम कर लेट गए ।
अपने चरणों में एक नन्हें बालक को पड़ा हुआ देख कर भगवान दयार्द्र हो गए । उन्होंने प्रह्लाद को उठा लिया और लगे जीभ से चाटने । भगवान ने कहा—‘बेटा प्रह्लाद ! मुझे आने में बहुत देर हो गई । तुझे बहुत कष्ट उठाने पड़े । तू मुझे क्षमा कर दे ।’
प्रह्लाद जी का कंठ भर आया और वे हाथ जोड़ कर भगवान की स्तुति करने लगे । भगवान ने उनके सिर पर अपना करकमल रख दिया जिससे उन्हें परम तत्त्व का ज्ञान हो गया । प्रह्लाद जी आज भी अमर हैं और सुतल लोक में अब भी भगवान का भजन करते हुए निवास करते हैं ।
तभी से भगवान नृसिंह का वही दिव्य रूप भक्तों का सर्वस्व बन गया । जिस प्रकार शिव-पार्वती, सीता-राम, व राधे-कृष्ण की युगल स्वरूप की उपासना होती है; वैसे ही भगवान नृसिंह की अनन्य शक्ति माता लक्ष्मी के साथ उपासना की जाती है ।
मद्रास-रायचूर लाइन पर आरकोनम् से ११९ मील पर कडपा स्टेशन है । यहां से कुछ दूर पर अहोबिल है । कहा जाता है कि ये ही हिरण्यकश्यप की राजधानी थी और यहीं भगवान नृसिंह ने प्रकट होकर प्रह्लाद की रक्षा की थी ।
भगवान नृसिंह का स्वरूप
भगवान नृसिंह न तो मनुष्य हैं न पशु । नृसिंह के रूप में उनका अलौकिक रूप है–उनकी तपाये हुए सोने के समान पीली-पीली भयानक आंखें हैं, चमचमाते हुए गर्दन और मुंह के बालों से उनका चेहरा भरा-भरा दिखता है, तलवार के समान लपलपाती हुई तथा छुरे की धार के समान पैनी उनकी जीभ है, टेढ़ी भौंहों के कारण उनका मुख और भी भीषण दिखता है, कान ऊपर की ओर उठे हुए फूली हुई नाक है, खुला हुआ मुख किसी गुफा के समान दिखाई पड़ता है, फटे हुए जबड़ों के कारण उनका स्वरूप और भी अधिक भीषण दिखाई देता है । उनका विशाल शरीर, चौड़ी छाती व पतली कमर है । चन्द्रकिरणों के समान सारे शरीर पर श्वेत रोयें हैं । चारों ओर सैकड़ों भुजाएं फैली हुई हैं, जिनके बड़े-बड़े नाखून अस्त्र का काम कर रहे हैं । (श्रीमद्भागवत, ७।८।२०-२२)
नृसिंह अवतार का महत्व
नृसिंह अवतार हमें यह सिखाता है कि भगवान अपने भक्तों की रक्षा के लिए किसी भी रूप में प्रकट हो सकते हैं। यह अवतार अच्छाई की बुराई पर विजय और सत्य की स्थापना का प्रतीक है। नृसिंह भगवान का यह रूप हमें यह संदेश देता है कि जब भी अधर्म और अन्याय बढ़ेगा, तब भगवान धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेंगे।
नृसिंह भगवान की पूजा और आराधना
नृसिंह भगवान की पूजा विशेष रूप से नृसिंह चतुर्दशी के दिन की जाती है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और भगवान नृसिंह की विशेष पूजा-अर्चना और नरसिंह मंत्र जाप करते हैं। भगवान नृसिंह की मूर्ति या चित्र के सामने दीप, धूप और फूल अर्पित किए जाते हैं। उनके मंत्रों का जाप किया जाता है और भक्त अपनी मनोकामनाएं भगवान के समक्ष रखते हैं।
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नृसिंह भगवान – उपसंहार
नृसिंह भगवान का अवतार और उनकी कथा हमें यह सिखाती है कि धर्म और सत्य की हमेशा विजय होती है। भगवान अपने भक्तों की रक्षा के लिए किसी भी रूप में प्रकट हो सकते हैं और अधर्म का नाश कर सकते हैं। नृसिंह भगवान की भक्ति और पूजा हमें जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करने और सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।
प्रमुख नृसिंह मंदिर
भारत में कई प्रमुख नृसिंह मंदिर हैं, जिनमें आंध्र प्रदेश का श्री लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर और तमिलनाडु का अहोबिलम मंदिर विशेष प्रसिद्ध हैं। इन मंदिरों में भगवान नृसिंह की अद्वितीय मूर्तियां स्थापित हैं और यहां भक्त दूर-दूर से आकर भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं।
विश्व में प्रमुख नृसिंह मंदिर | Bhagwan Narsingh Mandir the World.
श्री लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर, आहुभिलम, आंध्र प्रदेश, भारत

मंदिर के बारे में
श्री लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर, आहुभिलम, आंध्र प्रदेश में स्थित, भगवान नरसिंह को समर्पित एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व का है, बल्कि प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व से भी भरपूर है। यह स्थल नव नरसिंह मंदिरों का घर है, जो भगवान नरसिंह के नौ रूपों को समर्पित हैं। श्री लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर, आहुभिलम न केवल एक पूजा स्थल है बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा का केंद्र भी है। इस मंदिर की समृद्ध इतिहास, अद्वितीय वास्तुकला, और प्राकृतिक सौंदर्य इसे एक अनूठा तीर्थ स्थल बनाते हैं। चाहे आप आध्यात्मिक शांति की तलाश में हों, स्थापत्य कला की प्रशंसा करना चाहते हों, या सांस्कृतिक अनुभव का आनंद लेना चाहते हों, इस मंदिर की यात्रा निश्चित रूप से आपके लिए एक समृद्ध और संतोषजनक अनुभव होगा।
मंदिर का विवरण और डिज़ाइन
आहुभिलम मंदिर परिसर नौ प्रमुख मंदिरों से बना है, जिन्हें नव नरसिंह मंदिर के नाम से जाना जाता है। ये मंदिर नल्लमला पहाड़ियों में फैले हुए हैं और प्रत्येक मंदिर भगवान नरसिंह के विभिन्न रूपों को समर्पित है।
- ज्वाला नरसिंह: यह मंदिर भगवान नरसिंह के उग्र रूप को दर्शाता है और एक गुफा में स्थित है।
- आहुबिल नरसिंह: मुख्य मंदिर जहाँ भगवान नरसिंह शांत रूप में विराजमान हैं।
- मालोला नरसिंह: यहाँ भगवान नरसिंह अपनी पत्नी लक्ष्मी के साथ दिखते हैं और इस मंदिर का वातावरण अत्यंत शांतिपूर्ण है।
- क्रोडा (वराह) नरसिंह: यह मंदिर नरसिंह के वराह (सूअर) रूप को समर्पित है।
- करंज नरसिंह: यहाँ भगवान करंज वृक्ष के नीचे विराजमान हैं।
- भार्गव नरसिंह: एक पवित्र तालाब के पास स्थित, यह मंदिर ऋषि भार्गव से जुड़ा हुआ है।
- योगानंद नरसिंह: भगवान यहाँ योग मुद्रा में विराजमान हैं, जो योग साधना की शिक्षा देते हैं।
- छत्रवाता नरसिंह: यह मंदिर एक वट वृक्ष के झुरमुट में स्थित है, जो आश्रय और सुरक्षा का प्रतीक है।
- पावन नरसिंह: सबसे दूरस्थ मंदिर, जो नरसिंह के शुद्धतम और दिव्य रूप का प्रतीक है।
प्रत्येक मंदिर की अपनी विशेष वास्तुकला है, जिसमें कुछ साधारण गुफा मंदिर हैं, तो कुछ भव्य और विस्तृत मंदिर संरचनाएँ हैं।

मंदिर के समय
मंदिर का समय विशेष अनुष्ठानों और उत्सवों के अनुसार बदल सकता है, इसलिए यात्रा से पहले मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट या मंदिर प्रबंधन से संपर्क करना उचित रहेगा। सामान्य समय इस प्रकार है:
- सुबह दर्शन: 6:30 AM – 1:00 PM
- शाम दर्शन: 3:00 PM – 8:00 PM
मंदिर कैसे पहुँचें
आहुभिलम सड़क, रेल और वायु मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
- सड़क द्वारा: हैदराबाद, बैंगलोर और चेन्नई जैसे प्रमुख शहरों से नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं।
- रेल द्वारा: निकटतम रेलवे स्टेशन नंद्याल है, जो आहुभिलम से लगभग 66 किलोमीटर दूर है। नंद्याल से टैक्सी या बस द्वारा आहुभिलम पहुँच सकते हैं।
- वायु द्वारा: निकटतम हवाई अड्डा हैदराबाद में राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो लगभग 275 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे से टैक्सी या बस द्वारा आहुभिलम पहुँचा जा सकता है।
मंदिर में पूजा में खर्च
मंदिर में विभिन्न प्रकार की सेवाएँ और पूजाएँ उपलब्ध हैं, जिनकी लागत भिन्न हो सकती है। यहाँ कुछ सामान्य पूजा सेवाओं की लागत दी गई है:
- अर्चना: ₹20
- अभिषेकम: ₹500 – ₹1000 (मंदिर के आधार पर)
- कल्याणोत्सवम: ₹1500
- सहस्रनामर्चना: ₹100
- वाहन सेवा: ₹2000
मंदिर यात्रा के निर्देश
- पोशाक: पारंपरिक वस्त्र पहनना उचित है। पुरुषों के लिए धोती और अंगवस्त्रम तथा महिलाओं के लिए साड़ी या सलवार कमीज पहनना अनुशंसित है। जींस, शॉर्ट्स, और स्कर्ट जैसे पश्चिमी वस्त्रों को आमतौर पर मंदिर में अनुमति नहीं है।
- निषिद्ध वस्तुएँ: मंदिर परिसर के अंदर फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है। श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट, कैमरा, या अन्य निषिद्ध वस्तुएँ नहीं लानी चाहिए।
- स्वच्छता और आचरण: मंदिर परिसर में स्वच्छता और शिष्टाचार बनाए रखें। मंदिर प्रबंधन द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें और मंदिर की पवित्रता का सम्मान करें।
- बुकिंग और समय: विशेष पूजाओं के लिए अग्रिम बुकिंग करना उचित है, विशेषकर उत्सव के मौसम में, ताकि अंतिम समय में कोई समस्या न हो।
मंदिर से सम्बंधित अधिक जानकारी पाने के लिए आप मंदिर की ऑफिसियल वेबसाइट और गवर्नमेंट वेबसाइट दोनों में पढ़ सकते है हमने उनके लिंक साझा किये :-
योग नरसिंह मंदिर, हम्पी, कर्नाटक, भारत

मंदिर के बारे में
योग नरसिंह मंदिर कर्नाटक के हम्पी में स्थित है और भगवान नरसिंह को समर्पित एक प्रमुख मंदिर है। यह मंदिर विजयनगर साम्राज्य के समय का है और भगवान नरसिंह की योग मुद्रा में विशाल मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। हम्पी एक ऐतिहासिक शहर है, जिसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है। इस मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व अत्यंत उच्च है। योग नरसिंह मंदिर न केवल एक पूजा स्थल है बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा का केंद्र भी है। इस मंदिर की समृद्ध इतिहास, अद्वितीय वास्तुकला, और धार्मिक महत्व इसे एक अनूठा तीर्थ स्थल बनाते हैं। चाहे आप आध्यात्मिक शांति की तलाश में हों, स्थापत्य कला की प्रशंसा करना चाहते हों, या सांस्कृतिक अनुभव का आनंद लेना चाहते हों, इस मंदिर की यात्रा निश्चित रूप से एक समृद्ध और संतोषजनक अनुभव होगा।
मंदिर का विवरण और डिज़ाइन
योग नरसिंह मंदिर की स्थापत्य कला विजयनगर शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में भगवान नरसिंह की एक विशाल मूर्ति स्थापित है। भगवान नरसिंह यहाँ योग मुद्रा में विराजमान हैं, जो ध्यान और शांति का प्रतीक है। मूर्ति की विशेषता इसकी ऊँचाई और विस्तृत नक़्क़ाशी है, जो इसे विशेष बनाती है। मंदिर का प्रवेश द्वार और मंडप भी बहुत ही खूबसूरती से डिजाइन किए गए हैं, जो विजयनगर साम्राज्य की कला और संस्कृति को दर्शाते हैं।
मंदिर के समय
- सुबह दर्शन: 7:00 AM – 12:00 PM
- शाम दर्शन: 4:00 PM – 8:00 PM
यह समय विशेष उत्सवों और अनुष्ठानों के समय बदल सकता है, इसलिए यात्रा से पहले अद्यतन जानकारी के लिए मंदिर प्रबंधन से संपर्क करना उचित रहेगा।
मंदिर कैसे पहुँचें
हम्पी सड़क, रेल और वायु मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
- सड़क द्वारा: हम्पी बेंगलुरु और हुबली जैसे प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इन शहरों से नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं।
- रेल द्वारा: निकटतम रेलवे स्टेशन होसपेट है, जो हम्पी से लगभग 13 किलोमीटर दूर है। होसपेट से टैक्सी या बस द्वारा हम्पी पहुँचा जा सकता है।
- वायु द्वारा: निकटतम हवाई अड्डा बेलगाम हवाई अड्डा है, जो हम्पी से लगभग 270 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे से टैक्सी या बस द्वारा हम्पी पहुँचा जा सकता है।
मंदिर में पूजा खर्च
मंदिर में विभिन्न प्रकार की सेवाएँ और पूजाएँ उपलब्ध हैं, जिनकी लागत भिन्न हो सकती है। यहाँ कुछ सामान्य पूजा सेवाओं की लागत दी गई है:
- अर्चना: ₹50
- अभिषेकम: ₹800 – ₹1200
- विशेष पूजा: ₹2000
मंदिर यात्रा के निर्देश
- पोशाक: पारंपरिक वस्त्र पहनना उचित है। पुरुषों के लिए धोती और अंगवस्त्रम तथा महिलाओं के लिए साड़ी या सलवार कमीज पहनना अनुशंसित है। जींस, शॉर्ट्स, और स्कर्ट जैसे पश्चिमी वस्त्रों को आमतौर पर मंदिर में अनुमति नहीं है।
- निषिद्ध वस्तुएँ: मंदिर परिसर के अंदर फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है। श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट, कैमरा, या अन्य निषिद्ध वस्तुएँ नहीं लानी चाहिए।
- स्वच्छता और आचरण: मंदिर परिसर में स्वच्छता और शिष्टाचार बनाए रखें। मंदिर प्रबंधन द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें और मंदिर की पवित्रता का सम्मान करें।
- बुकिंग और समय: विशेष पूजाओं के लिए अग्रिम बुकिंग करना उचित है, विशेषकर उत्सव के मौसम में, ताकि अंतिम समय में कोई समस्या न हो।
मंदिर से सम्बंधित अधिक जानकारी पाने के लिए आप मंदिर की ऑफिसियल वेबसाइट और गवर्नमेंट वेबसाइट दोनों में पढ़ सकते है हमने उनके लिंक साझा किये :-
श्री नरसिंह पेरुमल मंदिर, तिरुक्कोस्ठियुर, तमिलनाडु, भारत

मंदिर के बारे में
श्री नरसिंह पेरुमल मंदिर तमिलनाडु के तिरुक्कोस्ठियुर में स्थित है और भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार को समर्पित है। यह मंदिर 108 दिव्य देशमों में से एक है, जो वैष्णव परंपरा के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में गिने जाते हैं। तिरुक्कोस्ठियुर का यह मंदिर अपनी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के साथ-साथ अपनी अद्वितीय स्थापत्य कला के लिए भी प्रसिद्ध है। श्री नरसिंह पेरुमल मंदिर न केवल एक पूजा स्थल है बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा का केंद्र भी है। इस मंदिर की समृद्ध इतिहास, अद्वितीय वास्तुकला, और धार्मिक महत्व इसे एक अनूठा तीर्थ स्थल बनाते हैं। चाहे आप आध्यात्मिक शांति की तलाश में हों, स्थापत्य कला की प्रशंसा करना चाहते हों, या सांस्कृतिक अनुभव का आनंद लेना चाहते हों, इस मंदिर की यात्रा निश्चित रूप से एक समृद्ध और संतोषजनक अनुभव होगा।
मंदिर का विवरण और डिज़ाइन
श्री नरसिंह पेरुमल मंदिर की वास्तुकला द्रविड़ शैली की है, जिसमें विस्तृत गोपुरम (प्रवेश द्वार टॉवर) और मनोहारी नक़्क़ाशी शामिल हैं। मुख्य मंदिर परिसर में भगवान नरसिंह की एक विशाल मूर्ति स्थित है, जो उग्र रूप में भक्तों को दर्शन देती है। मंदिर का मंडप और गर्भगृह विस्तृत नक्काशी और मूर्तियों से सुसज्जित हैं, जो तत्कालीन कारीगरी और कला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
मंदिर में भगवान नरसिंह के साथ-साथ देवी लक्ष्मी और अन्य वैष्णव देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं। मंदिर का गोपुरम अत्यंत भव्य और ऊँचा है, जिसे दूर से ही देखा जा सकता है। गोपुरम की नक़्क़ाशी और संरचना मंदिर की धार्मिक महत्ता को और बढ़ा देती है।
मंदिर के दर्शन समय
मंदिर के दर्शन के लिए समय इस प्रकार है:
- सुबह दर्शन: 6:00 AM – 12:00 PM
- शाम दर्शन: 4:00 PM – 8:00 PM
विशेष उत्सवों और अनुष्ठानों के समय में यह समय बदल सकता है, इसलिए यात्रा से पहले मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट या मंदिर प्रबंधन से संपर्क करना उचित रहेगा।
मंदिर कैसे पहुँचें
तिरुक्कोस्ठियुर अच्छी तरह से सड़क, रेल और वायु मार्ग से जुड़ा हुआ है।
- सड़क द्वारा: तिरुक्कोस्ठियुर तमिलनाडु के प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। मदुरै और चेन्नई से नियमित बस सेवाएँ उपलब्ध हैं।
- रेल द्वारा: निकटतम रेलवे स्टेशन तिरुपत्तूर है, जो तिरुक्कोस्ठियुर से लगभग 10 किलोमीटर दूर है। तिरुपत्तूर से टैक्सी या ऑटो रिक्शा द्वारा मंदिर पहुँच सकते हैं।
- वायु द्वारा: निकटतम हवाई अड्डा मदुरै हवाई अड्डा है, जो तिरुक्कोस्ठियुर से लगभग 75 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे से टैक्सी या बस द्वारा तिरुक्कोस्ठियुर पहुँचा जा सकता है।
मंदिर की पूजा में खर्च
मंदिर में विभिन्न प्रकार की सेवाएँ और पूजाएँ उपलब्ध हैं, जिनकी लागत भिन्न हो सकती है। यहाँ कुछ सामान्य पूजा सेवाओं की लागत दी गई है:
- अर्चना: ₹50
- अभिषेकम: ₹500 – ₹1000
- विशेष पूजा: ₹2000 – ₹5000
मंदिर यात्रा के निर्देश
- पोशाक: पारंपरिक वस्त्र पहनना उचित है। पुरुषों के लिए धोती और अंगवस्त्रम तथा महिलाओं के लिए साड़ी या सलवार कमीज पहनना अनुशंसित है। जींस, शॉर्ट्स, और स्कर्ट जैसे पश्चिमी वस्त्रों को आमतौर पर मंदिर में अनुमति नहीं है।
- निषिद्ध वस्तुएँ: मंदिर परिसर के अंदर फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है। श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट, कैमरा, या अन्य निषिद्ध वस्तुएँ नहीं लानी चाहिए।
- स्वच्छता और आचरण: मंदिर परिसर में स्वच्छता और शिष्टाचार बनाए रखें। मंदिर प्रबंधन द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें और मंदिर की पवित्रता का सम्मान करें।
- बुकिंग और समय: विशेष पूजाओं के लिए अग्रिम बुकिंग करना उचित है, विशेषकर उत्सव के मौसम में, ताकि अंतिम समय में कोई समस्या न हो।
मंदिर से सम्बंधित अधिक जानकारी पाने के लिए आप मंदिर की ऑफिसियल वेबसाइट और गवर्नमेंट वेबसाइट दोनों में पढ़ सकते है हमने उनके लिंक साझा किये :-
श्री लक्ष्मी नरसिंह मंदिर, यदागिरिगुट्टा, तेलंगाना, भारत

मंदिर के बारे में
श्री लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर, जिसे यदागिरिगुट्टा मंदिर भी कहा जाता है, तेलंगाना राज्य में स्थित एक प्रमुख हिन्दू तीर्थ स्थल है। यह मंदिर भगवान विष्णु के अवतार, नरसिंह को समर्पित है, जो भक्तों को उनके भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए उग्र रूप में प्रकट हुए थे। इस मंदिर का धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व है और यह भक्तों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है। श्री लक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर, यदागिरिगुट्टा न केवल एक पूजा स्थल है बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा का केंद्र भी है। इस मंदिर की समृद्ध इतिहास, अद्वितीय वास्तुकला, और धार्मिक महत्व इसे एक अनूठा तीर्थ स्थल बनाते हैं। चाहे आप आध्यात्मिक शांति की तलाश में हों, स्थापत्य कला की प्रशंसा करना चाहते हों, या सांस्कृतिक अनुभव का आनंद लेना चाहते हों, इस मंदिर की यात्रा निश्चित रूप से एक समृद्ध और संतोषजनक अनुभव होगा।
मंदिर का विवरण और डिज़ाइन
यदागिरिगुट्टा मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और इसकी वास्तुकला अत्यंत सुंदर और भव्य है। मंदिर की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- मुख्य मंदिर: मंदिर का गर्भगृह भगवान लक्ष्मी नरसिंह को समर्पित है। यहाँ भगवान नरसिंह चार रूपों में विराजमान हैं – ज्वाल नरसिंह, गंधा नरसिंह, यज्ञ नरसिंह, और उग्र नरसिंह।
- गोपुरम: मंदिर का प्रवेश द्वार गोपुरम अत्यंत भव्य है और इसे सुंदर नक्काशी और मूर्तियों से सजाया गया है।
- मंडप: मंदिर में विभिन्न मंडप हैं, जो भव्य नक्काशी और चित्रकला से सुसज्जित हैं। ये मंडप विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों और कार्यक्रमों के लिए उपयोग होते हैं।
मंदिर के दर्शन समय
मंदिर के दर्शन के लिए समय इस प्रकार है:
- सुबह दर्शन: 4:00 AM – 12:30 PM
- शाम दर्शन: 3:00 PM – 8:30 PM
विशेष अनुष्ठानों और उत्सवों के समय में यह समय बदल सकता है, इसलिए यात्रा से पहले अद्यतन जानकारी के लिए मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट या मंदिर प्रबंधन से संपर्क करना उचित रहेगा।
मंदिर कैसे पहुँचें
यदागिरिगुट्टा सड़क, रेल और वायु मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
- सड़क द्वारा: हैदराबाद से यदागिरिगुट्टा लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है। हैदराबाद से नियमित बस सेवाएँ और टैक्सी उपलब्ध हैं।
- रेल द्वारा: निकटतम रेलवे स्टेशन रायगिरि है, जो यदागिरिगुट्टा से लगभग 6 किलोमीटर दूर है। रायगिरि से टैक्सी या ऑटो रिक्शा द्वारा मंदिर पहुँच सकते हैं।
- वायु द्वारा: निकटतम हवाई अड्डा हैदराबाद का राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो यदागिरिगुट्टा से लगभग 75 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे से टैक्सी या बस द्वारा यदागिरिगुट्टा पहुँचा जा सकता है।
मंदिर में पूजा खर्च
मंदिर में विभिन्न प्रकार की सेवाएँ और पूजाएँ उपलब्ध हैं, जिनकी लागत भिन्न हो सकती है। यहाँ कुछ सामान्य पूजा सेवाओं की लागत दी गई है:
- अर्चना: ₹50
- अभिषेकम: ₹500 – ₹1000
- कल्याणोत्सवम: ₹1500
- विशेष पूजा: ₹2000 – ₹5000
मंदिर यात्रा के निर्देश
- पोशाक: पारंपरिक वस्त्र पहनना उचित है। पुरुषों के लिए धोती और अंगवस्त्रम तथा महिलाओं के लिए साड़ी या सलवार कमीज पहनना अनुशंसित है। जींस, शॉर्ट्स, और स्कर्ट जैसे पश्चिमी वस्त्रों को आमतौर पर मंदिर में अनुमति नहीं है।
- निषिद्ध वस्तुएँ: मंदिर परिसर के अंदर फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है। श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट, कैमरा, या अन्य निषिद्ध वस्तुएँ नहीं लानी चाहिए।
- स्वच्छता और आचरण: मंदिर परिसर में स्वच्छता और शिष्टाचार बनाए रखें। मंदिर प्रबंधन द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें और मंदिर की पवित्रता का सम्मान करें।
- बुकिंग और समय: विशेष पूजाओं के लिए अग्रिम बुकिंग करना उचित है, विशेषकर उत्सव के मौसम में, ताकि अंतिम समय में कोई समस्या न हो।
मंदिर से सम्बंधित अधिक जानकारी पाने के लिए आप मंदिर की ऑफिसियल वेबसाइट और गवर्नमेंट वेबसाइट दोनों में पढ़ सकते है हमने उनके लिंक साझा किये :-
श्री नृसिंह मंदिर, बैंगलोर, भारत

मंदिर के बारे में
श्री नृसिंह मंदिर बैंगलोर के मल्लेश्वरम में स्थित है और भगवान विष्णु के उग्र रूप, नरसिंह को समर्पित है। यह मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। यहां भगवान नरसिंह के दर्शन के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं। यह मंदिर एक प्रमुख तीर्थ स्थल है और भक्तों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है। श्री नृसिंह मंदिर, मल्लेश्वरम न केवल एक पूजा स्थल है बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा का केंद्र भी है। इस मंदिर की समृद्ध इतिहास, अद्वितीय वास्तुकला, और धार्मिक महत्व इसे एक अनूठा तीर्थ स्थल बनाते हैं। चाहे आप आध्यात्मिक शांति की तलाश में हों, स्थापत्य कला की प्रशंसा करना चाहते हों, या सांस्कृतिक अनुभव का आनंद लेना चाहते हों, इस मंदिर की यात्रा निश्चित रूप से एक समृद्ध और संतोषजनक अनुभव होगा।
मंदिर का विवरण और डिज़ाइन
श्री नृसिंह मंदिर की वास्तुकला द्रविड़ शैली में निर्मित है, जो अत्यंत भव्य और आकर्षक है। मंदिर का प्रमुख आकर्षण भगवान नरसिंह की मूर्ति है, जो उग्र और शांत दोनों रूपों में विराजमान है। मंदिर के मुख्य भाग में भगवान नरसिंह की विशाल मूर्ति स्थापित है, जो उनके भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए उग्र रूप में प्रकट हुई थी।
- मुख्य गर्भगृह: यहाँ भगवान नरसिंह की मुख्य मूर्ति विराजमान है। मूर्ति की विशेषता इसकी उग्र मुद्रा और विस्तृत नक़्क़ाशी है।
- गोपुरम: मंदिर का प्रवेश द्वार गोपुरम अत्यंत भव्य है और इसे सुंदर नक्काशी और मूर्तियों से सजाया गया है।
- मंडप: मंदिर में विभिन्न मंडप हैं, जो भव्य नक्काशी और चित्रकला से सुसज्जित हैं। ये मंडप विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों और कार्यक्रमों के लिए उपयोग होते हैं।
मंदिर के दर्शन समय
मंदिर के दर्शन के लिए समय इस प्रकार है:
- सुबह दर्शन: 6:00 AM – 12:00 PM
- शाम दर्शन: 4:00 PM – 8:30 PM
विशेष अनुष्ठानों और उत्सवों के समय में यह समय बदल सकता है, इसलिए यात्रा से पहले अद्यतन जानकारी के लिए मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट या मंदिर प्रबंधन से संपर्क करना उचित रहेगा।
मंदिर कैसे पहुँचें
बैंगलोर अच्छी तरह से सड़क, रेल और वायु मार्ग से जुड़ा हुआ है।
- सड़क द्वारा: बैंगलोर के विभिन्न हिस्सों से मल्लेश्वरम तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। बैंगलोर शहर के विभिन्न हिस्सों से नियमित बस सेवाएँ और टैक्सी उपलब्ध हैं।
- रेल द्वारा: निकटतम रेलवे स्टेशन बैंगलोर सिटी जंक्शन है, जो मल्लेश्वरम से लगभग 5 किलोमीटर दूर है। रेलवे स्टेशन से टैक्सी या ऑटो रिक्शा द्वारा मंदिर पहुँचा जा सकता है।
- वायु द्वारा: निकटतम हवाई अड्डा केम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो मल्लेश्वरम से लगभग 35 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे से टैक्सी या बस द्वारा मल्लेश्वरम पहुँचा जा सकता है।
मंदिर में पूजा का खर्च
मंदिर में विभिन्न प्रकार की सेवाएँ और पूजाएँ उपलब्ध हैं, जिनकी लागत भिन्न हो सकती है। यहाँ कुछ सामान्य पूजा सेवाओं की लागत दी गई है:
- अर्चना: ₹50
- अभिषेकम: ₹500 – ₹1000
- विशेष पूजा: ₹1500 – ₹3000
मंदिर यात्रा के निर्देश
- पोशाक: पारंपरिक वस्त्र पहनना उचित है। पुरुषों के लिए धोती और अंगवस्त्रम तथा महिलाओं के लिए साड़ी या सलवार कमीज पहनना अनुशंसित है। जींस, शॉर्ट्स, और स्कर्ट जैसे पश्चिमी वस्त्रों को आमतौर पर मंदिर में अनुमति नहीं है।
- निषिद्ध वस्तुएँ: मंदिर परिसर के अंदर फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है। श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट, कैमरा, या अन्य निषिद्ध वस्तुएँ नहीं लानी चाहिए।
- स्वच्छता और आचरण: मंदिर परिसर में स्वच्छता और शिष्टाचार बनाए रखें। मंदिर प्रबंधन द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें और मंदिर की पवित्रता का सम्मान करें।
- बुकिंग और समय: विशेष पूजाओं के लिए अग्रिम बुकिंग करना उचित है, विशेषकर उत्सव के मौसम में, ताकि अंतिम समय में कोई समस्या न हो।
मंदिर से सम्बंधित अधिक जानकारी पाने के लिए आप मंदिर की ऑफिसियल वेबसाइट और गवर्नमेंट वेबसाइट दोनों में पढ़ सकते है हमने उनके लिंक साझा किये :-
श्री वराह लक्ष्मी नरसिंह मंदिर, सिम्हाचलम, आंध्र प्रदेश

मंदिर के बारे में
श्री वराह लक्ष्मी नरसिंह मंदिर आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम जिले में स्थित है और यह भगवान विष्णु के वराह और नरसिंह अवतार को समर्पित है। यह मंदिर सिम्हाचलम पहाड़ी पर स्थित है और अपनी अनूठी वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ हर साल लाखों भक्त भगवान के दर्शन करने आते हैं। श्री वराह लक्ष्मी नरसिंह मंदिर, सिम्हाचलम न केवल एक पूजा स्थल है बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा का केंद्र भी है। इस मंदिर की समृद्ध इतिहास, अद्वितीय वास्तुकला, और धार्मिक महत्व इसे एक अनूठा तीर्थ स्थल बनाते हैं। चाहे आप आध्यात्मिक शांति की तलाश में हों, स्थापत्य कला की प्रशंसा करना चाहते हों, या सांस्कृतिक अनुभव का आनंद लेना चाहते हों, इस मंदिर की यात्रा निश्चित रूप से एक समृद्ध और संतोषजनक अनुभव होगा।
मंदिर का विवरण और डिज़ाइन
श्री वराह लक्ष्मी नरसिंह मंदिर की वास्तुकला चोल और चालुक्य शैलियों का एक अद्भुत मिश्रण है। मंदिर की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- मुख्य गर्भगृह: यहाँ भगवान वराह लक्ष्मी नरसिंह की मूर्ति स्थापित है। यह मूर्ति अत्यंत अद्वितीय है क्योंकि इसमें भगवान के दो अवतार, वराह और नरसिंह, दोनों के तत्व शामिल हैं।
- गोपुरम: मंदिर का प्रवेश द्वार गोपुरम भव्य और विस्तृत नक्काशी से सुसज्जित है।
- मंडप: मंदिर में विभिन्न मंडप हैं, जिनमें से प्रत्येक में भव्य नक्काशी और चित्रकला देखने को मिलती है।
मंदिर के दर्शन समय
मंदिर के दर्शन के लिए समय इस प्रकार है:
- सुबह दर्शन: 6:00 AM – 12:00 PM
- शाम दर्शन: 3:00 PM – 7:00 PM
विशेष अनुष्ठानों और उत्सवों के समय में यह समय बदल सकता है, इसलिए यात्रा से पहले अद्यतन जानकारी के लिए मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट या मंदिर प्रबंधन से संपर्क करना उचित रहेगा।
मंदिर कैसे पहुँचें
सिम्हाचलम अच्छी तरह से सड़क, रेल और वायु मार्ग से जुड़ा हुआ है।
- सड़क द्वारा: विशाखापत्तनम से सिम्हाचलम लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर है। विशाखापत्तनम शहर से नियमित बस सेवाएँ और टैक्सी उपलब्ध हैं।
- रेल द्वारा: निकटतम रेलवे स्टेशन सिम्हाचलम रोड रेलवे स्टेशन है, जो मंदिर से लगभग 5 किलोमीटर दूर है। रेलवे स्टेशन से टैक्सी या ऑटो रिक्शा द्वारा मंदिर पहुँचा जा सकता है।
- वायु द्वारा: निकटतम हवाई अड्डा विशाखापत्तनम हवाई अड्डा है, जो सिम्हाचलम से लगभग 20 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे से टैक्सी या बस द्वारा सिम्हाचलम पहुँचा जा सकता है।
पूजा में पूजा खर्च
मंदिर में विभिन्न प्रकार की सेवाएँ और पूजाएँ उपलब्ध हैं, जिनकी लागत भिन्न हो सकती है। यहाँ कुछ सामान्य पूजा सेवाओं की लागत दी गई है:
- अर्चना: ₹50
- अभिषेकम: ₹500 – ₹1000
- विशेष पूजा: ₹1500 – ₹3000
मंदिर यात्रा के निर्देश
- पोशाक: पारंपरिक वस्त्र पहनना उचित है। पुरुषों के लिए धोती और अंगवस्त्रम तथा महिलाओं के लिए साड़ी या सलवार कमीज पहनना अनुशंसित है। जींस, शॉर्ट्स, और स्कर्ट जैसे पश्चिमी वस्त्रों को आमतौर पर मंदिर में अनुमति नहीं है।
- निषिद्ध वस्तुएँ: मंदिर परिसर के अंदर फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है। श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट, कैमरा, या अन्य निषिद्ध वस्तुएँ नहीं लानी चाहिए।
- स्वच्छता और आचरण: मंदिर परिसर में स्वच्छता और शिष्टाचार बनाए रखें। मंदिर प्रबंधन द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें और मंदिर की पवित्रता का सम्मान करें।
- बुकिंग और समय: विशेष पूजाओं के लिए अग्रिम बुकिंग करना उचित है, विशेषकर उत्सव के मौसम में, ताकि अंतिम समय में कोई समस्या न हो।
बाली, इंडोनेशिया के नृसिंह मंदिर
मंदिर के बारे में
बाली, इंडोनेशिया का नृसिंह मंदिर हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यह मंदिर भगवान विष्णु के उग्र रूप, नरसिंह को समर्पित है, जो अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए उग्र रूप में प्रकट हुए थे। मंदिर अपनी सुंदर वास्तुकला, धार्मिक महत्व और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है। बाली, इंडोनेशिया का नृसिंह मंदिर न केवल एक पूजा स्थल है बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा का केंद्र भी है। इस मंदिर की समृद्ध इतिहास, अद्वितीय वास्तुकला, और धार्मिक महत्व इसे एक अनूठा तीर्थ स्थल बनाते हैं। चाहे आप आध्यात्मिक शांति की तलाश में हों, स्थापत्य कला की प्रशंसा करना चाहते हों, या सांस्कृतिक अनुभव का आनंद लेना चाहते हों, इस मंदिर की यात्रा निश्चित रूप से एक समृद्ध और संतोषजनक अनुभव होगा।
मंदिर का विवरण और डिज़ाइन
नृसिंह मंदिर की वास्तुकला बाली की पारंपरिक शैली और हिंदू मंदिर निर्माण कला का अनूठा मिश्रण है।
- मुख्य गर्भगृह: गर्भगृह में भगवान नरसिंह की मूर्ति विराजमान है, जो अपने उग्र रूप में हैं। मूर्ति को फूलों और वस्त्रों से सजाया जाता है।
- गोपुरम: मंदिर का प्रवेश द्वार गोपुरम सुंदर नक्काशी और मूर्तियों से सजाया गया है, जो बाली की पारंपरिक कला का अद्भुत उदाहरण है।
- मंडप: मंदिर में विभिन्न मंडप हैं, जो धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा के लिए उपयोग होते हैं। इन मंडपों में भगवान के विभिन्न रूपों की मूर्तियाँ स्थापित हैं।
मंदिर के दर्शन समय
मंदिर के दर्शन के लिए समय निम्नलिखित है:
- सुबह दर्शन: 6:00 AM – 12:00 PM
- शाम दर्शन: 4:00 PM – 8:00 PM
विशेष अनुष्ठानों और उत्सवों के समय में यह समय बदल सकता है। यात्रा से पहले मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट या मंदिर प्रबंधन से संपर्क कर समय की पुष्टि कर लें।
मंदिर कैसे पहुँचें
नृसिंह मंदिर, बाली अच्छी तरह से सड़क, रेल और वायु मार्ग से जुड़ा हुआ है।
- सड़क द्वारा: बाली के विभिन्न हिस्सों से नियमित बस सेवाएँ और टैक्सी उपलब्ध हैं।
- रेल द्वारा: बाली में कोई रेल मार्ग नहीं है, इसलिए सड़क मार्ग या हवाई मार्ग ही सबसे उपयुक्त विकल्प हैं।
- वायु द्वारा: निकटतम हवाई अड्डा न्गुरा राय अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो मंदिर से लगभग 40 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे से टैक्सी या बस द्वारा मंदिर पहुँचा जा सकता है।
पूजा में खर्च
मंदिर में विभिन्न प्रकार की सेवाएँ और पूजाएँ उपलब्ध हैं, जिनकी लागत भिन्न हो सकती है। यहाँ कुछ सामान्य पूजा सेवाओं की लागत दी गई है:
- अर्चना: IDR 50,000
- अभिषेकम: IDR 200,000 – IDR 500,000
- विशेष पूजा: IDR 1,000,000
मंदिर यात्रा के निर्देश
- पोशाक: पारंपरिक वस्त्र पहनना उचित है। पुरुषों के लिए धोती और अंगवस्त्रम तथा महिलाओं के लिए साड़ी या सलवार कमीज पहनना अनुशंसित है। जींस, शॉर्ट्स, और स्कर्ट जैसे पश्चिमी वस्त्रों को आमतौर पर मंदिर में अनुमति नहीं है।
- निषिद्ध वस्तुएँ: मंदिर परिसर के अंदर फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है। श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट, कैमरा, या अन्य निषिद्ध वस्तुएँ नहीं लानी चाहिए।
- स्वच्छता और आचरण: मंदिर परिसर में स्वच्छता और शिष्टाचार बनाए रखें। मंदिर प्रबंधन द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें और मंदिर की पवित्रता का सम्मान करें।
- बुकिंग और समय: विशेष पूजाओं के लिए अग्रिम बुकिंग करना उचित है, विशेषकर उत्सव के मौसम में, ताकि अंतिम समय में कोई समस्या न हो।
श्री लक्ष्मी नरसिंह मंदिर, सिंगापुर

मंदिर के बारे में
श्री लक्ष्मी नरसिंह मंदिर सिंगापुर के प्रमुख हिंदू मंदिरों में से एक है, जो भगवान विष्णु के उग्र रूप, नरसिंह, और उनकी पत्नी लक्ष्मी को समर्पित है। यह मंदिर सिंगापुर के हिंदू समुदाय का एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है। यहाँ भगवान नरसिंह और देवी लक्ष्मी के दर्शन के लिए भक्तजन बड़ी संख्या में आते हैं। श्री लक्ष्मी नरसिंह मंदिर, सिंगापुर न केवल एक पूजा स्थल है बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा का केंद्र भी है। इस मंदिर की समृद्ध इतिहास, अद्वितीय वास्तुकला, और धार्मिक महत्व इसे एक अनूठा तीर्थ स्थल बनाते हैं। चाहे आप आध्यात्मिक शांति की तलाश में हों, स्थापत्य कला की प्रशंसा करना चाहते हों, या सांस्कृतिक अनुभव का आनंद लेना चाहते हों, इस मंदिर की यात्रा निश्चित रूप से एक समृद्ध और संतोषजनक अनुभव होगा।
मंदिर का विवरण और डिज़ाइन
श्री लक्ष्मी नरसिंह मंदिर की वास्तुकला दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित है, जो अत्यंत भव्य और आकर्षक है।
- मुख्य गर्भगृह: गर्भगृह में भगवान नरसिंह और देवी लक्ष्मी की मूर्तियाँ स्थापित हैं। मूर्तियाँ अत्यंत सुंदर और अलंकरण से सजाई गई हैं।
- गोपुरम: मंदिर का प्रवेश द्वार गोपुरम विस्तृत नक्काशी और मूर्तियों से सजाया गया है, जो दक्षिण भारतीय मंदिर वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
- मंडप: मंदिर में विभिन्न मंडप हैं, जो भव्य नक्काशी और चित्रकला से सुसज्जित हैं। ये मंडप विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों और कार्यक्रमों के लिए उपयोग होते हैं।
मंदिर के दर्शन समय
मंदिर के दर्शन के लिए समय इस प्रकार है:
- सुबह दर्शन: 6:00 AM – 12:00 PM
- शाम दर्शन: 5:00 PM – 9:00 PM
विशेष अनुष्ठानों और उत्सवों के समय में यह समय बदल सकता है, इसलिए यात्रा से पहले अद्यतन जानकारी के लिए मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट या मंदिर प्रबंधन से संपर्क करना उचित रहेगा।
मंदिर कैसे पहुँचें
श्री लक्ष्मी नरसिंह मंदिर, सिंगापुर अच्छी तरह से सड़क, रेल और वायु मार्ग से जुड़ा हुआ है।
- सड़क द्वारा: सिंगापुर के विभिन्न हिस्सों से नियमित बस सेवाएँ और टैक्सी उपलब्ध हैं।
- रेल द्वारा: निकटतम एमआरटी स्टेशन बुगिस (Bugis) है, जो मंदिर से लगभग 2 किलोमीटर दूर है। एमआरटी स्टेशन से टैक्सी या पैदल मार्ग द्वारा मंदिर पहुँचा जा सकता है।
- वायु द्वारा: निकटतम हवाई अड्डा सिंगापुर चांगी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो मंदिर से लगभग 20 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे से टैक्सी या बस द्वारा मंदिर पहुँचा जा सकता है।
पूजा में खर्च
मंदिर में विभिन्न प्रकार की सेवाएँ और पूजाएँ उपलब्ध हैं, जिनकी लागत भिन्न हो सकती है। यहाँ कुछ सामान्य पूजा सेवाओं की लागत दी गई है:
- अर्चना: SGD 10
- अभिषेकम: SGD 50 – SGD 100
- विशेष पूजा: SGD 200 – SGD 500
मंदिर यात्रा के निर्देश
- पोशाक: पारंपरिक वस्त्र पहनना उचित है। पुरुषों के लिए धोती और अंगवस्त्रम तथा महिलाओं के लिए साड़ी या सलवार कमीज पहनना अनुशंसित है। जींस, शॉर्ट्स, और स्कर्ट जैसे पश्चिमी वस्त्रों को आमतौर पर मंदिर में अनुमति नहीं है।
- निषिद्ध वस्तुएँ: मंदिर परिसर के अंदर फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है। श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक गैजेट, कैमरा, या अन्य निषिद्ध वस्तुएँ नहीं लानी चाहिए।
- स्वच्छता और आचरण: मंदिर परिसर में स्वच्छता और शिष्टाचार बनाए रखें। मंदिर प्रबंधन द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करें और मंदिर की पवित्रता का सम्मान करें।
- बुकिंग और समय: विशेष पूजाओं के लिए अग्रिम बुकिंग करना उचित है, विशेषकर उत्सव के मौसम में, ताकि अंतिम समय में कोई समस्या न हो।