बृज जन प्रियतम बालमुकुन्दम राधारमणं यह सुन्दर भजन इन्द्रेश जी महाराज के स्वर में गाया हुआ है जो की एक कथावाचक और संगीतकार दोनों है बहुत सुन्दर और मधुर भजन (Brij Jan Priyatam Balmukundam) इन्द्रेश उपाध्याय जी के मधुर स्वर में लिरिक्स प्रस्तुत है तो आइये स्मरण करें इस मुग्ध कर देने वाले भजन को :-

बृज जन प्रियतम बालमुकुन्दम राधारमणं हरे हरे लिरिक्स
Brij Jan Priyatam Balmukundam / Indresh Ji Maharaj
(वाणी गुणानु कथने, श्रवणो कथायां,
हस्तौ च कर्मसु मनस्तव पादयोर्न:,
स्मृत्यां शिरस्तव निवास जगत्प्रणामे,
दृष्टि: सतां दर्शनेअस्तु भवत्तनूनाम)
बृज जन प्रियतम बालमुकुन्दम,
राधारमणं हरे हरे,
राधारमणं हरे हरे,
बृज जन प्रियतम बालमुकुन्दम,
राधारमणं हरे हरे,
राधारमणं हरे हरे….
केसर तिलकं कृष्ण वरणं,
केसर तिलकं कृष्ण वरणं,
राधारमणं हरे हरे,
राधारमणं हरे हरे,
बृज जन प्रियतम बालमुकुन्दम,
राधारमणं हरे हरे,
राधारमणं हरे हरे….
राजत वन मालं रूप रसालं,
राधारमणं हरे हरे,
राजत वन मालं रूप रसालं,
राधारमणं हरे हरे,
राधारमणं हरे हरे,
राधारमणं हरे हरे,
वेणु कृत नादं आनंद अपारं,
राधारमणं हरे हरे,
राधारमणं हरे हरे,
बृज जन प्रियतम बालमुकुन्दम,
राधारमणं हरे हरे,
राधारमणं हरे हरे….
सुन्दर मृदु हासं हरत विषादं,
राधारमणं हरे हरे,
सुन्दर मृदु हासं हरत विषादं,
राधारमणं हरे हरे,
राधारमणं हरे हरे,
राधारमणं हरे हरे,
गोरज मुख लसितं भक्त चित वसितं,
राधारमणं हरे हरे,
राधारमणं हरे हरे,
बृज जन प्रियतम बालमुकुन्दम,
राधारमणं हरे हरे,
राधारमणं हरे हरे….
राधाउर हारं रास रसालं,
राधारमणं हरे हरे,
राधाउर हारं रास रसालं,
राधारमणं हरे हरे,
राधारमणं हरे हरे,
राधारमणं हरे हरे,
भक्तआधीनं दीनदयालं,
राधारमणं हरे हरे,
राधारमणं हरे हरे,
बृज जन प्रियतम बालमुकुन्दम,
राधारमणं हरे हरे,
राधारमणं हरे हरे….
भक्तवत्सलं रसिकनरेशं,
राधारमणं हरे हरे,
भक्तवत्सलं रसिकनरेशं,
राधारमणं हरे हरे,
राधारमणं हरे हरे,
राधारमणं हरे हरे,
गोपसुवेशं दास ‘इन्द्रेशं’,
राधारमणं हरे हरे,
राधारमणं हरे हरे,
बृज जन प्रियतम बालमुकुन्दम,
राधारमणं हरे हरे हरे हरे….
जय जय राधारमण प्यारो राधारमण,
जय जय राधारमण प्यारो राधारमण,
जय जय राधारमण प्यारो राधारमण,
जय जय राधारमण प्यारो राधारमण….
लेखक – पूज्य श्री इंद्रेश जी महाराज
स्वर – पूज्य श्री इंद्रेश जी महाराज
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