पुराणों के अनुसार पूरे विश्व में भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग अर्थात बारह ज्योतिर्लिंग हैं। माना जाता है कि धरती लोक के वो स्थान जहां- जहां स्वयं भगवान शिव प्रकट हुए थे वहां ज्योतिर्लिंगों की स्थापना हुई है। इन सभी ज्योतिर्लिंगों के अलग-अलग नाम और पूजन के अलग-अलग विधान हैं। शिवपुराण के रुद्र संहिता में इन बारह ज्योतिर्लिंग और उनकी महिमा का वर्णन किया गया है।
द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र | Dwadas Jyotirling Stotram.
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम् ।
उज्जयिन्यां महाकालम्ॐकारममलेश्वरम् ॥१॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमाशंकरम् ।
सेतुबंधे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥२॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यंबकं गौतमीतटे ।
हिमालये तु केदारम् घुश्मेशं च शिवालये ॥३॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः ।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति ॥४॥
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र | Dwadas Jyotirling Mantra Stotra
द्वादश ज्योतिर्लिंग को पवित्र क्यों माना जाता है?
द्वादश ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का पवित्र स्थान माना जाता है कहते है भगवान शिव स्वयं यहां पर प्रकट हुए थे।