द्वारका धाम – Dwarka Dham Mandir

(Dwarka Dham Mandir) – श्री द्वारका धाम जिसको सात मोक्ष पुरी में से एक माना गया है। इसके बारे में जुड़े कुछ अद्भुद तटी भी है जिसे हम आगे जानेंगे जैसे, द्वारका नाम द्वार से लिया गया है, और इसे मोक्ष के प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। विशिष्ट आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा परिभाषित चार धाम, चार वैष्णव तीर्थ ही हैं। इन चार तीर्थों मे से एक भारत की पश्चिम दिशा मे द्वारका का यह श्री द्वारकाधीश मंदिर भगवन कृष्ण की नगरी भी मानी जाती है।

द्वारका धाम – Dwarka Dham Mandir

द्वारकाधीश नाम का अर्थ क्या है शास्तोनुसार द्वारका के राजा यानी भगवान श्री कृष्ण। अगर मंदिर की चर्चा करें तो मुख्य मंदिर 5 मंजिला, 72 स्तंभों के द्वारा स्थापित है जिसे जगत मंदिर तथा निज मंदिर के नाम में भी जानते है। परंपरा के अनुसार यह मूल मंदिर श्री कृष्ण के पोते वज्रभ ने गोमती नदी के किनारे भगवान कृष्ण की आवासीय जगह पर निर्माण कराया था। हालांकि स्पष्ट करेंकि, यह गोमती नदी उत्तर भारत की वह गोमती नदी नहीं है जो गंगा नदी मे मिलती है। मंदिर के शिखर पर 52 यार्ड के ही ध्वज का दिन मे पाँच वार उतरने और चढ़ने का विधान विशेष रूप से प्रचलित है।

द्वारका धाम मंदिर के ऊपर स्थित ध्वज सूर्य और चंद्रमा को दर्शाता है, जो कि इस बात का संकेत है कि पृथ्वी पर सूर्य और चंद्रमा की मौजूदगी तक श्री कृष्ण का राज्य रहेगा। चालुक्य शैली मे बना यह आकर्षक वर्तमान मंदिर 15-16 वीं सदी में बनाया गया है। मंदिर का सबसे ऊंचा शिखर 51.8 मीटर ऊंचा है। मंदिर में दो प्रवेश द्वार हैं उत्तर दिशा मे प्रवेश द्वार को मोक्षद्वारा तथा दक्षिण प्रवेश द्वार मुख्य स्वर्ग द्वारा है, यह द्वार मुख्य बाजार से होते हुए गोमती नदी की ओर जाता है। मंदिर सुवह 6:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तथा शाम 5:00 बजे से रात्रि 9.30 बजे तक खुला रहता है। मंदिर खुले रहने के साथ-साथ विभिन्न भोग और श्रृंगार के चलते मुख्य द्वारिकाधीश के पट समय-समय पर बंद होते है। अतः मंदिर दर्शन से पहिले मंदिर का टाइम टेबल अवश्य देखें। कृष्ण जन्माष्टमी, रुक्मिणी विवाह तथा तुलसी विवाह मंदिर के प्रमुख उत्सव के रूप में मनाये जाते हैं।

भारत के चार धाम या चार तीर्थ आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा परिभाषित चार वैष्णव तीर्थ हैं। जहाँ हर हिंदू को अपने जीवन काल मे अवश्य जाना चाहिए, जो हिंदुओं को मोक्ष प्राप्त करने में मदद करेंगे। विस्तार से जानें! भारत के चार धामों के बारे में

द्वारका धाम या शारदा मठ?

भारत के पश्चिम में स्थित द्वारका गुजरात राज्य में स्थित है। शहर के नाम मे *द्वार* शब्द का मतलब संस्कृत भाषा दरवाजे से लिया है, जहां गोमती नदी अरब सागर में विलीन हो जाती है वहां यह संगम स्थित है। द्वारका को भगवान श्री कृष्ण का निवास स्थान माना जाता है। जिसे द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने अपने जन्म स्थान मथुरा से आने के बाद बसाया था।

आदि गुरु शंकराचार्य के अनुसार द्वारका को शारदा मठ का नाम दिया गया है। शारदा मठ के अंतर्गत दीक्षा प्राप्त करने वाले सन्यासियों के नाम के पीछे तीर्थ या आश्रम नाम विशेषण लगाया जाता है। इस मठ का महावाक्य है तत्त्वमसि तथा इसके अंतर्गत आने वाला वेद सामवेद को रखा गया है। शारदा मठ के प्रथम मठाधीश हस्तामलक जी (पृथ्वीधर) थे। हस्तामलक जी आदि शंकराचार्य के प्रमुख चार शिष्यों में से एक थे। और इस मंदिर का प्रायः नाम श्री द्वारकाधीश मंदिर, जगत मंदिर भी कहा जाता है।

जाने द्वारका धाम मंदिर के खुलने और पूजन का समय

6:30 AM – 1:00 PM, 5:00 AM – 9:30 PM

6:30 AM: Mangla Arti

7:30 – 8:00 AM: Mangla Darshan. 8:00-9:00 AM darshan closed for abhishek

9:00 – 9:30 AM: Shringar Darshan. 9:30-9:45 AM darshan close for Snanbhog

9:45 – 10:15 AM: Shringar Darshan. 10:15-10:30 AM darshan closed for abhishek

10:30 – 11:05 AM: Shringar Arti and Shringar Darshan. 11:05-11:20 AM darshan close for Gwal Bhog.

10:20 – 12:00 PM: Darshan. 12:00-12:20 PM darshan close for rajbhog.

12:20 – 12:30 PM: Darshan.

5:00 – 5:30 PM: Uthappan first darshan. 5:30-5:45 PM darshan close for uthappan bhog.

5:45 – 7:15 PM: Darshan. 7:15-7:30 PM darshan close for sandhya bhog.

7:30 – 8:00 PM: Sandhya Arti and Darshan. 8:00-8:10 PM darshan close for sandhya bhog.

8:10 – 9:00 PM: Darshan and 8:30: Shayan Arti. 9:00-9:20 PM darshan close for bantabhog and shayan.

9:20 – 9:30 PM: Day last darshan.


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