फाल्गुन मास की गणेश चतुर्थी व्रत कथा – Ganesh Chaturthi Vrat Katha

Ganesh Chaturthi Vrat Katha –

  • फाल्गुन मास में आने वाली चतुर्थी को गणेश चतुर्थी व्रत किया जाता है।
  • 28 फरवरी 2024 को फाल्गुन कृष्ण पक्ष को गणेश चतुर्थी व्रत मनाया जा रहा है।
  • गणेश चतुर्थी व्रत पुर्णतः माता पार्वती और गणेश जी को समर्पित मन गया है।
  • इस दिन भगवान गणेश और माता पार्वती जी की पूजा करने वाले की सारी मनोकामना पूर्ण होती है।
  • इस दिन विघ्ननाशक गणेश स्तोत्र का पाठ करना भी बहुत शुभ माना जाता है। (Ganesh Chaturthi Vrat Katha)

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फाल्गुन मास गणेश चौथ व्रत कथा – Ganesh Chaturthi Vrat Katha

एक बार गणेश जी से माता पार्वती जी ने कहा हे वत्स ! फाल्गुन मास में चतुर्थी को कौन-सा व्रत और पूजन करना चाहिए सो बतलायें। (Falgun Mas Ganesh Chaturthi Vrat Katha)

गणेशजी ने कहा-हे मातेश्वरी ! फाल्गुन महीने की चतुर्थी को हरम्ब गणेश की पूजा और व्रत करना चाहिए। उस दिन हवन में गुलसरल की समिधाओं का प्रयोग करें। कनेर के फूल और खीर मिलाकर साकल्य बनावें उसको स्वाहा उच्चारण कर आहुति देवें । इसकी कथा सुनाता हूँ सो सुनो ।

सतयुग में युवनाश्व नामक राजा धर्म परायणता के साथ राज्य करता था । उसके राज्य में विष्णुशर्मा नामक एक विद्वान् रहता था। उसके सात पुत्र थे । सातों पुत्र अपनी बहुओं के साथ अलग-अलग रहते थे। विष्णुशर्मा प्रतिदिन अलग-अलग पुत्रों के यहाँ भोजन कर जीवन बिताते थे । बहुयें अपने ससुर का आदर के स्थान पर तिरस्कार करती थीं।

एक दिन फाल्गुन मास की चतुर्थी आई तो उस दिन गणेश चौथ का व्रत करके वह अपनी बड़ी पुत्र वधू के घर पर गया और बोला-मेरा गणेश चौथ का व्रत है, इसलिए पूजा का सामान दे दो । बड़ी बहू बोली-तुम्हारे व्यर्थ काम के लिए मुझे समय नहीं है इसी प्रकार छः बहुओं ने बारी-बारी से ससुर का अपमान किया अन्त में वह सबसे छोटी बहू के पास गया ओर गणेशजी के पूजन का सामान मांगा।

बहू ने विनम्र भाव से कहा आप बैठिए मैं अभी पूजा की सामग्री आपको देती हूं । छोटी बहू पूजन का सामान लेकर आई और बहू ने श्वसुर के साथ मिलकर बड़ी श्रद्धा के साथ गणेश जी का पूजन किया छोटी बहू ने ससुर को आदरपूर्वक भोजन कराया और स्वयं भूखी रही ।

रात को विष्णुशर्मा को वमन हो गई और साथ ही दस्त भी होने लगे और शरीर मलमूत्र हो गया यह देखकर बहू ने अपने ससुर के वस्त्र एवं शरीर को जल से साफ किया और जागकर सारी रात ससुर की सेवा की । गणेशजी की कृपा से सवेरे ही श्वसुर की तबियत ठीक हो गई ।

गणेशजी की कृपा से छोटी बहू के घर में धन ही धन हो गया। दूसरी बहुओं ने जब छोटी बहू के घर में धन को ठाट देखा तो छोटी बहू से इसका कारण पूछा। छोटी बहू ने कहा कि मैंने फाल्गुन मास की चतुर्थी को गणेशजी का व्रत और पूजन किया । गणेशजी की कृपा का ही यह फल है। यह जानकर अन्य बहुओं ने भी यह व्रत किया और धन को प्राप्त किया । श्रीकृष्ण जी ने कहा कि हे राजन ! तुम भी यह व्रत करो जिससे तुम्हें भी उत्तम फल प्राप्त होवे । धर्मराज ने वैसे ही गणेशजी का व्रत किया जिससे उन्हें उनका राज्य प्राप्त हो गया ।


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