गोगा नवमी व्रत कथा, पूजन और विधि | Gogaji Navami Vrat Katha, Puja aur Vidhi.

Gogaji Navami Vrat Katha 2023 – भाद्रपद मास के पावन महीने में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के ठीक दूसरे दिन नवमी तिथि को गोगा नवमी मनाई जाती है। यानी की आज दिनांक ‘शनिवार, 20 अगस्त 2022 को गोगा नवमी मनाई जाएगी’। राजस्थान के लोकप्रिय देवता इनको कई नामो से उनके भक्त पुकारते है जैसे गोगा जी को गोगा, जाहरवीर गोगा, गुग्गा, गोगा पीर, जाहरपीर, गोगा चौहान, गोगा राणा, गोगा बीर, गोगा महाराज और राजा मंडलिक के नाम से भी जाना जाता है। प्रभु की माया विचित्र ही है रूप एक नाम अनेक |

गोगा नवमी 2022 में कब है? Goga Navami Vrat, Puja Vidhi or samgri | Goga medi mela 2022 |गोगाजी की कथा

गोगा जी देव, गोगा नवमी क्या महात्म्य | Gogaji Dev Gogaji Navami Mathatm.

जैसा की सभी जानते है राजस्थान में इस पर्व को बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है और राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले का एक छोटा सा कस्बा है गोगामेड़ी जिसमे में भादों की कृष्णपक्ष एवं शुक्लपक्ष की नवमी को गोगाजी का मेला बहुत प्रसिद्ध माना जाता है । इस मेले में श्रद्धालु राजस्थान राज्य के अतरिक्त जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश एवं गुजरात से भी यहाँ पर मेला घोमने के लिए आते है और लुत्फ़ उठाते है अपनी अपनी कुछ झलकियाँ भी लगाते हैं। गोगा नवमी को श्री जहरवीर गोगाजी की जयंती के रूप में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।

श्री बाबा गोरखनाथ के परमशिष्य श्री गोगाजी महाराज को नागों का देवता माना जाता है। इसलिए इस दिन नागों की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि पूजा स्थल की मिट्टी को घर में रखने से सांपों के भय से मुक्ति मिलती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार गोगा जी महाराज की पूजा करने से सर्पदंश का खतरा नहीं होता है। हिन्दू इन्हें गोगाजी तथा मुसलमान इनको गोगापीर एवं जाहरपीर के रूप में पूजते हैं।

राजस्थान में एक जनश्रुति के अनुसार पाबूजीहड़बूजीरामदेवजीमंगलियाजी और मेहाजी को पांच मुख्य पीर (पंच पीर) माना जाता है। इस जनश्रुति को दोहा के रूप में इस प्रकार से जाना जाता है:

पाबू, हड़बू, रामदे, मांगलिया, मेहा ।
पांचो पीर पधारज्यों, गोगाजी जेहा ॥

यहाँ मनाया जाता है धूम धाम से गोगा नवमी | Goga Navami 2023

राजस्थान के अलावा मध्य प्रदेश के उज्जैन, पंजाब और हरियाणा सहित हिमाचल प्रदेश के कुलवा और कुछ क्षेत्रों में भी गोगा नवमी (Goga Navami 2022) का पर्व बड़ी श्रद्धा, भक्ति भाव और विश्वास के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष 2022 में ये पर्व 20 अगस्त, शनिवार को मनाया जा रहा है। गोगा नवमी पर राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के गोगामेड़ी नाम के शहर में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। यहां हिंदू और मुस्लिम दोनों ही गोगादेव की पूजा करते हैं। मान्यता है कि गोगा देव की पूजा करने से सर्पदंश यानी नाग के काटने का भय नहीं रहता और संतान प्राप्ति की इच्छा भी पूरी होती है।

मनमोहक कथा गोगादेव के जन्म की – Story of Gogadeva Janam

किवंदतियों के अनुसार, गोगा जी की माँ बाछल देवी की कोई संतान हीं थी। काफी प्रयास के बाद भी जब उन्हें संतान नहीं हुई तो वे निराश हो गई। तब एक दिन गोगामेड़ी में गुरु गोरखनाथ तपस्या करने आए। बाछलदेवी गुरु गोरखनाथ के पास गई और अपनी परेशानी बताई। 

गुरु गोरखनाथ ने उन्हें एक फल खाने को दिया और पुत्रवती होने का आशीर्वाद देते हुए कहा कि “ तेरा पुत्र वीर तथा नागों को वश में करने वाला तथा सिद्धों का शिरोमणि होगा। जब बाछल देवी को पुत्र हुआ तो उन्होंने उसका नाम गुग्गा रखा। बाद में इन्हें गोगा देव के नाम से जाना जाने लगा। ये गुरु गोरखनाथ के परम शिष्य थे। इनका नाम लेने से सर्प कोई हानि नहीं पहुंचाते।

इस तरह करें गोगदेव की पूजा सुख शांति रहेगी जीवन में – Gogadev ki Puja Vidhi 2023

गोगा नवमी की सुबह स्नानादि करने के बाद गोगा देव की घोड़े पर सवार प्रतिमा लेकर घर आएं। कुंकुम, रोली, चावल, फूल, गंगाजल आदि से गोगादेव की पूजा करें। खीर, चूरमा, गुलगुले का भोग लगाएं एवं चने की दाल गोगा जी के घोड़े पर श्रद्धापूर्वक चढ़ाएं। गोगा देव की कथा श्रद्धा पूर्वक सुनें और मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें। कुछ स्थानों पर इस दिन सांप की बांबी की पूजा भी की जाती है। 

गोगा जी देव, गोगा नवमी की पूजन और पूजा विधि | Goga Navami 2023

इस दिन दीवार पर गेरू से पोतकर दूध में कोयला पीसकर चाकोर घर बनाकर उसमें पांच सर्व बनाते हैं। इसके बाद इन सर्पों पर जल, कच्चा दूध, रोली-चावल, बाजरा, आटा, घी, चीनी मिलाकर चढ़ाना चाहिए और पण्डित को दक्षिणा देनी चाहिए।

गुगा मारी मंदिरों में इस दिन विभिन्न पूजाओं और जुलूसों का आयोजन किया जाता है। गोगा नवमी पर, हिंदू भक्त किसी भी चोट या नुकसान से सुरक्षा के आश्वासन के रूप में भगवान गोगा को राखी या रक्षा स्तोत्र भी बांधते हैं।

इस व्रत के करने से स्त्रियाँ सौभाग्यवती होती हैं। पति की विपत्तियों से रक्षा होती है और मनोकामनाये पूरी होती है। बहने भाइयों को टीका लगाती हैं तथा मिठाई खिलाती हैं। बदले में भाई यथाशक्ति बहनों को उपहार देते है |

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