जगन्नाथ पुरी मंदिर की 800 वर्ष पुरानी बाते | Jagannath Mandir Story

Jagannath Mandir Story: जगन्नाथ मंदिर हिन्दु धर्म में चार पवित्र धामों में से एक धाम जिसकी महिमा शास्त्रों में वर्णित है, ओडिशा के पावन तट वर्ती शहर पुरी में स्थित यह विश्व प्रसिद्ध मंदिर भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण बलदाऊ और बहन सुभद्रा जी को समर्पित है,  लगभग 800 वर्ष पुराने हमारे सनातन पवित्र मंदिर से जुड़ी ऐसी कई रहस्यमय और चमत्कारी बातें हैं, जो आश्चर्यचकित कर देती हैं. प्रभात खबर के एक लेख के अनुसार आइए जानते हैं उन चमत्कारी रहस्यों के बारे मे:- 

जगन्नाथ पुरी मंदिर की 800 वर्ष पुरानी बाते | Jagannath Mandir Story

Jagannath Mandir Story: जगन्नाथ मंदिर का सबसे बड़ा रहस्य यह है मंदिर के शिखर पर स्थित झंडा हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है इसे आप क्या कहेंगे चमत्कार या अविश्वास?  वैसे आमतौर पर दिन के समय हवा समुद्र से धरती की तरफ चलती है और शाम को धरती से समुद्र की तरफ, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां यह प्रक्रिया उल्टी है. अब ऐसा क्यों है, ये रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया है.

जगन्नाथ पुरी मंदिर की 800 वर्ष पुरानी बाते Jagannath Mandir Story
  • जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र लगा है, जिसके बारे में कथन है कि उसे किसी भी दिशा से खड़े होकर देखें, ऐसा लगता है कि चक्र का मुंह आपकी ही तरफ है. इसी तरह एक और रहस्य ये है कि मंदिर के शिखर की छाया हमेशा अदृश्य ही रहती है. उसे जमीन पर कभी कोई नहीं देख पाता है यह भी एक अद्भुद तथ्य है जगन्नाथ धाम का.
  • कहा जाता हैं कि मंदिर के अंदर समुद्र की लहरों की आवाज सुनाई नहीं देती है, जबकि मंदिर समुद्र निकट में ही स्थित है, लेकिन आप जैसे ही मंदिर से एक कदम बाहर निकालेंगे, वैसे ही समुद्र के लहरों की आवाज स्पष्ट सुनाई देने लगती है. यह बात किसी आश्चर्य से कम नहीं है मित्र.
  • आमतौर पर मंदिरों के ऊपर से पक्षी गुजरते ही हैं या कभी-कभी तो उसके शिखर पर भी बैठ जाते हैं, लेकिन जगन्नाथ मंदिर इस मामले में सबसे अलग है, क्योंकि इसके ऊपर से कोई भी पक्षी नहीं गुजरता है. कहा जाता है कि गरुड़ देव, जिन्हें पक्षियों का राजा माना गया है. वह खुद भगवान की देखरेख करते हैं. सिर्फ यही नहीं, मंदिर के ऊपर से हवाई जहाज भी नहीं उड़ते हैं इसका कोई विज्ञान नहीं है लेकिन सत्य है.
  • इस मंदिर की रसोई भी सबको हैरान कर देती है, यहां प्रसाद पकाने के लिए सात बर्तन एक-दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं, लेकिन हैरानी की बात ये है कि सबसे ऊपर रखे बर्तन का ही प्रसाद सबसे पहले पकता है. फिर नीचे की तरफ एक के बाद एक बर्तन में रखा प्रसाद पकता जाता है.
  • यह भी कहा जाता है कि यहां हर दिन बनने वाला प्रसाद भक्तों के बीच कभी कम नहीं पड़ता. चाहे संख्या 10-20 हजार लोग आएं या लाखों लोग, सबको प्रसाद मिलता ही है, लेकिन जैसे ही मंदिर का द्वार बंद होता है, वैसे ही प्रसाद भी खत्म हो जाता है.

यह लेख पढने के बाद आपके मन में भी अभिलाषा बढ़ गयी होगी प्रभु श्री जनन्नाथ धाम के दर्शनों के लिए, इसी प्रकार के लेखों के लिए जुड़े रहिये हमसे, || जय जनन्नाथ ||


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