कहानी 1. इस संसार में जिसकी जैसी करनी वैसी भरनी |

वैसे तो इस संसार में जैसी करनी वैसी भरनी के लिए बहुत सी बातें है जानने योग्य लेकिन हर बात हर समय समझ में नहीं आती है |

जैसा हमारे बुजुर्ग कहते है जो की ईश्वर की ही कही हुई बात है हर कार्य एक निश्चित समय और विधान होता है | लेकिन कुछ लोग इस संसार में ऐसे भी है जो दुसरो के बहकावे में आकर कुछ अनिष्ट कार्य कर बैठते है और अंत में तो परिणाम आप सब को पता है “गलत काम का गलत नतीजा” इस बात में आधारित आज की हमारी कहानी जैसी करनी वैसी भरनी जिससे आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा तो आइये पढ़ें….

कहानी - जैसी करनी वैसी भरनी
Image – Bhagwanam.com

कहानी – जिसकी जैसी करनी वैसी भरनी

एक समय की बात है एक गाँव में एक परिवार था उस परिवार में एक स्त्री को विवाह हुए कई वर्ष हो गए थे लेकिन किन्ही कारणों से उसको एक भी पुत्र नहीं हुआ |

अतएव वह पुत्र होने के लिए मूर्ख और धूर्त मनुष्यों के पास जा-जाकर ताबीज-गंडा और यंत्र-मंत्र कराने लगी ।  कई प्रकार के टोटके और तरीके अपनाने लगी जिसे देखकर उसके परिवार वाले भी छीनता में रहने लगे की यह क्या क्या करती रहती है|

लेकिन एक मां की कोख सूनी होने कर शोक सिर्फ वही समझ सकती है उसके अलावा कोई नहीं, उस पर क्या बिताती है यह सिर्फ वही जान सकती है |

एक बार एक पाखंडी ने इस मूर्खा स्त्री से कहा कि ‘मंगलवार की रात को यदि तू फलाँ आदमी के घर में आग लगा दे तो गुरु के कथनानुसार अवश्य तेरे पुत्र होगा ।’ बस मूर्ख स्त्री ने उसकी बात सुनकर बिना कुछ सोचे समझे जैसा उस पाखंडी ने कहा वैसा ही किया ।

उसके उस व्यक्ति के यहाँ आग लगा दी, उस भयकर आग में बहुत-सा माल-असबाब तथा गाय, भैंस और बछड़े कुल मिलाकर आठ जीव चीखते-चिल्लाते जल मरे । और सब देखते रह गए |

कुछ दिनों बाद उस स्त्री को पुत्र हुआ और समय बीतने पर वह आठ पुत्रों की माँ बनी। उसका बूढ़ा ससुर अपनी पतोहू के उस आग लगाने वाले कुकृत्य को भली भांति जानता था। लेकिन किसी से कुछ कह नहीं रहा था लोक लज्जा के कारण वह चुप रहा|

एक दिन उसने सोचा- ‘मालूम पड़ता है कि भगवान के घर भी अंधेर है।’  इतना मन में विचार करके वह बूढा व्यक्ति वह से चला गया |

फिर आगे चल कर उस स्त्री के ज्यों-ज्यों बेटे बड़े होते गये, सब का ब्याह करती गयी। लेकिन जिस लड़के का ब्याह होता, वह मर जाता था। इस प्रकार उसके सब बेटे मर गये। तब वह फूट-फूटकर रोने लगी । उसके बूढ़े ससुर ने कहा- देखा !! ‘भगवान के घर अंधेर नहीं है जैसी करनी वैसी भरनी, वहाँ पर सच्चा न्याय होता है।

यह बात सुनकर बहू को ऐसा लगा, मानो घाव पर नमक छिड़क दिया गया हो । उसने कड़ककर ससुर से कहा- ‘आठ-आठ बाघ जैसे मेरे बेटों के मर जाने से मानो तुम्हें बड़ी खुशी हो रही है ।’ पास-पड़ोस के लोगों ने भी आकर बूंढ़े को बुरा • भला कहा |

सबकी बातें सुनकर जब बुजुर्ग से नहीं रहा गया तब बूढ़ा बोला- मुझे मेरा परिवार बहुत प्रिय है । परन्तु इस अभागिनी ने किसी मूर्ख पाखंडी के कहने पर एक गृहस्थ के घर में आग लगा दी थी । जिसमे आठ निर्दोष जीव उसमे पशु भी चिल्ला-चिल्लाकर जल मरे थे।

वही आठों इस सूर्खा के आठ पुत्र होकर जन्मे और अब वे ही इसे संताप की आँच में जलती छोड़कर चल बसे हैं। बूढ़े की यह बात गाँव वालों को जँच गयी और उस मूर्खा ने भी समझ लिया कि यह मेरे ही कुकर्म का फल है । उसके बाद वह अपने ससुर को ज्ञानी समझकर उसकी सेवा करने लगी। और सन्मार्ग पर चलने लगी जिसके परिणाम स्वरुप वह सुखी हुई और उसको कुछ समय बीतने पर फिर उसके एक पुत्ररत्न हुआ ।

अंत में वह सुखी हुई!!

भगवान कृष्ण द्वारा बताये गए 7 संकेत जो बताते है आपका समय अच्छा आने वाला है| 1


Scroll to Top