Kamda Ekadashi 2023 Vrat Katha –
इस लेख में हम जानेंगे कामदा एकादशी कब है और कामदा एकादशी की कथा !! हमारे पंचांग के अनुसार कामदा एकादशी का व्रत 2023 में 1 और 2 अप्रैल दोनों ही दिन रखा जाएगा लेकिन पहले दिन परिवारजनों को व्रत करना शुभ रहेगा और वहीं दूसरे दिन (ISKON) वैष्णव संप्रदाय की एकादशी है, कामदा एकादशी व्रत को लेकर मान्यता है कि यदि इस व्रत को विधि विधान के साथ किया जाये तो मनुष्य को ब्रम्ह हत्या जैसे पाप से भी क्षमा मिल जाती है श्री हरि के चरणों में स्थान प्राप्त होता है।
कामदा एकादशी की पूजा में कथा और आरती का श्रवण जरुर करें, कहते हैं इसके बिना व्रत और श्रीहरि की पूजा अधूरी मानी जाती है. हो सके तो श्री हरि स्तोत्र और विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी करें, तो आइए स्मरण करें कामदा एकादशी की कथा:-
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कामदा एकादशी 2023 मुहूर्त – Kamada Ekadashi 2023 Muhurat.
विषय | जानकारी |
एकादशी तिथि शुरू | 1 अप्रैल 2023, प्रात: 01.58 |
एकादशी तिथि समाप्त | 2 अप्रैल 2023, सुबह 04.19 |
कामदा एकादशी व्रत पारण समय | दोपहर 01.40 – शाम 04.10 (2 अप्रैल 2023) |
कामदा एकादशी व्रत कथा | Kamda Ekadashi Vrat Katha.
एक दिन श्री युधिष्ठिर ने पूछा: हे वासुदेव! आपको नमस्कार है! कृपया आप यह बताइये कि चैत्र शुक्ल पक्ष एकादशी किस नाम की एकादशी होती है?
यह सुनकर भगवान श्रीकृष्ण बोले : राजन् ! एकाग्रचित्त होकर यह पुरातन कथा सुनो, जिसे वशिष्ठजी ने राजा दिलीप के पूछने पर कहा था ।
वशिष्ठजी बोले : राजन् ! चैत्र शुक्लपक्ष में ‘कामदा’ नाम की एकादशी होती है । वह परम पुण्यमयी है । पापरुपी ईँधन के लिए तो वह दावानल ही है ।
प्राचीन काल की बात है: नागपुर नाम का एक सुन्दर नगर था, जहाँ सोने के महल बने हुए थे । उस नगर में पुण्डरीक आदि महा भयंकर नाग निवास करते थे । पुण्डरीक नाम का नाग उन दिनों वहाँ राज्य करता था । गन्धर्व, किन्नर और अप्सराएँ भी उस नगरी का सेवन करती थीं । वहाँ एक श्रेष्ठ अप्सरा थी, जिसका नाम ललिता था । उसके साथ ललित नामवाला गन्धर्व भी था । वे दोनों पति पत्नी के रुप में रहते थे । दोनों ही परस्पर काम से पीड़ित रहा करते थे । ललिता के हृदय में सदा पति की ही मूर्ति बसी रहती थी और ललित के हृदय में सुन्दरी ललिता का नित्य निवास था ।
एक दिन की बात है । नागराज पुण्डरीक राजसभा में बैठकर मनोंरंजन कर रहा था । उस समय ललित का गान हो रहा था किन्तु उसके साथ उसकी प्यारी ललिता नहीं थी । गाते गाते उसे ललिता का स्मरण हो आया । अत: उसके पैरों की गति रुक गयी और जीभ लड़खड़ाने लगी ।
नागों में श्रेष्ठ कर्कोटक को ललित के मन का सन्ताप ज्ञात हो गया, अत: उसने राजा पुण्डरीक को उसके पैरों की गति रुकने और गान में त्रुटि होने की बात बता दी । कर्कोटक की बात सुनकर नागराज पुण्डरीक की आँखे क्रोध से लाल हो गयीं । उसने गाते हुए कामातुर ललित को शाप दिया : ‘दुर्बुद्धे ! तू मेरे सामने गान करते समय भी पत्नी के वशीभूत हो गया, इसलिए राक्षस हो जा ।’
महाराज पुण्डरीक के इतना कहते ही वह गन्धर्व राक्षस हो गया । भयंकर मुख, विकराल आँखें और देखनेमात्र से भय उपजानेवाला रुप – ऐसा राक्षस होकर वह कर्म का फल भोगने लगा ।
ललिता अपने पति की विकराल आकृति देख मन ही मन बहुत चिन्तित हुई । भारी दु:ख से वह कष्ट पाने लगी । सोचने लगी: ‘क्या करुँ? कहाँ जाऊँ? मेरे पति पाप से कष्ट पा रहे हैं…’
वह रोती हुई घने जंगलों में पति के पीछे पीछे घूमने लगी । वन में उसे एक सुन्दर आश्रम दिखायी दिया, जहाँ एक मुनि शान्त बैठे हुए थे । किसी भी प्राणी के साथ उनका वैर विरोध नहीं था । ललिता शीघ्रता के साथ वहाँ गयी और मुनि को प्रणाम करके उनके सामने खड़ी हुई । मुनि बड़े दयालु थे । उस दु:खिनी को देखकर वे इस प्रकार बोले : ‘शुभे ! तुम कौन हो ? कहाँ से यहाँ आयी हो? मेरे सामने सच सच बताओ ।’
ललिता ने कहा : महामुने ! वीरधन्वा नामवाले एक गन्धर्व हैं । मैं उन्हीं महात्मा की पुत्री हूँ । मेरा नाम ललिता है । मेरे स्वामी अपने पाप दोष के कारण राक्षस हो गये हैं । उनकी यह अवस्था देखकर मुझे चैन नहीं है । ब्रह्मन् ! इस समय मेरा जो कर्त्तव्य हो, वह बताइये । विप्रवर! जिस पुण्य के द्वारा मेरे पति राक्षसभाव से छुटकारा पा जायें, उसका उपदेश कीजिये ।
ॠषि बोले : भद्रे ! इस समय चैत्र मास के शुक्लपक्ष की ‘कामदा’ नामक एकादशी तिथि है, जो सब पापों को हरनेवाली और उत्तम है । तुम उसीका विधिपूर्वक व्रत करो और इस व्रत का जो पुण्य हो, उसे अपने स्वामी को दे डालो । पुण्य देने पर क्षणभर में ही उसके शाप का दोष दूर हो जायेगा ।
राजन् ! मुनि का यह वचन सुनकर ललिता को बड़ा हर्ष हुआ । उसने एकादशी को उपवास करके द्वादशी के दिन उन ब्रह्मर्षि के समीप ही भगवान वासुदेव के (श्रीविग्रह के) समक्ष अपने पति के उद्धार के लिए यह वचन कहा: ‘मैंने जो यह ‘कामदा एकादशी’ का उपवास व्रत किया है, उसके पुण्य के प्रभाव से मेरे पति का राक्षसभाव दूर हो जाय।
वशिष्ठजी कहते हैं : ललिता के इतना कहते ही उसी क्षण ललित का पाप दूर हो गया । उसने दिव्य देह धारण कर लिया । राक्षसभाव चला गया और पुन: गन्धर्वत्व की प्राप्ति हुई ।
नृपश्रेष्ठ ! वे दोनों पति पत्नी ‘कामदा’ के प्रभाव से पहले की अपेक्षा भी अधिक सुन्दर रुप धारण करके विमान पर आरुढ़ होकर अत्यन्त शोभा पाने लगे । यह जानकर इस एकादशी के व्रत का यत्नपूर्वक पालन करना चाहिए ।
मैंने लोगों के हित के लिए तुम्हारे सामने इस व्रत का वर्णन किया है । ‘कामदा एकादशी’ ब्रह्महत्या आदि पापों तथा पिशाचत्व आदि दोषों का नाश करनेवाली है । राजन् ! इसके पढ़ने और सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है ।
कामदा एकादशी की कथा | कामदा एकादशी 2023 के जुड़े प्रश्न
कामदा एकादशी कब है ?
कामदा एकादशी तिथि 1 अप्रैल 2023, प्रात: 01.58 से प्राम्भ है और 2 अप्रैल 2023, सुबह 04.19 तक है।
कामदा एकादशी का महत्त्व ?
जिस तरह कथा में लिखित कर्कोटक और ललिता का उद्धार प्रभु ने किया ठीक उसी प्रकार इस व्रत के करने से मनुष्य को ब्रम्ह हत्या जैसे पापों के छुटकारा मिलता है और मनुष्य को श्री हरि के चरणों में स्थान मिलता है।
कामदा एकादशी व्रत पारण समय क्या है ?
2 अप्रैल 2023 दोपहर 01.40 – शाम 04.10
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