कोजागरी लक्ष्मी पूजा व्रत कथा और विधि | Kojagari Lakshmi Puja Vrat Katha.

Kojagari Lakshmi Puja – शरद कोजागरी लक्ष्मी पूजा व्रत भारत में कई प्रदेशों जैसे उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और असम आदि में अश्विन पूर्णिमा के दौरान देवी लक्ष्मी की पूजा जाती है। इस लक्ष्मी पूजा का यह दिन कोजागरी पूर्णिमा या बंगला लक्ष्मी पूजा के रूप में भी मनाया जाता है। हालांकि अब भारत में अधिकांश लोग दिवाली के दिन ही देवी लक्ष्मी की पूजा करते है और माता लक्ष्मी को प्रसन्न करते है। 

हर वर्ष आश्विन मास की पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा के दिन ही कोजागरी पूजा का आयोजन किया जाता है। देश के कई हिस्सों में इस पूजा का विशेष महत्व भी होता है। इस वर्ष कोजागरी व्रत पूजा 2022, 09 अक्टूबर दिन रविवार को आ रही है। कोजागरी व्रत को कौमुदी व्रत भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि कोजागरी पूजा की रात को चंद्रमा की किरणों से अमृत गिरता है। जिसके लिए स्त्रियाँ इस रात को खीर बनाकर रात भर चांदनी में रखने का भी रिवाज होता है। आश्विन मास की पूर्णिमा को किए जाने वाले इस व्रत में देवी लक्ष्मी की पूजा करने का विधान माना जाता है। कहते है कि इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करने से उनका आशीर्वाद उपासकों पर सदैव बरसता रहता है। तो आइए इस व्रत के महत्व, पूजा विधि और कथा के बारे में संछिप्त रूप में जानते हैं।

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कोजागरी लक्ष्मी पूजा व्रत के कारण इस त्यौहार को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। यह पूर्णिमा उत्तर भारत में शरद पूर्णिमा व्रत के नाम से प्रसिद्ध है। हिंदू धर्म मान्यता के अनुसार इस रात्रि लक्ष्मी माता यह देखने के लिए घूमती रहती हैं कि कौन रात्रि जागरण कर रहा है। रात्रि जागरण करने वाले व्यक्ति का माता महालक्ष्मी कल्याण करती हैं।

कोजागरी पूर्णिमा (कोजागरी लक्ष्मी पूजा) की रात को दीपावली से भी ज्यादा खास माना जाता है क्योंकि इस रात स्वयं माता लक्ष्मी अपने भक्तों को संपत्ति देने के लिए आती हैं। कहा जाता है कि अगर इस रात आपको धन का खजाना पाना है तो देवी कोजागरी लक्ष्मी पूजा सच्चे मन और विधि विधान से करनी चाहिए।

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कोजागरी लक्ष्मी पूजा व्रत का महत्व – Kojagari Lakshmi Puja Vrat.

कोजागरी पूर्णिमा पूजा के दिन ही शरद पूर्णिमा भी मनाते है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना गया है कि इस दिन देवी माता लक्ष्मी अपने भक्तों के घर जाती है। क्या आप जानते है माता लक्ष्मी के आठ स्वरूप है, इनमें से किसी भी स्वरूप का ध्यान करने से माता लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

देवी लक्ष्मी के आठ स्वरूप इस प्रकार है धनलक्ष्मी, धन्य लक्ष्मी, राजलक्ष्मी, वैभवलक्ष्मी, ऐश्वर्य लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, कमला लक्ष्मी और विजय लक्ष्मी है। इस दिन विशेष तौर पर खीर बनाई जाती है, इसका इस दिन काफी महत्व माना जाता है। इसका कारण यह है कि खीर सिर्फ दूध से बनाई जाती है, और दूध को चंद्रमा का प्रतीक माना गया है। इसके अलावा इस व्रत का पालन करने वाले मृत्यु के बाद सिद्धत्व को प्राप्त होते है ऐसा भी कथित हैं। इस दिन रात्रि जागरण का भी इस दिन विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि देवी इस रात्रि को भक्तों के घर घर जाती है, जो जाग रहा होता है, उस पर देवी लक्ष्मी की कृपा बरसती है।

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कोजागरी लक्ष्मी पूजा व्रत की खीर का महत्व – Kojagari Lakshmi Puja.

कोजागरी पूर्णिमा की रात को रात भर खीर बनाकर रखने की परंपरा है। इसका वैज्ञानिक महत्व भी बताया गया है। यह बताने की जरूरत नहीं है कि आश्विन मास की पूर्णिमा अन्यथा आश्विन पूर्णिमा वर्षा ऋतु का आखिरी दिन माना जा सकता है। विज्ञान के अनुसार इस दिन चांद धरती के सबसे करीब होता है, जिससे चांद की किरणें जब खीर पर पड़ती है, जिसे खाने से लोगों का मन शांत रहता है, और शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाती है। सांस की बिमारी वाले लोगों को इससे अच्छा फायदा होता है, इसके अलावा आंखों की रोशनी भी बेहतर होती है। और जीवन में सुख शांति का प्रवेश होता है |

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कोजागरी लक्ष्मी पूजा व्रत की कथा – Kojagari Lakshmi Puja.

कोजागरी व्रत को लेकर भी विभिन्न क्षेत्रों में कई कथाएं प्रचलित हैं। इनमें से जो सबसे प्रचलित कथा हैं, हम आपको उसके बारे में बताते हैं। प्राचीन काल में एक साहूकार था। जिसकी दो बेटियां थी, उनकी माता लक्ष्मी बड़ी आस्था थी और दोनों ही पूर्णिमा का उपवास रखती थी। साहूकार की बड़ी बेटी इस व्रत को पूरा करती थी, और पूरे विधि विधान से संपन्न करती थी। लेकिन, उसकी छोटी बेटी अज्ञानतावश व्रत को अधूरा छोड़ देती थी। व्रत को अधूरा छोड़ने के कारण देवी लक्ष्मी उससे रुष्ट हो गई। जिससे साहूकार की छोटी बेटी के पुत्रों की मृत्यु होने लगी।

जब भी वह किसी बच्चे को जन्म देती, उसके कुछ ही देर बाद उसके बेटे की मृत्यु हो जाती थी। साहूकार की छोटी बेटी इससे काफी परेशान हो गई, और उसने एक ऋषि को अपनी इस परेशानी के बारे में बताया। ऋषि साहूकार की छोटी बेटी को देखकर सारा माजरा समझ गए थे। उन्हें साहूकार की छोटी बेटी को उसकी गलती के बारे में बताया कि वह पूर्णिमा के व्रत को अधूरा छोड़ देती है, और पूर्ण विधिविधान से उस व्रत को नहीं करती है। उन्होंने साहूकार की बेटी को कहा कि अगर तुम पूर्णिमा का व्रत विधिपूर्वक पूर्ण करती हो, तो तुम्हारी संतान जीवित रह सकती है।

ऋषि की सलाह के बारे उसने पूर्णिना का व्रत विधिविधान से पूरा किया। जिसके फलस्वरूप उसे संतान की प्राप्ति हुई, लेकिन कुछ दिनों बाद उसकी भी मौत हो गई। वह परेशान हो गई, तब उसे अपनी बड़ी बहन की याद आई। उसने लड़के को एक छोटी चौकी के आकार का लकड़ी पर लेटा दिया, और उस पर कपड़ा ढंग दिया। उसके बाद वह अपनी बड़ी बहन को बुलाकर लाई, और बहन को उसी पर बैठने का इशारा किया। बड़ी बहन इस बात से अंजान थी कि वहां पर उस बच्चे की लाश पड़ी हुई है। वह जैसे ही उसे पीढ़ा पर बैठने लगी, उसके लहंगा बच्चे को छू गया और बच्चा अचानक से जीवित हो उठा और रोने लगा।

यह माजरा देख बड़ी बहन ने फटकार लगाते हुए कहा कि तू मुझे कलंक लगाना चाहती थी, मेरे बैठने से यह मर जाता। बड़ी बहन की बात सुनकर छोटी बहन ने विनम्र भाव से कहा कि यह पहले ही मर चुका था। तेरे तप और पुण्य से ही यह जीवित हुआ है। तुझ पर माता लक्ष्मी की आसीम कृपा है। इस घटना के बाद साहूकार ने नगर में पूर्णिमा का पूरा व्रत करने का ढिंढोरा पिटवा दिया। तभी से इस दिन को उत्सव के रूप में मनाया जाता है, देवी लक्ष्मी की पूजा की जाने लगी।

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कोजागरी पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि – Kojagari Purnima Vrat.

कोजागरी पूजा का उल्लेख नारद पुराण में है। इसमें इस व्रत की पूजा विधि को भी बताया गया है। इसके अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा के दिन की जाने वाली इस पूजा में पीतल, चांदी, तांबे या सोने से बनी देवी लक्ष्मी की प्रतिमा की पूजा की जाती है। सबसे पहले इस मूर्ति को कपड़े से ढंक दिया जाया है। कोजागरी लक्ष्मी पूजा व्रत के लिए देवी की पूजा समान्य तरीके करनी चाहिए। इसके बाद रात को चंद्रोदय के बाद विशेष रूप से पूजा की जाती है। रात को आपको मुख्य रूप से खीर बनाना चाहिए, और अगर घर में चांदी का पात्र है, तो उसमें खीर चांद निकालते ही खुले आसमान के नीचे रखना चाहिए। अगर चांदी का पात्र न हो, तो सामान्य बर्तन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके बाद रात में देवी लक्ष्मी के सामने घी के 100 दीपक जला दें। साथ ही मां लक्ष्मी के मंत्र, आरती के साथ विधिवत पूजन करना चाहिए। कुछ समय बाद चांद की रोशनी में रखी हुई खीर का देवी लक्ष्मी को भोग लगाना चाहिए। अगले दिन देवी लक्ष्मी की पूजा कर खोलना चाहिए।

यदि आप जीवन में किसी भी आर्थिक समस्या से गुजर रहे हैं, तो इस कोजागरी पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी जी की पूजा अर्चना करवाइए। वैदिक रीति से माता लक्ष्मी की पूजा करवाने और ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त करने के लिए आप हमसे संपर्क कर सकते है जानकारियाँ बिलकुल निः शुल्क दी जाती है |

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पढ़िए – लक्ष्मी जी की आरती |

कोजागरी लक्ष्मी पूजा व्रत कथा के बाद आरती, माता लक्ष्मी जी की आरती का नियमित पाठ मन की शांति देता है और आपके जीवन से सभी बुराईयों को दूर रखता है और  इस आरती का प्रतिदिन जाप करने से शांति, समृद्धि और खुशियां आती हैं।

|| लक्ष्मी जी की आरती लिरिक्स ||

लक्ष्मी जी की आरती..

ॐ जय लक्ष्मी माता, तुमको निस दिन सेवत,

मैया जी को निस दिन सेवत

हर विष्णु विधाता

|| ॐ जय लक्ष्मी माता ||

उमा रमा ब्रम्हाणी, तुम ही जग माता

ओ मैया तुम ही जग माता

सूर्य चन्द्र माँ ध्यावत, नारद ऋषि गाता

|| ॐ जय लक्ष्मी माता ||

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पति दाता

ओ मैया सुख सम्पति दाता

जो कोई तुम को ध्यावत, ऋद्धि सिद्धि धन पाता

|| ॐ जय लक्ष्मी माता ||

तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभ दाता

ओ मैया तुम ही शुभ दाता

कर्म प्रभाव प्रकाशिनी, भव निधि की दाता

|| ॐ जय लक्ष्मी माता ||

जिस घर तुम रहती तहँ सब सदगुण आता

ओ मैया सब सदगुण आता

सब सम्ब्नव हो जाता, मन नहीं घबराता

|| ॐ जय लक्ष्मी माता ||

तुम बिन यज्ञ न होता, वस्त्र न कोई पाता

ओ मैया वस्त्र ना पाटा

खान पान का वैभव, सब तुम से आता

|| ॐ जय लक्ष्मी माता ||

शुभ गुण मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि जाता

ओ मैया क्षीरोदधि जाता

रत्ना चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता

|| ॐ जय लक्ष्मी माता ||

धुप दीप फल मेवा, माँ स्वीकार करो

मैया माँ स्वीकार करो

ज्ञान प्रकाश करो माँ, मोहा अज्ञान हरो

|| ॐ जय लक्ष्मी माता ||

महा लक्ष्मी जी की आरती, जो कोई जन गाता

ओ मैया जो कोई गाता

उर आनंद समाता, पाप उतर जाता

|| ॐ जय लक्ष्मी माता ||

लक्ष्मी जी की आरती लिरिक्स | Laxmi ji ki Aarti lyrics Video.

Source Credit Follow – लक्ष्मी आरती हिंदी | Mata Laxmi Aarti in Hindi | Om Jai Laxmi Mata | Laxmi ji ki Aarti


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