आज हम आपको इस लेख में बताएँगे गणेश पूजन का क्या कारण है, आखिर क्यों लक्ष्मी पूजन में होती है गणेश जी की पूजा, इसके कुछ पौराणिक कथाये है जिनके माध्यम से हम आपको अवगत कराएँगे। (Laxmi Ganesh Puja)
श्री गणेश पूजन का क्या कारण है ?(Laxmi Ganesh Puja)
‘आद्यौ पूज्यो विनायकः’ – इस उक्ति के अनुसार समस्त शुभ कार्यों के प्रारम्भ में गणेश जी की अग्र पूजा विशाल हिन्दू जाति में सुप्रसिद्ध और प्रचलित है । इसका बहुत ही सीधा-सादा संक्षिप्त उत्तर यही है कि भगवान श्री गणेश को प्रसन्न किये बिना कल्याण संभव नहीं । भले ही साधक के इष्टदेव भगवान विष्णु या भगवान शंकर या जगतपिता ब्रह्मा ही क्यों न हो। इन सभी देवी-देवताओं की उपासना की निर्विघ्न सम्पन्नता के लिए भी विघ्न विनाशक श्री गणेश का पूजन स्मरण आवश्यक है। भगवान श्री गणेश की अद्भुत विशेषता यह है कि उनका स्मरण करते ही सब विघ्न बाधाएँ दूर हो जाती हैं । इसी कारण साधकजन प्रार्थना करते हैं-
उनकी घुमावदार चोंच और विशाल शरीर था, और वे लाखों सूर्यों की तरह चमकते थे। हे भगवान, कृपया मुझे हर समय मेरे सभी प्रयासों में बाधाओं से मुक्त करें।
लोक-परलोक में सर्वत्र सफलता पाने का एकमात्र यही उपाय है । कार्य प्रारम्भ करने से पहले भगवान श्री गणेश का पूजन करना चाहिए ।
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन से पहले गणेश पूजन का क्या कारण है ?
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन से पहले गणपति पूजन का विधान क्यों ? लक्ष्मी प्राप्त करने से पहले गणपति के समान गुण सम्पन्न बनना आवश्यक है। उनके कान बड़े हैं अर्थात् वे सबकी सुनते हैं अनके नेत्र छोटे हैं और लम्बी शुण्ड सूक्ष्म दृष्टि और ग्रहण शक्ति की प्रबलता की द्योतक है ।
गणेश जी का उदर विशाल है वे एकदन्त हैं अर्थात् उनके खाने और दिखाने के दाँत अलग-अलग नहीं हैं। वे दो भुजाओं से चार भुजाओं जितना श्रम करते हैं । मूषक उनका वाहन है इस प्रकार श्री गणेश के. समान गुणों को धारण करने वाला व्यक्ति ही गणपति अर्थात् जननायक या नेतृत्व करने वाला एवं लक्ष्मी प्राप्त करने का अधिकारी बन सकता है ।
गणनायक गणेश जी के व्यक्तित्व की प्राप्ति हमारा लक्ष्य हो, श्रम तथा कर्मव्यनिष्ठा उसके उपकरण हों, यही दीपावली का पावन सन्देश भी है।
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