Maa Durga Kshama Stotram – अदि शंकराचारया कृतं देवी क्षमा प्रार्थना स्तोत्रं हर देवी जाप के समाप्ति पश्चात यह स्तोत्र मंत्र भगवती की पूजा उपरांत करना चाहिए, इससे माँ भगवती आपको सभी पापो से मुक्ति देती है और पूजन में हुई त्रुटी के लिया क्षमा करती है | हमारी माँ बहुत दयालु है अपने बच्चो को कभी भी कष्ट में नहीं देख सकती तो आइये स्मरण करते है माँ दुर्गा देव्यापराध क्षमा स्तोत्रम |
नवरात्री माँ दुर्गा में पढने योग्य
- श्री दुर्गा चालीसा पाठ एवं आरती | Durga Chalisa and Aarti
- कष्टनिवारक श्री दुर्गा स्तुति | Shri Durga Stuti
- श्री दुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्रम् | Shri Durga Saptashloki Stotram Lyrics
- दुर्गा पूजा पुष्पांजली मंत्र श्लोक | Durga Puja Pushpanjali Mantra
- श्री दुर्गा पूजा – प्रातः स्मरण मंत्र, स्तुति | Durga Stuti and Mantra
- नवरात्रि दुर्गा पूजा- सामग्री और पाठ- विधि | Shardiya Navratri Durga Pooja
- श्री दुर्गा जी के 108 नाम | Maa Durga 108 Naam.
माँ दुर्गा देव्यापराध क्षमा | Maa Durga Kshama Stotram
न मन्त्रं नो यन्त्रं तदपि च न जाने स्तुतिमहो
न चाह्वानं ध्यानं तदपि च न जाने स्तुतिकथा: ।
न जाने मुद्रास्ते तदपि च न जाने विलपनं
परं जाने मातस्त्वदनुसरणं क्लेशहरणम् ||
विधेरज्ञानेन द्रविणविरहेणालसतया
विधेयाशक्यत्वात्तव चरणयोर्या च्युतिरभूत् ।
तदेतत्क्षन्तव्यं जननि सकलोद्धारिणि शिवे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥
पृथिव्यां पुत्रास्ते जननि बहव: सन्ति सरला:
परं तेषां मध्ये विरलतरलोSहं तव सुत: ।
मदीयोSयं त्याग: समुचितमिदं नो तव शिव
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥
जगन्मातर्मातस्तव चरणसेवा न रचिता
न वा दत्तं देवि द्रविणमपि भूयस्तव मया ।
तथापि त्वं स्नेहं मयि निरुपमं यत्प्रकुरुषे
कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥ 4 ॥
परित्यक्ता देवा विविधविधिसेवाकुलतया
मया पंचाशीतेरधिकमपनीते तु वयसि ।
इदानीं चेन्मातस्तव यदि कृपा नापि भविता
निरालम्बो लम्बोदरजननि कं यामि शरणम् ॥
श्वपाको जल्पाको भवति मधुपाकोपमगिरा
निरातंको रंको विहरति चिरं कोटिकनकै: ।
तवापर्णे कर्णे विशति मनुवर्णे फलमिदं
जन: को जानीते जननि जपनीयं जपविधौ ॥
चिताभस्मालेपो गरलमशनं दिक्पटधरो
जटाधारी कण्ठे भुजगपतिहारी पशुपति: ।
कपाली भूतेशो भजति जगदीशैकपदवीं
भवानि त्वत्पाणिग्रहणपरिपाटीफलमिदम् ॥
न मोक्षस्याकाड़्क्षा भवविभववाण्छापि च न मे
न विज्ञानापेक्षा शशिमुखि सुखेच्छापि न पुन: ।
अतस्त्वां संयाचे जननि जननं यातु मम वै
मृडानी रुद्राणी शिव शिव भवानीति जपत: ॥
नाराधितासि विधिना विविधोपचारै:
किं रुक्षचिन्तनपरैर्न कृतं वचोभि: ।
श्यामे त्वमेव यदि किंचन मय्यनाथे
धत्से कृपामुचितमम्ब परं तवैव ॥
आपत्सु मग्न: स्मरणं त्वदीयं
करोमि दुर्गे करुणार्णवेशि ।
नैतच्छठत्वं मम भावयेथा:
क्षुधातृषार्ता जननीं स्मरन्ति ॥
जगदम्ब विचित्रमत्र किं
परिपूर्णा करुणास्ति चेन्मयि ।
अपराधपरम्परावृतं
न हि माता समुपेक्षते सुतम् ॥
मत्सम: पातकी नास्ति
पापघ्नी त्वत्समा न हि ।
एवं ज्ञात्वा महादेवि
यथा योग्यं तथा कुरु ॥
इति श्रीमच्छंकराचार्यकृतं देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम्।
इसे भी पढ़ें – स्तोत्र या देवी सर्वभूतेषु|
माँ दुर्गा देव्यापराध क्षमा प्रार्थना स्तोत्रं PDF and Video.
Source Credit Follow – दुर्गा देव्यापराध क्षमा प्रार्थना स्तोत्रं! न मन्त्रं नो यन्त्रं || Namantram No Yantram ||
यहाँ पर पोस्ट में बताई गयी सारी जानकारियाँ आस्था और जनरुचि को ध्यान में रखकर लिखी है इसकी पुष्टि जैसे की विधि और पूजन हमने हमारी जानकारी के आधार पर लिखा है यदि आपको किसी भी प्रकार की त्रुटी लगती है तो आप हमसे संपर्क कर सकते है संपर्क सूत्र के लिए हमने About us में उल्लेख लिया है|
धर्म के उपाय और सलाहों को आपनी आस्था और विश्वास पर आजमाएं। कंटेट का उद्देश्य मात्र आपको बेहतर सलाह देना है।
अंत तक पढने के लिया आपका धन्यवाद, जानकारी आपको कैसी लगी कमेंट में जरुर बताएं|