Durga Stuti and Mantra – श्री दुर्गा दुष्टों का वध करने वाली और साधु-जनों की रक्षा करने वाली हैं। देवता-गण सदैव आपकी स्तुति में निमग्न रहते हैं। आम साक्षात् शक्तिस्वरूपा हैं और यह सम्पूर्ण चराचर जगत आपकी शक्ति से ही अनुप्राणित होता है। श्री दुर्गा माँ की स्तुति और प्रातः स्मरण से जो पुन्य प्राप्त होता है वह सुख और समृद्धि प्रदान करने वाला होता है | देवी माँ अम्बे कीआरती, दुर्गा जी की आरती जय अंबे गौरी पूजन करने से सभी कष्ट दूर होते है |

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श्री दुर्गा पूजा – प्रातः स्मरण मंत्र, स्तुति
प्रातः स्मरामि शरदिन्दु करोज्ज्वलाभां सद्रत्नवन्मकरकुण्डलहारभूषाम् । |
दिव्यायुधोर्जितसुनीलसहस्त्रहस्तां रक्तोत्पलाभचरणां भवतीं परेषाम् ॥ 1 ॥
प्रातर्नमामि महिषासुर चण्ड-मुण्ड शुम्भासुर प्रमुख दैत्य विनाशदक्षाम् ।
ब्रह्मेन्द्र रुद्र मुनि मोहनशील लीलां चण्डीं समस्त सुर्मूर्तिमनेकरूपाम् ॥2॥
प्रातर्भजामि भजतामभिलाषदात्रीं धात्रीं समस्तजगतां दुरितापहन्त्रीम् ।
संसार बन्धन विमोचन हेतुभूतां मायां परां समधिगम्य परस्य विष्णोः ॥ 3 ॥
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श्री दुर्गा जी की स्तुति- Durga Stuti and Mantra
जय जय त्रिभुवन वन्दिनी, गिरिनन्दिनी हे, गिरिनन्दिनी हे।
असुर निकन्दिनी मातु, जय जय शम्भुप्रिये॥
त्रिगुण शक्ति निज धारिणि, शुभकारिणि हे, शुभकारिणि हे।
भक्त उधारन मातु, जय जय शम्भुप्रिये ॥
मधु कैटभ संहारिणि, सुरतारिणि हे, सुरतारिणि हे।
महिष विदारनि मातु, जय जय शम्भुप्रिये ॥
धूम्रविलोचन, मोचिनि, त्रयलोचनि हे, त्रयलोचनि हे।
दुःख विमोचनि मातु, जय जय शम्भुप्रिये ॥
चण्ड मुण्ड भट मर्दिनि, सुविलासिनि हे, सुविलासिनि हे।
मन्द हसनि सुर मातु, जय शम्भुप्रिये ॥
रक्तबीज रुधिरासिनि, भयनासिनि हे, भयनासिनि हे।
भूधर वासिनि मातु, जय शम्भुप्रिये ॥
शुम्भ निशुम्भ विभंजनि, रिपुगंजनि हे रिपुगंजनि हे।
शिव मन रञ्जनि मातु, जय शम्भुप्रिये ॥
धरणीधर वरदायिनि, वरदायिनि हे, वरदायिनि हे।
मृगरिपु वाहन मातु, जय जय शम्भुप्रिये ॥
भूल चूक सब कर क्षमा, करुणामयि हे, करुणामयि हे।
शिर रख हाथ, जय शम्भुप्रिये ॥
दुर्गे दुर्गति नाशिनि, दुर्मति हरिये, दुर्मति हरिये।
शुद्ध बुद्धि दे मातु, जय शम्भुप्रिये ॥
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