जय महाकाल मित्रों !! आज यदि आप इस पोस्ट को पढ़ रहे है तो मुझे विश्वास है की आप बाबा महादेव की पूजा और अर्चना के लिए कुछ जानकारी चाहते है हर वर्ष में एक बार महादेव के पागलों के लिए महा शिवरात्रि का दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, महा शिवरात्रि 2024 से जुडी सारी जानकारी आपको आज यहाँ मिलने वाली है।
Maha Shivratri 2024 –
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महा शिवरात्रि एक हिंदू त्योहार है जो हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक भगवान शिव को मनाता है। इस साल महा शिवरात्रि 8 मार्च को है। कुल 12 शिवरात्रियां होती हैं जिनमें से महा शिवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। हर महीने, शिवरात्रि अमावस्या से एक दिन पहले आती है। यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक महीने का 14वां दिन होता है। ‘महाशिवरात्रि’ का शाब्दिक अर्थ है ‘शिव की महान रात‘, और यह फाल्गुन (फरवरी/मार्च) की 14वीं रात को मनाया जाता है। यह त्यौहार वह रात माना जाता है जब भगवान शिव ने तांडव किया था, एक ब्रह्मांडीय नृत्य जो सृजन, संरक्षण और विनाश के चक्र का प्रतिनिधित्व करता है।
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जानिए महा शिवरात्रि 2024 उत्सव के बारे में
तारीख , दिनांक | 8 मार्च (शुक्रवार) 2024 |
दिन, वार | शुक्रवार) |
शुभ मुहूर्त/समय | 8 मार्च (शुक्रवार) को रात 09:57 बजे से 9 मार्च (शुक्रवार)) को शाम 06:17 बजे तक |
महत्व | फाल्गुन के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी (शुक्ल प्रदोष व्रत विशेष भी है) |
उत्सव में विशेष | • व्रत, उपवास • विशेष पूजा प्रार्थना करना • शिवलिंग के सामने शिव जी की आरती करना • भगवान शिव को समर्पित मंदिरों में जाना और दर्शन करना • शिवलिंग पर दूध, शहद और फल चढ़ाना, रुद्राभिषेक करना, रुद्राअष्टक पाठ करना |
2024 में महा शिवरात्रि कब है ?
2024 में महा शिवरात्रि कब है ? वर्ष 2024 में 8 मार्च को मनाई जा रही है जो फाल्गुन के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी है। इस वर्ष यह शुक्रवार (8 तारीख) को रात 09:57 बजे से प्रारंभ होकर रविवार (9 तारीख) को शाम 06:17 बजे तक होने वाला है। यह महा शिवरात्रि 2024 का मुहूर्त है।
साथ ही 2024 में महाशिवरात्रि के दिन ही शुक्र प्रदोष व्रत भी मनाया जा रहा है। कहा जाता है कि शुक्र प्रदोष व्रत करने वालों को भगवान शिव पुत्र की प्राप्ति कराते हैं और भगवान शिव की विशेष कृपा बनाये रखते है।
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महा शिवरात्रि पूजा विधि क्या है ?
महा शिवरात्रि 2024 पूजा विधि के बारे में जानना भी आवश्यक है, महा शिवरात्रि के लिए पूजा की विधि, महा शिवरात्रि के शुभ दिन पर भगवान शिव को सम्मान देने के लिए किए जाने वाले पूजन और अनुष्ठान सामग्री। पूजा विधि में पूजा की शुद्धता और पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए एक विशिष्ट क्रम में पालन किए जाने वाले चरणों की एक श्रृंखला शामिल है। जिससे आपकी पूजा में किसी भी प्रकार की चूक और विघ्नता न आए, नहीं तो कई बार एक एक चीज़ के लिए परेशान होना पढता है।
- पूजा विधि में सबसे पहले स्थान पवित्र करना गंगाजल छिड़क कर और गाय के गोबर को फैलाकर पूजा क्षेत्र को साफ और शुद्ध करना है। इसके बाद प्रभु के शिवलिंग की स्थापना की जाती है, जो भगवान शिव का प्रतीक है। इसके बाद शिवलिंग पर चंदन, कुमकुम और हल्दी पाउडर का लेप लगाया जाता है। अगला कदम भक्ति के प्रतीक के रूप में शिवलिंग पर फूल, फल और मिठाई चढ़ाना है। और इस मंत्र को पढ़ें – शर्कराखण्डखाद्यानि दधिक्षीरघृतानि च। आहारं भक्ष्यभोज्यं च नैवेद्यं प्रतिगृह्यताम्।।
- इसके बाद भक्त शिव जी की आरती कीजिये व शिवलिंग के सामने दीपक और कपूर जलाते हैं , साथ ही भक्ति गीत गाते हैं। प्रभु की आरती तीन बार की जाती है, एक बार शुरुआत में, एक बार बीच में और एक बार पूजा के अंत में। आरती के बाद, भक्त भक्ति के प्रतीक के रूप में शिवलिंग पर दूध, शहद और फल चढ़ाते हैं। भगवान शिव के आशीर्वाद के प्रतीक के रूप में भक्तों के बीच प्रसाद वितरण के साथ पूजा विधि का समापन होता है।
- महा शिवरात्रि पूजा विधि भगवान शिव से जुड़ने और उनका आशीर्वाद लेने का एक शक्तिशाली तरीका है। ऐसा माना जाता है कि भक्ति भाव और श्रद्धा के साथ पूजा विधि करने से व्यक्ति आंतरिक शांति, समृद्धि और खुशी प्राप्त कर सकता है। माना जाता है कि महा शिवरात्रि पूजा विधि मन और आत्मा को शुद्ध करती है और भक्तों को भगवान शिव का आशीर्वाद देती है। यह परमात्मा से जुड़ने का एक शक्तिशाली तरीका है और इसे भगवान शिव के भक्तों के लिए सबसे महत्वपूर्ण और शुभ दिनों में से एक माना जाता है जिस दिन भक्त चारी चिंता और परेशानी भगवान के चरणों में रख कर शिव प्रेम में मग्न हो जाते है।
महा शिवरात्रि का इतिहास और जुड़े हुए तथ्य
महादेव, भगवान शिव, जिन्हें शंकर और भोलेनाथ के नाम से भी जाना जाता है, भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के साथ हिंदू त्रिमूर्ति के रूप हैं। उन्हें ‘विध्वंसक’ भी कहा जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, वह वह है जो ब्रह्मांड की रक्षा और परिवर्तन करता है। जिनके बिना सृष्टि की सञ्चालन की कल्पना भी संभव नहीं है।
भगवान शिव को उनके गले में एक सर्प के साथ चित्रित किया जाता है। उनके सिर पर एक अर्धचंद्र भी है और जिनकी जटाओं में स्वयं गंगा और चन्द्र विद्यमान है। जिनका प्रिय अस्त्र त्रिसूल है जिनको जिनकी तीसरी आंख में श्रृष्टि के संघार की छमता है वो है हमारे महादेव !!
महा शिवरात्रि इस दिन, भगवान शिव ने राक्षस, त्रिपुरासुर पर अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए तांडव नृत्य किया था, जो देवताओं और संतों के लिए परेशानी का कारण बना था। उन्होंने ऐसा सभी जीवों के अहंकार और अज्ञान को नष्ट करने के लिए भी किया, जिससे वे आत्मज्ञान के मार्ग पर अग्रसर हुए। नृत्य को ब्रह्मांड में निर्माण, संरक्षण और विनाश के चक्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए भी कहा जाता है।
तांडव नृत्य को भगवान शिव द्वारा अपनी शक्ति, ऊर्जा और ब्रह्मांड को नष्ट करने और इसे फिर से बनाने की क्षमता दिखाने के तरीके के रूप में भी देखा जाता है। शिव तांडव की धुन से हर व्यक्ति प्रभावित हुए बिना रह ही नहीं सकता –
सुनिए शिव तांडव स्तोत्र लिरिक्स –
महा शिवरात्रि क्यों मनाते / मनाई जाती हैं | Maha Shivratri
महाशिवरात्रि का पर्व क्यों मनाया जाता है इसके के बारे में बहुत सारी कहानियाँ और किस्से हैं लेकिन एक ऐसा किस्सा है जहाँ। भगवान शिव ने सती से विवाह किया था और उनकी मृत्यु के बाद वे गहरे ध्यान में चले गए। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की 14वीं तिथि को सती ने पार्वती के रूप में अवतार लिया।
इस रात शिव ने संरक्षण, निर्माण और विनाश का नृत्य भी किया। हालाँकि, कुछ के अनुसार महा शिवरात्रि एक धन्यवाद समारोह है। यह कहानी इस बारे में है कि कैसे भगवान शिव ने दुनिया को बचाया। महादेव ने समुद्र मंथन के दौरान विष का सेवन किया और उसे अपने कंठ में ही रोक दिया जिससे उनका कंठ नीलापड़ गया और नीलकंठेस्वर महादेव के रूप में सृष्टि को बचाया और नीलकंठ कहलाये।
महा शिवरात्रि कैसे मनाई जाती है?
महाशिवरात्रि व्रत नियम निर्धारित नहीं है लेकिन महा शिवरात्रि का पर्व भारत के हर क्षेत्र में बड़ी धूम धाम से मनाई जाती है। भगवान शिव के भक्त उपवास रखते हैं और उनका आशीर्वाद लेने के लिए विशेष पूजा और अनुष्ठान का आयोजन करते हैं रुद्राभिषेक और रूद्र आरती का आयोजन रखते है।
वे भगवान शिव के मंदिरों में भी जाते हैं और भक्ति के प्रतीक के रूप में दूध, शहद और फल चढ़ाते हैं। बहुत से लोग एक पारंपरिक पूजा भी करते हैं, जो एक धार्मिक समारोह रुद्राभिषेक कहा जाता है जिसमें भगवान शिव का मिटटी के प्रतीक शिवलिंग पर फूल, फल और मिठाई चढ़ाना शामिल है। कुछ लोग आरती भी करते हैं, जो भक्ति गीतों के गायन के साथ शिवलिंग के सामने एक जला हुआ दीपक या कपूर लहराने की एक रस्म है।
महा शिवरात्रि की छुट्टी पूरे भारत में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाई जात����� है, प्रत्येक राज्य म�����ं त्योहार मनाने का अपना अनूठा तरीका होता है।
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महाशिवरात्रि का महत्व क्या है ?
महा शिवरात्रि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए मनाई जाती है। यह एक महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने पार्वती जी से विवाह किया था।
इसके अलावा, इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि किंवदंतियों के अनुसार, भगवान शिव ने इस दिन दुनिया को बचाया था। समुद्र मंथन की कहानी, जिसे “समुद्र मंथन” के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू पौराणिक कथाओं में एक लोकप्रिय कहानी है। यह देवों और असुरों के एक साथ काम करने के बारे में बताता है, जो अमृत, अमरता का अमृत प्राप्त करने के लिए ब्रह्मांडीय महासागर का मंथन करते हैं ।
समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से हलाहल नामक विष निकला था। जहर इतना शक्तिशाली था कि इसने दुनिया और इसके सभी निवासियों को नष्ट करने की धमकी दी। विनाश के देवता भगवान शिव ने विष का सेवन करके दुनिया को बचाने के लिए कदम रखा। उन्होंने जहर को अपने गले में धारण किया, जो परिणामस्वरूप नीला हो गया, जिससे उन्हें “नीलकंठ” या “नीले गले वाला” नाम मिला।
उनकी पत्नी पार्वती ने जहर को फैलने से रोकने के लिए जल्दी से अपनी हथेली उनके गले पर दबा दी, इस तरह दुनिया को बचा लिया। भगवान शिव द्वारा बलिदान का यह कार्य हिंदू पौराणिक कथाओं में व्यापक रूप से पूजनीय और मनाया जाता है, क्योंकि यह निस्वार्थता की शक्ति और अधिक अच्छे के प्रति समर्पण का प्रतीक है।
इस प्रकार, लोग भगवान शिव के बहादुर कार्यों की प्रशंसा करने के लिए महा शिवरात्रि मनाते हैं।
महा शिवरात्रि के दिन इस मंत्र जाप से मिलेगी 5 दोषों से मुक्ति ?
हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि का बहुत महत्व है। ऐसा मानते है कि इस दिन भगवान शिव जी और माता पार्वती का विवाह हुआ था। यही दिन को लोग उनके विवाहोत्सव के रूप मनाते हैं। यह भी मान्यता है इस दिन भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से फलदायी होती है और इस दिन कुछ विशेष उपाय किये भी जाते है भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए।
पूज्य श्री प्रदीप मिश्र जी के द्वारा सुना गया है कि शिवरात्रि में यदि आप कुछ विशेष मंत्रों का जाप करे तो आपके जीवन में भी समृद्धि आती है। उन्हीं महा मन्त्रों में से एक मंत्र है “महा मृत्युंजय मंत्र”। इस मंत्र को शिव भक्तों के लिए बहुत फलदायी माना जाता है और ये समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला महा मंत्र है।
ऐसी मान्यता है कि इस मंत्र का यदि महाशिवरात्रि के दिन जाप किया जाए तो कई कष्टों और दोषों से मुक्ति मिल सकती है।
कैसे करें महामृत्युंजय मंत्र का जाप
- रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र जाप करने से आपको बहुत अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। इस मंत्र के जाप से मनुष्य की हर एक परेशानी दूर हो जाती है।
- मंत्र के जाप के लिए शिवरात्रि के दिन प्रातः जल्दी उठें और स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ़ वस्त्रों को धारण करें और पूजा के स्थान को साफ़ कर लें। सभी भगवानों को स्नान कराएं और साफ़ वस्त्र पहनाएं।
- इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें और आंखें बंद करके मंत्र उच्चारण करें। इस मंत्र के जाप के लिए आपका तन और मन दोनों पवित्र होना चाहिए।
- महामृत्युंजय मंत्र का जाप फलदायी क्यों है।
- इस मंत्र के जाप से व्यक्ति की समस्त परेशानियां दूर होती हैं और रोग खत्म हो जाते हैं।
- इससे किसी भी तरह का रोग या अकाल मृत्यु का भय भी दूर हो जाता है। शिव पुराण के अनुसार इस मंत्र में बहुत शक्ति होती है और इससे मनुष्य की सभी बाधाएं और परेशानियां दूर हो जाती हैं।
- मान्यता है कि किसी भी प्रकार के दोष का नाश महा महामृत्युंजय मंत्र से ही होता है और व्यक्ति शुभ फलों को प्राप्त करता है।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप से इन दोषों का होता है नाश !!
- इस मंत्र के जाप से कुंडली में मांगलिक दोष, नाड़ी दोष, काल सर्प दोष, संतान बाधा दोष के साथ अन्य भी कई दोष हैं जो समाप्त होते हैं।
- जो व्यक्ति मंत्रोच्चारण शिवरात्रि के दिन नियम और विधि-विधान के साथ करता है उसे दीर्घायु का वरदान मिलता है।
- ये मंत्र मनुष्य को न सिर्फ आरोग्य का वरदान देता है बल्कि उसकी बीमारियों का भी नाश करता है।
- अगर आपको धन संपत्ति पाने की इच्छा है तो आपको इस मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए।
- मंत्र के जाप से समाज में प्रतिष्ठा और उच्च स्थान मिलता है।
यदि आप भी दोषों से मुक्ति के साथ निरोगी काया की चाह रखते हैं तो महाशिवरात्रि के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप अवश्य करें।
महादेव को प्रसन्न करने के लिए इस वस्तुओं का भोग अवश्य लगायें?
अगर आप भी भोले बाबा और माता का आशीर्वाद चाहते हैं और तो उन्हें प्रसन्न करने के लिए उनकी पसंद का भोग जरूर लगाएं।
ऐसी कई चीज़ें हैं जो भगवान शिव को अति प्रिय हैं और अगर आप ये चीज़ें उन्हें भेंट करेंगे तो आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी। चलिए इस आर्टिकल में हम आपके साथ ऐसी चीज़ें शेयर करेंगे जो आप भगवान शिव को भोग चढ़ा सकती हैं।
- दूध – पवित्र जल डालने के बाद दूध डालने से मस्तिष्क और आत्मा को अच्छाई, करुणा, नेक विचार और सात्विक मानसिकता का पोषण मिलता है। भगवान शिव को दूध का अभिषेक कर उनकी वंदना करें।
- शहद – यदि आप भगवान शिव पर शहद का चढ़ाते हैं तो इससे भगवान प्रसन्न होंगे। शहद चढ़ाने से सुख में वृद्धि होती है और जीवन से शत्रुओं का नाश होता है। इतना ही नहीं, भोलेनाथ से आपको अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र का वरदान मिलेगा। अगर आप भगवान को प्रसन्न करके मनोवांछित फल पाना चाहते हैं तो शहद उन्हें जरूर चढ़ाएं।
- ठंडाई – महाशिवरात्रि के शुभ अवसर को भगवान शिव की शादी की सालगिरह के रूप में भी मनाया जाता है। इस त्योहार को मनाने के लिए प्रसिद्ध सूखे मेवे और केसर के स्वाद वाला दूध एक पारंपरिक पेय है जिसे भगवान शिव के लिए प्रसाद के रूप में तैयार किया जाता है। इसे ठंडाई के नाम से जाना जाता है, जो गर्मियों में ठंडा करने वाला पेय है।
- कंद मूल – कंद मूल या राम कंद मूल एक जड़ वाला फल होता है जो ज्यादातर दक्षिण भारत में मिलता है। इसे भी भगवान शिव को चढ़ाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, ऐसी मान्यता है कि महायोगी को कंद-मूल प्रिय है। धतूरा, ठंडाई, सफेद रंग की मिठाइयों के साथ उन्हें कंद मूल का भोग भी अवश्य लगाएं।
- भांग – सामान्य रूप से भांग का शिव से गहरा संबंध है। महाशिवरात्रि पर या प्रमुख शिव मंदिरों में नियमित दिनों में भी भांग को अक्सर प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान ‘हलाहल’ नामक एक घातक जहर निकला था, जो इतना जहरीला था कि पूरी सृष्टि को समाप्त कर सकता था। ऐसा होने से बचने के लिए, भगवान शिव ने स्वयं ही पूरा विष पी लिया और बाद में उनकी पीड़ा को देवताओं ने भांग अर्पित कर शांत किया।
- दही – आपने देखा होगा कुछ लगो दही और दूध से भगवान शिव को स्नान कराते हैं। वहीं, कुछ लोग दही शिवजी को अर्पित भी करते हैं। माना जाता है कि दही भी शिव को बहुत प्रिय है और उन्हें यह अर्पित करने से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, सौंदर्य और विलासिता आती है।
- बेर – बेर फल दीर्घायु और मनोकामना पूर्ति का प्रतीक है। भगवान शिव को बेर का फल बहुत प्रिय होता है, इसलिए इसे हिंदू धर्म में एक पवित्र फल माना जाता है। वेदों और पुराणों के अनुसार महाशिवरात्रि अनुष्ठानों में इस फल का बहुत गहरा महत्व है।
अब आप भी अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए और भगवान शिव की कृपा पाने के लिए इन चीज़ों को भगवान शिव को अर्पित करना न भूलें।
भारत के किन राज्यों में महाशिवरात्रि मनाई जाती है?
महा शिवरात्रि एक बहुत बड़ा त्योहार है जो पूरे भारत में मनाया जाता है। प्रमुख रूप से, महा शिवरात्रि की छुट्टी मनाने वाले राज्य हैं:
- उतार प्रदेश।
- उत्तराखंड
- मध्य प्रदेश
- पश्चिम बंगाल
- जम्मू और कश्मीर
- कर्नाटक
- हिमाचल प्रदेश
- महाराष्ट्र
- तमिलनाडु
- पंजाब
उत्तर प्रदेश में महा शिवरात्रि उत्सव
उत्तरी राज्य उत्तर प्रदेश में, महा शिवरात्रि को बड़ी भक्ति के साथ मनाया जाता है, जहां लोग प्रसिद्ध भगवान शिव मंदिरों जैसे काशी विश्वनाथ मंदिर जाते हैं, जहां विशेष प्रार्थना और अनुष्ठान किए जाते हैं।
उत्तराखंड में महा शिवरात्रि उत्सव
यह त्यौहार उत्तराखंड राज्य में भी मनाया जाता है, जहाँ प्रसिद्ध केदारनाथ मंदिर और बद्रीनाथ मंदिर बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करते हैं।
पंजाब में महा शिवरात्रि समारोह
पंजाब में, महा शिवरात्रि की छुट्टी “महादीप” के रूप में मनाई जाती है, और लोग भगवान शिव की भक्ति के प्रतीक के रूप में मंदिरों और घरों में दीपक और मोमबत्तियाँ जलाते हैं।
महाराष्ट्र में महा शिवरात्रि उत्सव
महाराष्ट्र में, त्योहार भगवान शिव को समर्पित मंदिरों में जाकर भक्तों के साथ मनाया जाता है और प्रार्थना और अनुष्ठान की पेशकश की जाती है। लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं और एलिफेंटा गुफाओं में प्रसिद्ध भगवान शिव मंदिर जाते हैं।
गुजरात में महा शिवरात्रि उत्सव
गुजरात में, लोग जुलूसों में भाग लेते हैं और भगवान शिव की मूर्ति को रथ पर ले जाते हैं। मंदिरों में विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं और प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर इस दिन कई भक्तों को आकर्षित करता है।
तमिलनाडु में महा शिवरात्रि समारोह
तमिलनाडु में, महा शिवरात्रि को चार दिवसीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिसमें पहला दिन “वसंतोत्सवम” होता है, जो वसंत के आगमन का प्रतीक होता है, और अंतिम दिन “महाशिवरात्रि” होता है।
कर्नाटक में महा शिवरात्रि समारोह
कर्नाटक में, त्योहार राज्य के प्रसिद्ध भगवान शिव मंदिरों जैसे मुरुदेश्वर मंदिर, गोकर्णनाथेश्वर मंदिर और कादरी मंजूनाथ मंदिर में जाने वाले लोगों के साथ मनाया जाता है।
पश्चिम बंगाल में महा शिवरात्रि समारोह
पश्चिम बंगाल में लोग प्रसिद्ध तारापीठ मंदिर जाते हैं। मंदिर तंत्र के साथ अपने मजबूत संबंध के लिए जाना जाता है और इसे 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।
ओडिशा में महा शिवरात्रि समारोह
ओडिशा राज्य में, महा शिवरात्रि को “त्रिवेणी स्नान” के रूप में मनाया जाता है, जहाँ लोग इस दिन पवित्र मानी जाने वाली महानदी नदी में डुबकी लगाते हैं।
प्रत्येक राज्य का त्योहार मनाने का एक अनूठा तरीका है। प्रत्येक राज्य में भगवान शिव को समर्पित कई मंदिर हैं, जहां सैकड़ों और हजारों भक्त महा शिवरात्रि के दिन पूजा करते देखे जाते हैं।
कौन से अन्य देश महा शिवरात्रि मनाते हैं?
महा शिवरात्रि दुनिया भर के कई देशों में मनाई जाती है, विशेष रूप से बड़ी हिंदू आबादी वाले देशों में। भारत के अलावा नेपाल, बांग्लादेश और मॉरीशस तीन मुख्य देश हैं, जहां यह त्योहार मनाया जाता है।
नेपाल में महा शिवरात्रि उत्सव
नेपाल में, बहुत से लोग पशुपतिनाथ मंदिर जाते हैं, जो दुनिया में भगवान शिव के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है, अपनी प्रार्थना करने और विभिन्न अनुष्ठान करने के लिए। बहुत से लोग रुद्र अभिषेक पूजा में भी भाग लेते हैं, जो भगवान शिव को समर्पित एक विशेष पूजा है।
मॉरीशस में महा शिवरात्रि समारोह
मॉरीशस में महा शिवरात्रि बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है। इस दिन, भक्त भगवान शिव की पूजा करने के लिए गंगा तलाव में इकट्ठा होते हैं, जिसे ग्रैंड बेसिन भी कहा जाता है। कई लोग पवित्र नदी जाह्नवी में भी डुबकी लगाते हैं, जिसके बारे में माना जाता है क��� यह आत्मा को शुद्ध करती है और आ���ीर्वाद देती है। यह उत्सव इस मायने में अनूठा है कि यह मॉरीशस की संस्कृति के तत्वों के साथ पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाजों को जोड़ता है। यह एक रंगीन और जीवंत घटना है जो समुदाय को भक्ति और उत्सव की भावना से एक साथ लाता है।
बांग्लादेश में शिवरात्रि उत्सव
बांग्लादेश में, भक्त प्रार्थना करने और भगवान शिव को पारंपरिक अनुष्ठान करने के लिए, चटगाँव में स्थित एक मंदिर चंद्रनाथ धाम में इकट्ठा होते हैं। बहुत से लोग दिन और रात भर उपवास करते हैं और भगवान शिव से आशीर्वाद लेने के लिए पूजा समारोहों में भाग लेते हैं। लोग शिवलिंग पर दूध, शहद और फल भी चढ़ाते हैं। मंदिर को रोशनी और फूलों से सजाया गया है, और बड़ी संख्या में भक्त मंदिर में प्रार्थना करने आते हैं, जिससे मंदिर जीवंत और जीवंत हो जाता है। यह त्योहार देश भर के कई अन्य मंदिरों और घरों में भी मनाया जाता है।
अंतिम शब्द – महा शिवरात्रि 2024 | Maha Shivratri 2024
महा शिवरात्रि भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है। यह विनाश और पुनर्जीवन के देवता भगवान शिव का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है, और उस रात को चिह्नित करता है जब उन्होंने सृजन और विनाश के लौकिक नृत्य का प्रदर्शन किया था। यह त्योहार भक्तों के लिए प्रार्थना करने, अनुष्ठान करने और भगवान शिव से आशीर्वाद लेने के लिए एक साथ आने का अवसर है। यह लोगों के लिए अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर चिंतन करने और आत्मज्ञान के लिए प्रयास करने का भी अवसर है। महा शिवरात्रि एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को एक साथ लाता है और भक्ति की शक्ति और आत्म-प्रतिबिंब के महत्व की याद दिलाता है।
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