बाला मै बैरागन हूंगी यह सुन्दर भजन इन्द्रेश जी महाराज के स्वर में गाया हुआ है जो की एक कथावाचक और संगीतकार दोनों है बहुत सुन्दर और मधुर भजन (Mai Bairagan Hoongi ) इन्द्रेश उपाध्याय जी के मधुर स्वर में लिरिक्स प्रस्तुत है तो आइये स्मरण करें इस मुग्ध कर देने वाले भजन को :-

बाला मै बैरागन हूंगी भजन / Indresh ji Maharaj
बाला मैं बैरागन हूंगी
बाला मैं बैरागन हूंगी
जिन भेषा मेरो साहब रीझे
सोहि भेष धरूंगी
बाला मैं बैरागन हूंगी
कहो तो कुसुमल साड़ी रंगावा
कहो तो भगवा भेष
कहो तो मोतियन मांग भरावा
कहो छिटकावा केश
बाला मैं बैरागन हूंगी
प्राण हमारा वह बसत है
यहाँ तो खाली खोड़
मात पिता परिवार सहूँ है
कही ये दिन का तोड़
बाला मैं बैरागन हूंगी
बाला मैं बैरागन हूंगी -2
जिन भेषा मेरो साहब रीझे
सोहि भेष धरूंगी
बाला मैं बैरागन हूंगी
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Mai Bairagan Hoongi / Indresh ji Maharaj
Bala main bhairagi hoon gi
Bala main bhairagi hoon gi
Jin bhesa mero sahab reeje
Sohi bhes dharoongi
Bala main bhairagi hoon gi
Kaho to kusumal sari rangava
Kaho to bhagwa bhes
Kaho to motiyan maang bharaava
Kaho chhitkaava kesh
Bala main bhairagi hoon gi
Pran hamara vah basat hai
Yahaan to khali khod
Maat pita parivaar sahun hai
Kahi ye din ka tod
Bala main bhairagi hoon gi
Bala main bhairagi hoon gi – 2
Jin bhesa mero sahab reeje
Sohi bhes dharoongi
Bala main bhairagi hoon gi
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