मकर संक्रांति में सूर्य उपासना से कैसे करना चहिये | Makar Sankranti Surya Upasana

Makar Sankranti Surya Upasana – पौराणिक शास्त्रों के अनुसार सूर्य देव सृष्टि के महत्वपूर्ण आधार हैं। सूर्य की उपासना वैदिक काल से चली आ रही है। सूर्यदेव ज्ञान, आध्यात्म और प्रकाश के प्रतीक माने जाते हैं। और मकर संक्रांति भगवान सूर्य देव का पर्व है। इस लेख में हम आपको बताने वाले है मकर संक्रांति में सूर्य उपासना से कैसे करना चहिये, वर्ष 2024 में मकर संक्राति का पर्व 15 जनवरी सोमवार को मनाया जा रहा है।

इस दिन सूर्यदेव दक्षिण की यात्रा समाप्त करके उत्तर दिशा की तरफ बढ़ते हैं यानि सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश के साथ ही सूर्य उत्तरायन हो जाते हैं।

भगवान सूर्यदेव के उदय होते ही पूरी दुनिया का अंधकार नष्ट होकर चारों ओर प्रकाश फैल जाता है। मकर संक्रांति के दिन पूजा- पाठ- स्नान- दान- पुण्य इत्यादि के साथ-साथ सूर्य उपासना का भी विशेष महत्व है, अतः इस दिन आदित्य हृदय स्त्रोतम का पाठ करना/ सूर्य देव को अर्घ्य देना / सूर्य देव के मंत्रों का जाप इत्यादि करना शुभ पुण्य फल-दायक होता है।

मकर संक्रांति में सूर्य उपासना से कैसे करना चहिये
(Makar Sankranti Surya Upasana)

सूर्य को अर्घ्य देने के नियम-:

  • प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व स्नान करें।
  • तत्पश्चात उदित होते सूर्य के समक्ष कुश का आसन लगाएं।
  • आसन पर खड़े होकर तांबे के पात्र में पवित्र जल लें, इस जल में कुछ बूंदे गंगाजल की डालें।
  • उसी जल में लाल पुष्प जैसे गुलाब की पत्तियां, गुड़हल, कुमकुम, अक्षत, चंदन, गंगाजल आदि जो भी सरलता से उपलब्ध हो, वो डालें।(ध्यान रहें जल में पवित्र व प्राकृतिक वस्तुओं को ही मिलाना चाहिए)
  • जैसे ही पूर्व दिशा में सूर्यागमन से पहले नारंगी किरणें प्रस्फूटित होती दिखाई दें, आप दोनों हाथों से तांबे के पात्र को पकड़ कर इस तरह जल चढ़ाएं कि सूर्य जल चढ़ाती धार से दिखाई दें।
  • सूर्य को जल धीमे-धीमे इस तरह चढ़ाएं कि जलधारा आसन पर ना गिरे।
  • आप नीचे कोई पात्र भी रख सकते हैं जिससे जल उस पात्र में गिर जाए और फिर जल उठा कर आप किसी पेड़ में डाल दें।
  • जल देते समय अर्थात जलधारा के साथ-साथ आप इन मंत्रों में से कोई सा भी मंत्र श्रद्धा भाव से जप सकते हैं। मंत्र-: 
  • तत्पश्चात सीधे हाथ की अंजूरी में जल लेकर अपने चारों ओर छिड़कें, कुछ जल की बूंदे अपने ऊपर भी छिड़कें हैं। अपने स्थान पर ही 3 बार घूम कर परिक्रमा करें।
  • नीचे गिरे हुए जल को अपने मस्तक व आंखों पर लगाए और आसन उठाकर उस स्थान को भी नमन करें।।

उपर लिखित विधि विधान से यदि सच्चे मन और श्रद्धा के साथ मकर संक्रांति में सूर्य उपासना की जाए तो सूर्यदेव आपकी प्रार्थना अवश्य स्वीकार करते है और आपके जीवन में शांति और समृद्धि हमेशा बनी रहती है।

सूर्य के 12 नामों से करें प्रणाम।

जल अर्पित करने के पश्चात आप सूर्य देव को इन मन्त्रों से कर सकते हैं नमस्कार-:

  • ॐ सूर्याय नम:
  • ॐ भास्कराय नम:
  • ॐ रवये नम:
  • ॐ मित्राय नम:
  • ॐ भानवे नम:
  • ॐ खगय नम:
  • ॐ पुष्णे नम:
  • ॐ मारिचाये नम:
  • ॐ आदित्याय नम:
  • ॐ सावित्रे नम:
  • ॐ आर्काय नम:
  • ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।।

आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ।

उगते हुए सूर्य के समक्ष आसन पर बैठकर कर आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना भी सूर्य कृपा का पात्र बनाता है। इस स्तोत्र के स्मरण करने और भी बहुत से पुण्यदायी परिणाम है।

By – Team Bhagwanam.com

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