नर्मदा नदी की महिमा और माता को हिंदू धर्म में माँ नर्मदा के रूप में देवी का दर्जा प्राप्त और नर्मदा जयंती मनाई जाती है।
- मान्यता है कि भगवान शिव ने नर्मदा को वरदान दिया कि इसका जल स्वयं शुद्ध होगा।
- नर्मदा नदी के तट पर अनेक ऋषि-मुनियों ने तपस्या की थी, जिनमें आदि शंकराचार्य भी प्रमुख हैं।
- अन्य नदियों की तुलना में नर्मदा नदी का महत्व विशेष है क्योंकि यह एकमात्र नदी है, जिसके जल को गंगा जल की तरह पवित्र और शुद्ध माना जाता है।

आरती श्री नर्मदा जी की – Narmada Ji Ki Aarti
ॐ जय जगदा नन्दी, मैय्या जय आनन्द कन्दी।
ब्रह्मा हरि हर शंकर रेवा, शिव हरि शंकर रुद्री पालंती ।।
ॐ जय जगदा० ।।1।।
देवी नारद शारद तुम वरदायक, अभिनव पदचण्डी।
सुन नर मुनिजन सेवत, सुर नर मुनि शारद पदवन्ती ।।
ॐ जय जगदा० ।।2।।
देवी धूम्रक वाहन राजत, वीणा वादयन्ती ।
झूमकम -3 झननन -2, रमती राजन्ती ।।
ॐ जय जगदा० ।।3।।
देवी बाजत ताल मृदंगा, सुर मण्डल रमती।
तोड़ीतान् – 3 तुरड़ड़- 3 रमती सुरवंती ।।
ॐ जय जगदा० ।।4।।
देवी सकल भुवनपुर आप विराजत, निशदिन आनन्दी ।
गावत गंगा शंकर, सेवत रेवा शंकर तुम भव मेटन्ती ।।
ॐ जय जगदा० ।।5।।
मैय्याजी को कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
अमरकण्ठ में विराजत, घाटनघाट विराजत कोटि रत्न ज्योति ।।
ॐ जय जगदा० ।।6।।
मैयाजी की आरती निशिदिन पढ़ गावें, हो सेवा, जुग जुग गावें।
भजत शिवानन्द स्वामी जपत हरि, मनवांछित फल पावें ।।
ॐ जय जगदा० ।।7।।
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