Mokshada Ekadashi Katha _ जिस प्रकार अन्य एकादशी कथा का श्रवण अपने किया उसी प्रकार मोक्षदा एकादशी व्रत कथा का महत्व आज आप श्रवण करिये, इस भाग में आप पढेंगे भगवान कृष्णने कैसे अर्जुन को मोक्षदा एकादशी का महत्त्व और मोक्षदा एकादशी की कहानी का सार बताया है पुरे वर्ष में 24 एकादशी होती है 24 में से सारी एकादशी का एक अलग महत्त्व होता है सभी एकादशी पुण्यफल देने वाली होती है मोक्षदा एकादशी कब है इस पर भी बहुत से लोगो को संदेह रहता है हिन्दू पंचांग के अनुसार दिनांक 4 नवम्बर 2022 और को आ रही है। मोक्षदा एकादशी हमेशा सफला एकादशी के पहले ही आती इसका ध्यान भी रखना आवश्यक है।
इस व्रत से बढ़कर मोक्ष देने वाला और कोई व्रत नहीं है। इस दिन गीता जयंती मनाई जाती हैं साथ ही यह धनुर्मास की एकादशी कहलाती हैं, अतः इस एकादशी का महत्व कई गुना और भी बढ़ जाता हैं। इस दिन से गीता-पाठ का अनुष्ठान प्रारंभ करें तथा प्रतिदिन थोडी देर गीता अवश्य पढें।
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मोक्षदा एकादशी पूजा विधि – Mokshada Ekadashi Puja Vidhi.
श्री अर्जुन बोले-हे भगवान! आप तीनों लोकों के स्वामी हैं। सब को सुख देने वाले हैं और जगत के पितर हैं इसलिये मैं आप को नमस्कार करता हूँ। हे देव ! आप सब के हितैषी हैं कृपा कर मेरे एक संशय को दूर कीजिये । मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में जो एकादशी होती है उसका नाम क्या है ? उस दिन कौन से देवता की पूजा की जाती हैं और उसकी विधि क्या है ? भगवान मेरे इन प्रश्नों का विस्तार सहित उत्तर देकर मेरे संदेह को दूर कीजिये, बड़ी कृपा होगी।
भगवान कृष्ण बोले- हे अर्जुन ! तुमने अत्यन्त उत्तम प्रश्न किया है इसलिये तुम्हारा यश संसार में फैलेगा तुम ध्यानपूर्वक सुनो। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी अनेकों पापों को नष्ट करने वाली है यह मोक्षदा के नाम से प्रसिद्ध है। इस दिन श्री दामोदर भगवान की पूजा धूप, दीप, नैवेद्य आदि से भक्तिपूर्वक करनी चाहिये। हे अर्जुन ! अब मैं एक पुराण की कथा कहता हूँ इस एकादशी के व्रत के पुन्य के प्रभाव से नरक में गये हुए माता-पिता, पुत्रादि को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इसकी कथा इस प्रकार है। तुम ध्यानपूर्वक सुनो।
मोक्षदा एकादशी कथा – Mokshada Ekadashi Katha.
प्राचीन गोकुल नगर में वैखानस नाम का ऐक राजा राज्य करता था। उसके राज्य में चारों वेदों के ज्ञाता ब्राह्मण रहते थे। रात्रि को ऐक दिन स्वप्न में राजा ने अपने पिता को नरक में पड़ा देखा।
उसको स्वप्न में देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ और प्रातःकाल होते ही वह ब्राह्मणों के सामने अपनी सब स्वप्न कथा कहने लगा– हे ब्राह्मणो ! रात्रि को स्वप्न में मैंने अपने पिता को नरक में पड़ा देखा और उन्होंने मुझ से कहा कि हें पुत्र ! मैं अब नरक भोग रहा हूं”मेरी यहाँ से मुक्ति करा । जब से मैंने उनके यह वचन सुने हैं, तब से मुझे चैन नहीं है। मुझे अब राज, सुख, ऐश्वर्य, हाथी- घोड़े, धन, स्त्री, पुत्र आदि कुछ भी सुखदायक प्रतीत नहीं होते हैं । अब मैं क्या करूं, कहां जाऊं ? इस दुःख के कारण मेरा शरीर तप रहा है।
आप लोग मुझे किसी प्रकार का तप, दान, व्रत आदि बतावें जिससे मेरे पिता को मुक्ति प्राप्त हो। राजा के ऐसे वचनों को सुन कर ब्राह्मण बोले हे राजन! यहाँ से करीब ही वर्तमान, भूत, भविष्य के ज्ञाता एक पर्वत नाम के मुनि हैं। आप यह सब बातें उनसे जाकर पूछ लीजिये, वे आपको इसकी विधि बता देंगे।
राजा ऐसा सुन कर मुनि के आश्रम पर गये। उस आश्रम में अनेकों शांत चित्त योगी और मुनि तपस्या कर रहे थे। उस समय चारों वेदों के ज्ञाता पर्वत मुनि दूसरे ब्रह्मा के समान बैठे थे। राजा ने जाकर उनको सष्टांग प्रणाम किया। पर्वत मुनि ने उससे सांगोपांग कुशल क्षेम पूछी। तब राजा बोले-हे देवर्षि ! आपकी कृपा ! से मेरे राज्य में सब कुशल हैं, परंतु अकस्मात एक विघ्न आ गया है जिससे मुझे अशान्ति हो रही है।
अब आप कृपा करके मेरे इस संशय को दूर कीजिये। ऐसा सुन कर पर्वत मुनि ने एक मुहूर्त के लिये नेत्र बन्द कर लिये और भूत भविष्य को विचारने लगे फिर बोले– हे राजन! मैंने योग बल के द्वारा तुम्हारे पिता के समस्त कुकर्मों का ज्ञान प्राप्त कर लिया है। उन्होंने पूर्व जन्म में कामातुर होकर सौत के कहने पर अपनी दूसरी रानी को ऋतुदान माँगने पर भी नहीं दिया। उसी पाप कर्म के फल से तुम्हारा पिता नर्क में गया है।
तब राजा बोला कि हे भगवन ! मेरे पिता जी के उद्धार के हेतु आप कोई उपाय बतावें । तब पर्वत मुनि बोले हे राजन! मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष में जो एकादशी होती है, उस एकादशी का आप उपवास करें और उस उप- वास के पुन्य को अपने पिता को संकल्प छोड़ दें। उस एकादशी के पुन्य के प्रभाव से अवश्य ही आपके पिता की मुक्ति होगी। मुनि के वचनों को सुन कर राजा अपने राज्य को आया और कुटुम्ब सहित मोक्षदा एकादशी को उप- वास किया। उस उपवास के पुन्य को राजा ने अपने पिता को दे दिया अर्थात संकल्प छोड़ दिया ।
उस पुण्य के प्रभाव से राजा के पिता को मुक्ति मिली और स्वर्ग में जाते हुये अपने पुत्र से बोला- हे पुत्र ! तेरा कल्याण हो, यह कह कर स्वर्ग चला गया। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी को जो व्रत करते हैं, उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और अन्त में स्वर्गलोक को जाते हैं। इस व्रत से बढ़ कर मोक्ष देने वाला दूसरा कोई भी व्रत नहीं है। इस कथा को सुनने व पढ़ने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है व्रत मोक्ष देने वाला चिन्तामणि के समान है।
Mokshada Ekadashi Ki Vrat Katha Sampurn.
मोक्षदा एकादशी आरती – Mokshada Ekadashi aarti lyrics.
आरती जय जगदीश हरे – Om jai jagdish hare.
ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करे || ॐ ||
जो ध्यावे फल पावे दुःख विनशे मनका |
सुख सम्पत्ति घर आवे कष्ट मिटे तन का || ॐ ||
मात पिता तुम मेरे शरण गहूँ किसकी ।
तुम बिन और न दूजा आस करूं जिसकी || ॐ ||
तुम पूरण परमात्मा तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर तुम सबके स्वामी ॥ॐ॥
तुम करुणा के सागर तुम पालन कर्ता ।
मैं मूरख खल कामी कृपा करो भर्ता ॥ ॐ ॥
तुम हो एक अगोचर सबके प्राणपति ।
किस विधिं मिलू दयामय तुमको मैं कुमति ॥ॐ॥
दीनबन्धु दुःख हर्ता तम ठाकुर मेरे ।
करुणा हाथ बढ़ाओ द्वार पड़ा तेरे ॥ ॐ ॥
विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ सन्तन की सेवा ॥ ॐ ॥
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मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में कौनसी एकादशी आती है ?
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में मोक्षदा एकादशी आती है?
मोक्षदा एकादशी कब है ?
मोक्षदा एकादशी 2022 मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष 4 दिसंबर को आ रही है प्रायः सफला एकादशी के के ठीक पहले आती है।
क्या है मोक्षदा एकादशी का महत्व ?
मोक्षदा एकादशी के व्रत के पुन्य के प्रभाव से नरक में गये हुए माता-पिता, पुत्रादि को स्वर्ग की प्राप्ति होती है और प्रभु के चरणों में स्थान प्राप्त होता है।
Mokshada Ekadashi Ki Kahani arjun ko kisne sunaithi?
Mokshada Ekadashi Ki Kahani Arjun ko Swayam Bhagwan Shri Krishna ne Sunai thi.
Mokshada Ekadashi Mahatva kya hai?
Mokshada Ekadashi Mahatva vrat ke Prabhao se Narak me gaye hue Mata Pita, Putra aadi ko Swarg ki Prapti hoti hai Prabhu ke Charno me Sthan Milta hai.
Nirjala Ekadashi 2023 kab hai?
Nirjala Ekadashi 31 May 2023 ko hai.