नमस्ते या गुड मार्निंग कहना क्यों अनुचित है ?

हमारे भारतवर्ष में सदा से ही एक परंपरा चली आ रही है आदर और सम्मान की| जिसे हर एक समझदार व्यक्ति निभाता है फिर वोह नमस्ते या गुड मार्निंग ही कहकर आपको आदर देते है, लेकिन क्या इस तरह से अभिवादन सही है ? क्या इस तरह से हमारी परंपरा में बदलाव नहीं हो रहा है ? आजकल जिधर देखिये लोग अंग्रेजी में Namaste and morning से संबोधित कर रहे है| चलिए आज इसी विषय में कुछ चर्चाएं करने जा रहे है इस पोस्ट में अगर आपको किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी लगे हमारा विनम्र निवेदन है हमारे पाठकों से हमें कमेंट में अवश्य अपना उचित सुझाव दें |

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नमस्ते का अर्थ क्या है?

नमस्ते शब्द की रचना संस्कृत भाषा में नमः ओर से मे हुई है । नमः अ ते उ नमस्ते । नमः का अर्थ है झुकना और ते का अर्थ हे तू । इस तरह तू शब्द बहुत ही अव्यवहारिक शब्द है, जो कि सम्मान को ठेस पहुंचाता है। यदि कोई अपने गुरुजन, बुजुर्ग या अपने से उम्र में बड़े व्यक्ति को नमस्ते कहता है तो क्या यह पाठकगणों को उचित लगेगा अर्थात् नहीं ?

अभिवादन हेतु गुड मानिंग आदि अंग्रेजी के शब्दों का प्रचलन ईसाई है। कितने आश्चर्य की बात है कि अभिवादन के इन शब्दों में कहीं भी ईश्वर का नाम नहीं आता है और न ही कृतज्ञता प्रकट होती है, जबकि जयराम, राधेकृष्ण, सीताराम आदि शब्दों के उच्चारण मात्र से ही जीभ पवित्र हो जाती है ।

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नमस्ते या गुड मार्निंग से अभिवादन में फर्क|

यदि किसी के घर में रात को चोरी हो गयी हो या कोई अप्रिय घटना घटित हो गयी हो और सुबह उसके घर संवेदना प्रकट करने हेतु जाकर उससे गुड मार्निंग कहेंगे तो वह जल भुनकर राख हो जायेगा, जबकि उसकी (मॉर्निंग) सुबह तो अच्छी की जगह खराब हो गई है । इसकी जगह यदि आप राम-राम कहेंगे तो सामने वाला प्रेमपूर्वक अपना अभिवादन स्वीकार करेगा ।

अभिवादन का सही ढंग: अपने गुरुजनों, रिश्तेदारों तथा अपने से बड़ी आयु वाले व्यक्तियों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करें । अपने उम्र वाले सगे, सम्बन्धियों तथा मित्रों से मिलने पर देवताओं के नाम का उच्चारण कर हाथ जोड़ कर उनका अभिनन्दन करें । जैसे श्रीराम, जय श्रीकृष्ण, जय माता दी आदि ।

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अंतिम शब्द..!!

ईश्वर का अभिवादन करने का सही ढंग ईश्वर का अभिवादन करने का सही ढंग है कि हम प्रतिदिन वेद पाठ, स्तोत्र पाठ श्रद्धा भक्ति से करें एवं उन्हें साष्टांग प्रणाम करें।

साष्टांग प्रणाम करने का लाभ : साष्टांग प्रणाम करने से देवी देवता के सामने नेत्र, मस्तक, तथा सम्पूर्ण शरीर झुक जाता है तथा अहं भावना नष्ट होकर प्रभु के चरणों में समर्पित हो जाते हैं।

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