नवरात्रि दुर्गा पूजा- सामग्री और पाठ- विधि | Shardiya Navratri Durga Pooja.

Shardiya Navratri Durga Pooja 2024 –
जैसा की आप सभी को ज्ञात है इस वर्ष शारदीय नवरात्री 2024 शुरू हो रही है ऐसे में कुछ नियम व पालन करने योग्य सामग्री और पाठ विधि हम यहाँ बता रहे है जिसका पालन करके आप माँ दुर्गा पूजा पुर्णतः कर सकेंगे और माँ के चरणों में ध्यान लगा सकेंगे |

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श्री नवरात्रि दुर्गा पूजा – सामग्री और पाठ – विधि |

नवरात्रि दुर्गा पूजा सामग्री – गंगाजल (न होने पर ताजा जल), पुष्प, पुष्पमाला, धूप, दीप, नैवेद्य, ऋतुफल, सुपारी, लौंग, नारियल, चन्दन, रोली, कलावा, अक्षत, पंचामृत (दूध, दही, घी, शक्कर, शहद), रेशमी लाल वस्त्र, आसन, चौकी, आदि ।

नवरात्रि दुर्गा पूजा स्थल – भक्तजन पूजा स्थल को इस प्रकार सजायें – मण्डप में श्रीदुर्गाजी की मूर्ति स्थापित करें। मूर्ति के दाँयी ओर कलश की स्थापना करें और कलश के ठीक सामने मिट्टी व रेत मिलाकर यव (जौ) बो दें। मण्डप के पूर्व कोण में दीपक की स्थापना करें। पूजन में सर्वप्रथम विधिवत् गणेशजी का पूजन करके अन्य देवी-देवताओं का पूजन करें। तत्पश्चात् जगदम्बा का पूजन करना चाहिए।

नवरात्रि दुर्गा पूजा पाठ विधि – श्री दुर्गामाता की सप्तशती आदि का पाठ करने के लिए स्नान करके शुद्ध होकर, शुद्ध वस्त्र पहनकर, शुद्ध आसन पर बैठना चाहिए। ऊन का आसन श्रेष्ठ है। मन भी शुद्ध होना चाहिए और किसी के प्रति बुरी भावना नहीं होनी चाहिए। नवरात्र में नौ दिन तक ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। झूठ, दूसरों की निन्दा, गाली-गलौज आदि से बचना चाहिए। नास्तिकों, दुष्टों, गौ-ब्राह्मणों से द्वेष रखने वालों का संग नहीं करना चाहिए। दिन में सोना भी वर्जित है। काम क्रोध-लोभ-मोह आदि से बचना चाहिए। माता दुर्गा की मूर्ति या चित्र को किसी ऊँचे स्थान पर (पट्टे आदि पर लाल कपड़ा बिछाकर) रखकर विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए।

सप्तशती का पाठ न तो जल्दी-जल्दी करना चाहिए और न ही बहुत धीरे-धीरे पाठ बोलकर करना चाहिए न कि मन में पाठ स्पष्ट रूप से करना चाहिए। पाठ करते समय एक ही आसन से निश्चित हो अचल होकर बैठना चाहिए।

किसी कामना की पूर्ति के लिए पाठ करना हो तो इस विधि का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। निष्काम पाठ के लिए विधि-विधान की उतनी आवश्यकता नहीं होती, केवल शुद्धता आवश्यक होती है।

नवरात्रि दुर्गा पूजा के अतिरिक्त – कामना सहित किये जाने वाले पाठ की सामग्री, क्रिया और समय पृथक् है। जैसे रोगी मनुष्य के निमित्त पाठ करना हो तो यन्त्र बनाकर मन्त्र जाप करके सम्पूर्ण पाठ रात्रि के समय सब्ज रंग की झण्डी गाड़कर करना चाहिए। इससे इकत्तीस दिन में ही रोगी को आराम हो जाता है। पाठ करते समय जो जल पास में रखा जाये, वही जल बीमार व्यक्ति को पिलाना चाहिए। इकत्तीस दिन के बाद 31 कुमारियों को भोजन व दक्षिणा देनी चाहिए।

इसी प्रकार मुकदमे में जीत के लिए पूर्वोक्त विधि के अनुसार यन्त्र लिखकर लाल रंग की झण्डी गाड़नी चाहिए और जिससे मुकदमा चल रहा हो उस विपक्षी का नाम श्मशान के कोयले से लिखकर अपने आसन के नीचे रखकर जप और पाठ आधी रात के समय करना चाहिए। जब तक मुकदमा रहे, इसी क्रम में पाठ करें। ऐसा करने से निश्चय ही जीत होगी। वशीकरण के लिए पीली झण्डी गाड़कर साँयकाल के समय पाठ करें। जिसको वश में करना हो उसका नाम लिखकर जोत के नीचे अवश्य रख लें।

उपरोक्त यन्त्र ऐसे सिद्ध यन्त्र हैं जिनको सवा लाख बार लिखने से कामना सिद्ध होती है। इस प्रकार उचित विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने पर माँ दुर्गा भक्तों की समस्त मनोकामनायें पूरी करती हैं। अत: प्रत्येक भक्तजन को श्रद्धापूर्वक माँ के चरणों में विनती करके उनकी कृपा का लाभ अवश्य उठाना चाहिए ।

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श्री नवरात्रि दुर्गा पूजा ध्यान-विधि | Shardiya Navratri Durga Pooja

श्री दुर्गा-सप्तशती का पाठ करते समय पद्मासन (आलथी-पालथी मारकर लगाकर, नेत्र बन्द करके माता के इस स्वरूप का ध्यान करना चाहिए :-

मैं तीन नेत्रों वाली श्रीदुर्गा देवीजी का ध्यान करता हूँ। वे सिंह की पीठ पर विराजमान हैं। उनके मस्तक पर स्वर्ण मुकुट शोभायमान है। भिन्न-भिन्न अंग बाजूबंद, हार, खनखनाती हुई करधनी और रुनझुन करते हुए नुपूरों से विभूषित हैं। उनके कानों में रत्नजड़ित कुण्डल झिलमिलाते रहते हैं। माता के आठ हैं। और वे अपने हाथों में चक्र, गदा, तलवार, धनुष-बाण, पाश, त्रिशूल, शंख तथा कमल धारण किए हुए हैं। उनका स्वरूप तेजयुक्त व है। ऐसी रोग-शोक करें।

श्री दुर्गा दुष्टों का वध करने वाली और साधु-जनों की रक्षा करने वाली हैं। देवता-गण सदैव आपकी स्तुति में निमग्न रहते हैं। आम साक्षात् शक्तिस्वरूपा हैं और यह सम्पूर्ण चराचर जगत आपकी शक्ति से ही अनुप्राणित होता है। मैं आपकी वन्दना करता हूँ

ऐसा ध्यान करने से मन शान्त होता है, चित्त में स्थिरता आती है और समस्त कार्यों में सफलता मिलती है।

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श्री दुर्गा पूजा नवरात्र में दिन कम या ज्यादा हो तो क्या करें |

चूँकि भारतीय तिथियाँ (प्रथमा, द्वितीया, शुक्लपक्ष, कृष्णपक्ष आदि) चन्द्रमा की गति पर आधारित होती हैं इसीलिए कभी-कभी नवरात्रों में एक दिन घट जाता है यानि कुल आठ दिन रह जाते हैं।

कभी-कभी (जो कि बहुत कम होता है) एक दिन बढ़ जाता है यानि कुल दस दिन हो जाते हैं। यदि एक दिन घट जाये तो घटे हुए दिन वाले स्वरूप की आराधना एक दिन पूर्व ही कर लेनी चाहिए, जैसे – यदि चतुर्थी के अगले दिन षष्ठी हो तो चतुर्थी के दिन ही देवी कूष्माण्डा के साथ ही देवी | स्कंदमाता का भी ध्यान करें। यदि एक दिन बढ़ जाए तो बढ़े दिन वाले स्वरूप का ध्यान दोनों दिन करें, जैसे – यदि दो सप्तमी पड़ें तो देवी कालरात्रि का ध्यान दोनों | सप्तमी के दिन करें ।

नवरात्रि कब से शुरू हो रहे हैं? 

नवरात्रि दुर्गा पूजा 03 अक्टूबर से प्रारंभ हो रही है |

नवरात्रि का पूजा का विधि कैसे जानें ?

नवरात्रि का पूजा का विधि के बारे में हमने विस्तार से बताया हुआ आप यहाँ जाकर पढ़ सकते है |

शारदीय नवरात्र का पांचवा दिन कब होगा?

शारदीय नवरात्र का पांचवा दिन 07 अक्टूबर को होगा और 07 को भी पंचमी /षष्टी तिथि एक साथ है |

नवरात्रि कौन सी तारीख को समाप्त है? 

नवरात्रि 12 अक्टूबर को समाप्त हो रही है? 

नवरात्रि विजयादशमी कब मनाई जा रही है ? 

नवरात्रि विजयादशमी 12 अक्टूबर को मनाई जा रही है |

नवरात्रि दशहरा कब मनाया जा रहा है ?

नवरात्रि दशहरा 12 अक्टूबर को मनाया जायेगा |

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