ॐ अघोरेभ्यो नमः। ॐ अघोरेभ्यो मंत्र हिंदी में । Om Aghorebhyo Mantra in Hindi

Om Aghorebhyo Mantra in Hindi – भगवान शिव जिनको सृस्ती के संघारक देवता के रूप में जाना जाता है लेकिन उन्ही को भोलेनाथ भी कहा जाता है, भगवान शिव के हर रूप में एक अलौकिक शक्ति निहित है, आज हम भगवान शिव के अघोर रूप के बेहद शक्तिशाली माने जाने वाले ॐ अघोरेभ्यो मंत्र की साधना से हम भगवान शिव के अघोरे रूप को नमन करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। भगवान शिव के अघोर स्वरूप को एक अभीतस्य और रुद्र स्वरुप से जोड़ा जाता है, जिनके रूप से मनुष्य भयभीत हैं, क्यूंकि प्रभु का यह रूप है भी इतना विशाल और भयभीत कर देने वाला। 

प्रायः इस मंत्र का जप कुछ विशेष पूजा और अनुष्ठानों, प्रार्थनाओं और ध्यान प्रथाओं में किया जाता है। क्यूंकि इस मंत्र का स्मरण करना इतना आसान नहीं है क्यूंकि हर मंत्र को सिद्ध करने की एक विधि होती हैl

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ॐ अघोरेभ्यो मंत्र हिंदी में । Om Aghorebhyo Mantra in Hindi 

ॐ अघोरेभ्यो नमः।। – ॐ अघोरेभ्यो मंत्र का विवरण : शास्त्रों में भगवान शिव के इस मंत्र को बेहद ही पवित्र माना गया है इसलिए इसका जाप हमेशा भक्ति और सम्मान के साथ श्रद्धापूर्वक करना चाहिए। कहते हैं शिव जी के इस मंत्र का जाप करने से हमें उनके अघोर रूप से आशीर्वाद और सुरक्षा प्राप्त होती है। इस मंत्र का हमारे हिन्दू धर्म में एक आध्यात्मिक महत्व और इसे बेहद ही शक्तिशाली कहा जाता है।

इस मंत्र में अद्भुद शक्ति है, इस मंत्र के जाप से आपके भीतर एक आत्मिक विकास होता है और आप सांसारिक मोह माया से दूर खुद को मोक्ष के मार्ग पर ले जाते हैं। माना जाता है की इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को परमानंद और शांति की प्राप्ति होती है। हालाँकि इस मंत्र के जाप में विधि विधान का बड़ा महत्व होता है और आपको इसका जाप अपनी विशेष इच्छा-सिद्धि या लाभ के नहीं करना चाहिए क्यूंकि इस मंत्र का जाप करना आसान नहीं है तो बहुत सोच विचार और परामर्श के बाद ही इसका संकल्प लें।

” शिव भस्म “

!! ॐ अघोरेभ्यो अथ घोरेभ्यो घोर घोरतरेभ्यः सर्वतः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररूपेभ्यः !!

उक्त अघोर मंत्र पढकर गाय के गोबर, बिल्व वृक्ष, शमी, पीपल, पलाश, बड, अमलतास या बेर की लकडियों को जलायें , इसे शिवाग्नि कहते हैं और इस प्रकार बनी भस्म को शिवाग्नि जनित भस्म कहते हैं और यही शिव उपासना में काम आती है।

  • इस प्रक्रियाl से जलाये जाने पर जो भस्म बनती है  उस भस्म का सफ़ेद भाग निकालकर अलग रख लें, यही सफ़ेद भाग पूजा में उपयोग आती है।
  • भगवान शिव के शिवलिंग पर तीन आड़ी रेखायें इस भस्म से बनायें, इसे त्रिपुण्ड कहते हैं।
  • मध्यमा और अनामिका दो अँगुलियों से दो रेखायें खींचें और अंगूठे से बीच की रेखा विपरीत दिशा में खींचें।
  • स्वयं को भी शिव पञ्चाक्षर मंत्र “नमः शिवाय” का उच्चारण करते हुए मस्तक, दोनों भुजायें, ह्रदय और नाभि कम से कम इन पांच स्थानों पर त्रिपुण्ड अवश्य धारण करना चाहिए। यही भगवान शिव को प्रिय भस्म चंदन भी है। 

ॐ अघोरेभ्यो मंत्र का जाप किस देवता के लिए किया जाता है ?

ॐ अघोरेभ्यो मंत्र का जाप भगवान शिव की आराधना के लिए किया जाता है |

ॐ अघोरेभ्यो मंत्र का जाप शिव जी किस रूप को समर्पित है ?

ॐ अघोरेभ्यो मंत्र भगवान शिव के अघोर रूप के लिए समर्पित है इस मंत्र के द्वारा हम अघोरी रूप की आराधना करते है|


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