क्यों की जाती है शिव के लिंग रूप की पूजा?
भगवान शिव को लिंग रूप में क्यों पूजा जाता है और सिर्फ भगवान शिव ही शिवलिंग रूप में पूजे जाते हैं इसकी वजह बेहद दिलचस्प है आइये जानते है इस प्रश्न का उत्तर :-
- शिव शंभु आदि और अंत के देवता है और इनका न कोई स्वरूप है और न ही आकार वे निराकार हैं. आदि और अंत न होने से लिंग को शिव का निराकार रूप माना जाता है, जबकि उनके साकार रूप में उन्हें भगवान शंकर मानकर पूजा जाता है।
- केवल शिव ही निराकार लिंग के रूप में पूजे जाते हैं. लिंग रूप में समस्त ब्रह्मांड का पूजन हो जाता है क्योंकि वे ही समस्त जगत के मूल कारण माने गए हैं।
- शिव मूर्ति और लिंग दोनों रूपों में पूजे जाते हैं. ‘शिव’ का अर्थ है- ‘परम कल्याणकारी’ और ‘लिंग’ का अर्थ है – ‘सृजन’. शिव के वास्तविक स्वरूप से अवगत होकर जाग्रत शिवलिंग का अर्थ होता है प्रमाण।
- वेदों और वेदान्त में लिंग शब्द सूक्ष्म शरीर के लिए आता है. यह सूक्ष्म शरीर 17 तत्वों से बना होता है. मन, बुद्धि, पांच ज्ञानेन्द्रियां, पांच कर्मेन्द्रियां और पांच वायु, वायु पुराण के अनुसार प्रलयकाल में समस्त सृष्टि जिसमें लीन हो जाती है और पुन: सृष्टिकाल में जिससे प्रकट होती है उसे लिंग कहते हैं, इस प्रकार विश्व की संपूर्ण ऊर्जा ही लिंग की प्रतीक है।
बहुत सटीक जानकारी