श्री काल भैरव चालीसा पाठ | Shri Kaal Bhairav Chalisa Lyrics.

Shri Kaal Bhairav Chalisa lyricsपुराणों एवं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिव पुराण में भैरव को महादेव का पूर्ण रूप बताया गया है । इसलिए श्री काल भैरव नाथ जी की पूजा एवं पाठ की जाए तो प्राणियों की सभी मनोकामना पूर्ण होती है प्रतिदिन श्री भैरव चालीसा पाठ करने से सभी दुख- दर्द दूर हो जाते हैं। और सुख समृद्धि की बढोत्तरी होती है |

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श्री भैरव चालीसा संस्कृत टीका – Shri Kaal Bhairav Chalisa Lyrics

।। दोहा ।।

गणपति, गुरू गौरी पद, प्रेम सहित धरि माथ ।

चालीसा वन्दन करौं, श्री शिव भैरवनाथ ।।

श्री भैरव संकट हरण, मंगल करण कृपाल ।

श्याम वरण विकराल वपु, लोचन लाल विशाल ।।

।। चौपाई।।

जय जय श्री काली के लाला ।

जयती जयती काशी-कुतवाला ।।

जयती ‘बटुक भैरव’ भय हारी ।

जयती ‘काल भैरव’ बलकारी ।।

जयती ‘नाथ भैरव’ चिख्याता ।

जयती ‘सर्व भैरव’ सुखदाता ।।

भैरव रूप कियो शिव धारण ।

भव के भार उतारण कारण ।।

भैरवं रव सुनि है भय दूरी ।

सब विधि होय कामना पूरी ।।

शेष महेश आदि गुण गायो ।

काशी के कोतवाल कहलायो ।।

जटा जूट शिव चन्द्र विराजत ।

बाला, मुकुट बिजायठ साजत ।।

कटि करधनी घुंघरू बाजत ।

दर्शन करत सकल भय भाजत ।।

जीवन दान दास को दीन्हयो ।

कृपा नाथ तब चीन्ह्यो ।।

वसि रसना बनि सारद-काली ।

दीन्ह्यो वर राख्यो मम लाली ।।

धन्य धन्य भैरव भय भंजन ।

जय मनरंजन खल दल भंजन ।।

कर त्रिशूल डमरू शुचि कोड़ा ।

कृपा कटाक्ष सुयश नहिं थोड़ा ।।

जो भैरव निर्भय गुण गावत ।

अष्टसिद्धि नवनिधि फल पावत ।।

रूप विशाल कठिन दुःख मोचन ।

क्रोध कराल लाल दुहुं लोचन ।।

अगणित भूत-प्र -प्रेत संग डोलत ।

बं बं बं शिव बं बं बोलत ।।

रूद्रकाय काली के लाल ।

महा कालहू के हो कालाः ।।

बटुक नाथ हो काल गंभीरा ।

श्वेत, रक्त अरु श्याम शरीरा ।।

करत तीनहुं रूप प्रकाशा ।

भरत सुभक्तन कहं शुभ आशा ।।

रत्न जड़ित कंचन सिंहसान ।

व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआसन ।।

तुमहि जाइ काशिहिं जन ध्यावहिं ।

विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं ।।

जय प्रभु संहारक सुनन्द जय ।

जय उन्नत हर उमानन्द जय ।।

भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय ।

बैजनाथ श्री जगतनाथ जय ।।

महाभीम भीषण शरीर जय ।

रुद्र त्र्यत्वक धीर वीर जय ।।

अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय ।

रूवानारूढ़ सयचन्द्र नाथ जय ।।

निमिष दिगम्बर चक्रनाथ जय ।

गहत अनाथन नाथ हाथ जय ।।

त्रेशलेश भूतेश चन्द्र जय ।

क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय ।।

श्री वामन नकुलेश चण्ड जय ।

कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय ।।

रुद्र बटुक क्रोधेश कालधर ।

चक्र तुण्ड दश पाणिव्यालधर ।।

करि मद पान शम्भु गुण गावत ।

चौंसठ योगिन संग नचावच ।।

करत कृपा जन पर बहु ढंगा ।

काशी कोतवाल अड़बंगा ।।

देय काल भैरव जब सोटा ।

नसै पाप मोटा से मोटा ।।

जनकर निर्मल होय शरीरा ।

मिटै सकल संकट भव पीरा ।।

श्री भैरव भूतों के राजा ।

बाधा हरत करत शुभ काजा ।।

ऐलादी के दुःख निवार्यो ।

सदा कृपा करि काज सम्हार्यो ।।

। सुन्दरदास सहित अनुरागा ।

श्री दुर्वासा निकट प्रयागा ।।

‘श्री भैरव जी की जय’ लेख्यो ।

सकल कामना पूरण देख्यो ।।

।। दोहा ।।

जय जय जय भैरव बटुक, स्वामी संकट टार ।

कृपा  दास पर  कीजिए, शंकर  के अवतार ।।

जो यह चालीसा  पढ़े, प्रेम सहित सत बार ।।

उस  घर  सर्वानन्द  हो, वैभव  बढ़े  अपार ।।

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श्री भैरव जी की आरती

श्री भैरव चालीसा पाठ और भैरवनाथ जी पूजा से जुड़े प्रश्न ?

Shri Kaal Bhairav Chalisa Lyrics

श्री भैरव चालीसा पाठ और भैरव आरती लिखित में कैसे प्राप्त करे ?

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श्री भैरव चालीसा पाठ क्यों करते है ?

धन धन्य और भय से मुक्ति पाने और घर में समृद्धि के लिए प्राणी भैरव चालीसा पाठ करते है |

श्री भैरव चालीसा के लाभ ?

काल भैरव चालीसा का पाठ करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। काल भैरव की कृपा से सिद्धि-बुद्धि,धन-बल और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है। घर में अशांति नहीं रहती |

काल भैरव चालीसा का महत्व

काल भैरव चालीसा का पाठ करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। काल भैरव की कृपा से सिद्धि-बुद्धि,धन-बल और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है। काल भैरव के प्रभाव से इंसान धनी बनता है, वो तरक्की करता है। वो हर तरह के सुख का भागीदार बनता है, उसे कष्ट नहीं होता। काल भैरव की कृपा मात्र से ही इंसान सारी तकलीफों से दूर हो जाता है और वो तेजस्वी बनता है।

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