Maruti Stotra Lyrics – यह स्तोत्र भगवान श्री राम जी के परम प्रिय पवन पुत्र हनुमान जी को समर्पित है। मारुति स्तोत्र बेहद ही प्रभावशाली स्तोत्र है, कहते है इस स्तोत्र के माध्यम से बजरंगबली का आशीर्वाद जल्द प्राप्त किया जा सकता है और यदि किसी के ऊपर हनुमान जी की कृपा हो तो उसके किसी कार्य में बाधा और संकट नहीं आता। तुलसी दास जी ने हनुमान चालीसा में एक जगह लिखा है कि नासै रोग, हरै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बल वीरा।
अर्थात जो व्यक्ति हनुमान जी का स्मरण सच्चे हृदय से करता है उसके जीवन में आने वाली सारी विपदाएँ दूर हो जाती हैं। उसका जीवन सदैव सुखद और निरोगी होता है। तो आइये स्मरण करें श्री मारुती स्तोत्र भीमरूपी महारुद्रा
श्री मारुती स्तोत्र भीमरूपी महारुद्रा
भीमरूपी महारुद्रा, वज्र हनुमान मारुती।
वनारी अंजनीसूता, रामदूता प्रभंजना ।।1।।
महाबळी प्राणदाता, सकळां उठवीं बळें ।
सौख्यकारी शोकहर्ता, धूर्त वैष्णव गायका ।।2।।
दिनानाथा हरीरूपा, सुंदरा जगदंतरा।
पाताळ देवता हंता, भव्य सिंदूर लेपना ।।3।।
लोकनाथा जगन्नाथा, प्राणनाथा पुरातना ।
पुण्यवंता पुण्यशीला, पावना परतोषका ।।4।।
ध्वजांगे उचली बाहू, आवेशें लोटिला पुढें ।
काळाग्नी काळरुद्राग्नी, देखतां कांपती भयें ।।5।।
ब्रह्मांड माईला नेणों, आवळें दंतपंगती।
नेत्राग्नी चालिल्या ज्वाळा, भृकुटी त्राहिटिल्या बळें ।।6।।
पुच्छ तें मुरडिलें माथां, किरीटी कुंडलें बरीं।
सुवर्णकटीकासोटी, घंटा किंकिणी नागरा ।।7।।
ठकारे पर्वताऐसा, नेटका सडपातळू।
चपळांग पाहतां मोठें, महाविद्युल्लतेपरी ।।8।।
कोटिच्या कोटि उड्डाणें, झेपावे उत्तरेकडे ।
मंद्राद्रीसारिखा द्रोणू, क्रोधे उत्पाटिला बळें ।।9।।
आणिता मागुता नेला, गेला आला मनोगती ।
मनासी टाकिलें मागें, गतीस तूळणा नसे ।।10।।
अणूपासोनि ब्रह्मांडा, येवढा होत जातसे।
तयासी तुळणा कोठें, मेरुमंदार धाकुटें ।।11।।
ब्रह्मांडाभोंवते वेढे, वज्रपुच्छ घालूं शके।
तयासि तूळणा कैचीं, ब्रह्मांडीं पाहतां नसे ।।12।।
आरक्त देखिलें डोळां, गिळीलें सूर्यमंडळा ।
वाढतां वाढतां वाढे, भेदिलें शून्यमंडळा ।।13।।
धनधान्यपशुवृद्धी, पुत्रपौत्र समग्रही ।
पावती रूपविद्यादी, स्तोत्र पाठें करूनियां ।।14।।
भूतप्रेतसमंधादी, रोगव्याधी समस्तही ।
नासती तूटती चिंता, आनंदें भीमदर्शनें ।।15।।
हे धरा पंधराश्लोकी, लाभली शोभली बरी।
दृढदेहो निसंदेहो, संख्या चंद्रकळागुणें ।।16।।
रामदासी अग्रगण्यू, कपिकुळासी मंडण।
रामरूपी अंतरात्मा, दर्शनें दोष नासती ।।17।।
।। इति श्रीरामदासकृतं संकटनिरसनं मारुतिस्तोत्रं संपूर्णम् ।।
Shri Maruti Stotra Lyrics (Bhimarupi Maharudra)
Bhimarupi Maharudra, Vajra Hanumana Maruti.
Vanari Anjanisuta, Ramaduta Prabhanjana ..1
Mahabali Pranadata, Sakalam Uthavim Balem.
Saukhyakari Shokaharta, Dhurta Vaishnava Gayaka ..2
Dinanatha Harirupa, Sundara Jagadantara.
Patala Devata Hanta, Bhavya Sindura Lepana ..3
Lokanatha Jagannatha, Prananatha Puratana.
Punyavanta Punyashila, Pavana Paratoshaka ..4
Dhvajange Uchali Bahu, Aveshem Lotila Pudhem.
Kalagni Kalarudragni, Dekhatam Kampati Bhayem ..5
Brahmand Maila Nenom, Avalem Dantapangati.
Netragni Chalilya Jvala, Bhrikuti Trahitilya Balem ..6
Puchchha Tem Muradilem Matham, Kirity Kundalem Barim.
Suvarnakaticasoti, Ghanta Kinkini Nagara ..7
Thakare Parvataaisa, Netaka Sadapatalu.
Chapalang Pahatam Mothem, Mahavidyullatepari ..8
Kotichya Koti Uddanem, Zepave Uttarekade .
Mandradrisarikha Dronu, Krodhe Utpatila Balem ..9
Anita Maguta Nela, Gela Ala Manogati.
Manasi Takilem Magem, Gatis Tulana Nase ..10
Anupasoni Brahmanda, Yevadha Hota Jatase.
Tayasi Tulana Kothem, Merumandara Dhakutem ..11
Brahmandabhomvate Vedhe, Vajrapuchchha Ghalum Shake.
Tayasi Tulana Kechim, Brahmandim Pahatam Nase ..12
Arakta Dekhilem Dolam, Gililem Suryamandala .
Vadhatam Vadhatam Vadhe, Bhedilem Shunyamandala ..13
Dhanadhanyapashuvriddhi, Putrapautra Samagrahi.
Pavati Rupavidyadi, Stotra Pathem Karuniyam ..14
Bhutapretasamandhadi, Rogavyadhi Samastahi.
Nasati Tutati Chinta, Anandem Bhimadarsionem ..15
He Dhara Pandharashlokey, Labhali Shobhali Bari.
Driadhadeho Nisandeho, Sankhya Chandrakalagunem ..16
Ramadasi Agraganyu, Kapikulasi Mandana.
Ramarupi Antaratma, Darsionem Dosha Nasati ..17
Iti Shriramadasakritam Sankatanirasanam Marutistotram Sampurnam
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मारुति स्तोत्र में क्या है?
जैसा कि ऊपर बताया गया है कि किसी भी देवी-देवता के स्तोत्र में उनकी स्तुति गायी जाती है। उनके स्वरूप का गुणगान किया जाता है। समर्थ गुरु रामदास जी ने भी मारुति स्तोत्र में भी ऐसा ही किया है। उन्होंने स्तोत्र के पहले 13 श्लोकों में मारुति यानि हनुमान जी का वर्णन किया है। इसके बाद अंत के चार श्लोंकों में हनुमान के प्रति चरणश्रुति है साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि जो भक्त मारुति स्तोत्रम का पाठ करेगा उसे किस प्रकार के फल या लाभ प्राप्त होंगे।
मारुति स्तोत्र के पाठ से प्राप्त होने वाले लाभ ?
मारुती स्तोत्र का पाठ करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त को आशीर्वाद देते हैं।मारुती स्तोत्र के पाठ से भक्त के जीवन में सभी तरह की शुख शांति मिलती है।
मारुती स्तोत्र के पाठ से भक्त के ह्रदय से भय का नाश होता है।
मारुती स्तोत्र के पाठ से हनुमान जी अपने भक्त के सभी कष्टों का निवारण कर देते हैं।
मारुती स्तोत्र के पाठ से जीवन में धन-धान्य की बृद्धि होती है.
मारुती स्तोत्र के पाठ से साधक के चारों तरफ़ सकारात्मक उर्जा का प्रवाह होता है।
ज्योतिषीय दृष्टि मारुति स्तोत्र?
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों, नक्षत्रों का राशि में पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। ग्रहों की चाल का अच्छा और बुरा प्रभाव लोगों के जीवन पर पड़ता है। मंगल, शनि और राहु-केतु संबंधित ये चारों ही क्रूर ग्रह हैं। यदि किसी जातक में ये ग्रह कमजोर हैं या पीड़ित हैं तो फिर जातकों के जीवन में परेशानियों का भंडार लग जाता है। एक के बाद एक कोई न कोई विपदा आती रहती है। ऐसे में मारुति स्तोत्र इन ग्रहों के दोषों को मुक्त करने में बेहद कारगर है। यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से विधिनुसार इस स्तोत्र का पाठ करता है तो उसे मंगल-शनि और राहु-केतु से संबंधित दोषों से मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही जातकों को इस ग्रह के शुभ प्रभाव फल प्राप्त होते हैं।
मारुति स्तोत्र की रचना?
श्री मारुति स्तोत्र की रचना न तो वैदिक में हुई है और न ही प्राचीन काल में। इतिहासकारों का मानना है कि 17वीं शताब्दी में मारुति स्तोत्र की रचना हुई है। इसके रचयिता समर्थ गुरु रामदास ने की है। वे एक महान संत और वीर छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु थे। उनका जन्म महाराष्ट्र में हुआ था। इसलिए उन्होंने मारुति स्तोत्र को मराठी में भी लिखा है। हालाँकि संस्कृत साहित्य में स्तोत्र किसी भी देवी-देवता की स्तुति में लिखे गए काव्य को कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि समर्थ गुरु रामदास जी हनुमान जी भक्त थे और उन्हीं की भक्ति में उन्होंने मारुति स्तोत्र की रचना की।
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