सुलोचना लक्ष्मण की पुत्री कैसे हुई ?

वैसे तो रामायण से जुड़े हुए बहुत से संवाद हैं लेकिन सुलोचना लक्ष्मण की पुत्री कैसे हुई? यह प्रश्न भी है | रामायण एक पवित्र ग्रंथ ही नहीं एक पवित्र सोच भी है जिसके हर एक अध्याय और पात्र महत्वपूर्ण है जिसको पढने से मन को शांति मिलती है, संबंधों में जुडी पवित्रता का अनुसरण होता है तो आइये आज पढ़ते है सुलोचना लक्ष्मण की पुत्री कैसे हुई इसको विस्तार से |

कथा – सुलोचना लक्ष्मण की पुत्री कैसे हुई

वैसे तो इस संबन्ध में सन्तो के मुख से कथा इस प्रकार सुनी होती है कि एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव के अंग प्रत्यंगों को विभूति के बाद सर्पों से सजाया था । भगवान शिव के प्रत्येक अंग में इतने सर्प लपेट दिये कि अन्त में एक सर्प भगवान शिव के हाँथ का कंगन बनाकर पहनाने के लिए कम पड़ गया था ।

तब माता पार्वती जी ने शेष जी को बुलाकर उन्हें शिव जी के हाथ में कसकर लपेट दिया, पार्वती जी ने इतनी कस के लपेटा कि शेष (लक्ष्मण) उस दर्द को सहन न कर सके और उनके नेत्रों से दो बूंद अश्रु गिर पड़े, उन अश्रु बिन्दुओं से दो कन्याएँ उत्पन्न हो गयी । शेष जी के दाहिने आँख से गिरे हुए अश्रु से सुलोचना और बाँये आँख के अश्रु से सुनयना (जो जनक जी की पत्नी थी) की उत्पत्ति हुई थी ।

सुनयना जी का विवाह तो जनक जी से हुआ तथा सुलोचना जी का मेघनाद ने हरण करके विवाह किया । तो इस प्रकार शेष जी के नेत्रों के अश्रु से उत्पन्न सुलोचना लक्ष्मण जी की पुत्री कहलायी ।

सुलोचना और सुनयना दोनों सगी बहन थी। और एसा कहा जाता है कि रामादल में मेघनाद का सिर धड़ से गिरते समय जब हँसा था तो यही सुनकर कि सुलोचना ने कहा था कि यदि आप ने पहले बताया होता तो मैं अपने पिता शेष को बुला लेती और वे युद्ध में आप की सहायता करते तेरा कुछ भी न बिगड़ता । मेघनाद का सिर यही बात सुनकर यह कहते हुए हँस पड़ा कि सुलोचना तुम यही तो नहीं जानती कि तेरे पिता जी ने ही अर्थात् लक्ष्मण ने ही हमें मारा है, फिर तुम बुलाती किसे? ये लक्ष्मण ही शेष हैं।

हे सुलोचना ! इन्ही ने हमे मारकर तुझे विधवा किया है।  सुलोचना लक्ष्मण को देखकर स्तब्ध रह जाती है कि एक पिता ने ही पुत्री का सिन्दूर मिटा दिया। लेकिन इस परिस्थिति में श्री लक्ष्मण करते भी क्या, नियति से बढ़कर कुछ नहीं होता और जो नियति ने लिखा उसे कोई बदल भी नहीं सकता |

क्यूंकि अगर नियति ने तय किया है की लक्ष्मण के हांथों ही मेघनाद का वध, मेघनाद की मृत्यु भी तो लक्ष्मण के सिवाय किसी अन्य से नहीं होनी थी, अन्त में लक्ष्मण के आँखों में सुलोचना की स्थिति देखकर आँसू आ जाते हैं। परन्तु जो होना था वह तो हो चुका था अन्त में सुलोचना पति का सिर लेकर सती हो जाती है ।


1

Scroll to Top