सूर्य देव के 12 नाम और मंत्र | Surya Dev Ke 12 Naam Mantra

सूर्य देव हिंदू धर्म में अत्यंत पूजनीय और महत्वपूर्ण देवता हैं। उन्हें जीवन और ऊर्जा का मुख्य स्रोत माना जाता है, जो संपूर्ण सृष्टि के लिए शक्ति और पोषण का प्रतीक हैं। सूर्य देव को “आदित्य” और “सर्वेश्वर” भी कहा जाता है क्योंकि वे समूचे ब्रह्मांड में प्रकाश और ऊर्जा का संचार करते हैं। उनकी पूजा से स्वास्थ्य, बल, समृद्धि और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। (Surya Dev Ke 12 Naam)

सूर्य देव का रथ सात घोड़ों द्वारा खींचा जाता है, जो जीवन के सात रंगों और सात गुणों का प्रतीक है। प्रकृति के चक्र में सूर्य का नियमित उदय और अस्त होना दिन-रात के संतुलन को बनाए रखता है, जो जीवन की निरंतरता का प्रतीक है।

सूर्य देव की आराधना विशेष रूप से “सूर्य नमस्कार” और साप्ताहिक सूर्य पूजा जैसे धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से की जाती है। सूर्य देव को प्रणाम करने से व्यक्ति में आत्मविश्वास, आत्मबल और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। उनकी उपासना से न केवल भौतिक लाभ होते हैं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शांति भी प्राप्त होती है। सूर्य देव ज्ञान, शक्ति और जीवन के प्रतीक माने जाते हैं।

मित्र
ॐ मित्राय नमः।

रवि
ॐ रवये नमः।

सूर्य
ॐ सूर्याय नमः।

भानु
ॐ भानवे नमः।

खग
ॐ खगाय नमः।

पूषन्
ॐ पूष्णे नमः।

हिरण्यगर्भ
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।

मरीच
ॐ मरीचये नमः।

आदित्य
ॐ आदित्याय नमः।

सवित्र
ॐ सवित्रे नमः।

अर्क
ॐ अर्काय नमः।

भास्कर
ॐ भास्कराय नमः।

॥ इति श्री सूर्य द्वादशनामावलिः सम्पूर्णा ॥


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  1. आदित्य हृदयं मंत्र ।। आदित्यहृदयं पुण्यं सर्वशत्रुविनाशनम् जयावहं जपं नित्यमक्षयं परमं शिवम्।।

अर्थ – आदित्य हृदयं मंत्र का जाप करने से शत्रुओं का नाश होता है। आदित्य हृदयं मंत्र का जाप करने से जातक के सभी कार्य सफल होते हैं और हर क्षेत्र में उसे सफलता मिलती है। इस मंत्र का जाप करने से जातक का आत्मविश्वास बढ़ता है।

  1. ॐ हृीं रवये नम: अर्थ – सुबह सूर्य देव के सामने खड़े होकर इस मंत्र का जाप करने से गंभीर और असाध्य रोग ठीक हो जाते हैं। इस मंत्र के शुद्ध उच्चारण करने से शरीर में रक्त का संचार ठीक रहता है और कफ जैसे रोग दूर होते हैं।
  2. ॐ हूं सूर्याय नम: अर्थ – ब्रह्म मुहूर्त में उगते हुए सूर्य के सामने इस मंत्र का जाप करने से जातक को मानसिक शांति मिलती है। मंत्र का जाप करने से जातक के सभी प्रकार की समस्याओं का अंत होता है।
  3. ॐ ह्रां भानवे नम: अर्थ – सूर्य देव के सामने इस मंत्र का जाप करने से मूत्राशय संबंधी बीमारियों का अंत होता है। इस मंत्र का जाप करने से शरीर में ओजस नामक तत्व का विकास होता है।
  4. ॐ हृों खगाय नम: अर्थ – सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करने से शरीर में बुद्धि और बल का विकास होता है। इस मंत्र का जाप करने से जातक के शरीर में पॉजिटिव एनर्जी बढ़ती है।

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सूर्य देव के कितने पुत्र थे?

सूर्य देव के 10 पुत्र और पुत्रियाँ थीं जिनके नाम है यमराज, शनिदेव, वैवस्वत मनु, अश्विनी कुमार, रेवंत, तपती, सवर्णि मनु, सुग्रीव, कर्ण, भद्रा।

सूर्य देव के पिता कौन थे?

पिता का नाम महर्षि कश्यप और माता का नाम अदिति था।

सूर्य देव के पुत्र का नाम?

यमराज, शनिदेव, वैवस्वत मनु, अश्विनी, कुमार, रेवंत, सुग्रीव और कर्ण।

सूर्य देवता की पत्नी का नाम?

सूर्य देव की दो पत्नियां थीं, माता संज्ञा और छाया।


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